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अल्मोड़ा में मौजूद है भीम का पद चिह्न, पांडवों से जोड़कर देखते हैं लोग

अल्मोड़ा के सल्ट क्षेत्र में बनी है पद चिह्न की संरचना, अज्ञातवास में पांडवों की निशानियों का मानते हैं गवाह

Bhima Footprints
पद चिह्न (फोटो- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Oct 9, 2024, 1:36 PM IST

रामनगर: देवभूमि उत्तराखंड वो धरा है, जहां देवी-देवताओं का वास माना जाता है, जो अन्य राज्यों से इसे अलग बनाती है. जहां कदम-कदम पर देवों से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. जो अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं. ऐसी एक जगह अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में है, जिसका पौराणिक इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. जो हजारों साल पुरानी कहानी को समेटे हुए हैं.

नौखुचियां क्षेत्र में है पद चिह्न: दरअसल, अल्मोड़ा जिले के सल्ट के मोलेखाल से आगे नौखुचियां क्षेत्र में भीम के पद चिह्न की संरचना बनी हुई है. जिसको लेकर कई कहानियां प्रचलित है. ऐसा दावा किया जाता है कि जब महाभारत काल में पांडव अज्ञातवास पर आए थे, तब वे इस क्षेत्र से गुजरे थे. उस दौरान उन्होंने यहां विश्राम किया था. जिसकी पौराणिक कथा इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान है. यहां एक खेत में विशालकाय पद चिह्न बना हुआ है, जो बिल्कुल पैर के आकार में है. जिसमें पैर की सारी उंगलियों की संरचना बनी दिखाई देती है.

अल्मोड़ा में मौजूद है भीम का पद चिह्न (Video- ETV Bharat)

सराईखेत में बताया जाता है दूसरा पद चिह्न: अल्मोड़ा जिले का सल्ट क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमय कहानियों के लिए प्रसिद्ध है. यहां पहाड़ पर मां मानिला देवी मंदिर की प्राचीन मूर्ति और भीम के पद चिह्न इस स्थान को और भी विशिष्ट बनाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि पांडव जब अज्ञातवास में थे, तब वो यहां से गुजरे थे. उस वक्त भीम ने अपने पैरों के निशान छोड़े थे. जो कि आज भी सल्ट के मोलेखाल से 2 किलोमीटर आगे नौखुचियां क्षेत्र में मौजूद है. जबकि, दूसरा 20 किलोमीटर आगे सराईखेत में बताया जाता है.

Bhima Footprints
इस तरह नजर आता है पद चिह्न (फोटो- ETV Bharat)

खेत मालिक राजीव के कई पीढ़ियों ने देखी पैर की संरचना: वहीं, खेत मालिक राजीव कहते हैं कि उनके बुजुर्गों ने पिताजी और उनके दादाजी को बताया कि यह पद चिह्न भीम के पैर के हैं. उनके कई पीढ़ियों ने पैर की संरचना देखी है. उनका दावा है कि इतना बड़ा पैर किसी और का हो नहीं सकता. ऐसे में यह भीम का पैर ही है. उन्होंने कहा कि यहां से जब पांडव बदरीनाथ-केदारनाथ की तरफ गए थे, उस वक्त उनके पैरों के निशान यहां पर बन गए. इसको देखने के लिए आसपास के लोग आते हैं.

वन क्षेत्र के निवासी शेर सिंह कहते हैं कि उनको भी उनके दादा-परदादाओं ने बताया था कि ये भीम का पैर है. क्योंकि, इतना बड़ा पैर किसी और का हो नहीं सकता है. वहीं, विद्वान पंडित प्राचार्य डीसी हरबोला कहते हैं कि जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ था, तब पांचों पांडव द्रौपदी के साथ पूरे देश में भ्रमण किया था. उस समय वो उत्तराखंड भी आए थे. रामनगर के पास ढिकुली क्षेत्र के कंठेश्वर महादेव का मंदिर है. उसके बगल में एक विशालकाय कुआं है. ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने वहां स्नान किया था.

जलाशय भी मौजूद था कभी: वहां पांडव कुछ समय के लिए रुके थे. माना जाता है कि मंदिर भी पांडवों ने स्थापित किया था. इसी तरह से अल्मोड़ा जिले के नौखुचियां क्षेत्र में बना भीम का पद चिह्न भी है. माना जाता है कि जब भीम यहां से गुजरे होंगे तो उनके पैर के निशान पड़ गए. पंडित हरबोला बताते हैं कि भीम के दाएं पैर के पद चिह्न स्पष्ट दिखाई देता है. कहा जाता है कि यहां एक जलाशय भी था. जहां संत महात्मा रहते थे, लेकिन वो जलाशय आज मौजूद नहीं है. उन्होंने पुरातत्व विभाग से इसके संरक्षण की भी मांग की.

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रामनगर: देवभूमि उत्तराखंड वो धरा है, जहां देवी-देवताओं का वास माना जाता है, जो अन्य राज्यों से इसे अलग बनाती है. जहां कदम-कदम पर देवों से जुड़ी कई कथाएं प्रचलित हैं. जो अद्भुत, अविश्वसनीय और अकल्पनीय पौराणिक कथाओं को समेटे हुए हैं. ऐसी एक जगह अल्मोड़ा जिले के सल्ट क्षेत्र में है, जिसका पौराणिक इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है. जो हजारों साल पुरानी कहानी को समेटे हुए हैं.

नौखुचियां क्षेत्र में है पद चिह्न: दरअसल, अल्मोड़ा जिले के सल्ट के मोलेखाल से आगे नौखुचियां क्षेत्र में भीम के पद चिह्न की संरचना बनी हुई है. जिसको लेकर कई कहानियां प्रचलित है. ऐसा दावा किया जाता है कि जब महाभारत काल में पांडव अज्ञातवास पर आए थे, तब वे इस क्षेत्र से गुजरे थे. उस दौरान उन्होंने यहां विश्राम किया था. जिसकी पौराणिक कथा इस क्षेत्र की प्रमुख पहचान है. यहां एक खेत में विशालकाय पद चिह्न बना हुआ है, जो बिल्कुल पैर के आकार में है. जिसमें पैर की सारी उंगलियों की संरचना बनी दिखाई देती है.

अल्मोड़ा में मौजूद है भीम का पद चिह्न (Video- ETV Bharat)

सराईखेत में बताया जाता है दूसरा पद चिह्न: अल्मोड़ा जिले का सल्ट क्षेत्र अपनी प्राकृतिक सुंदरता और रहस्यमय कहानियों के लिए प्रसिद्ध है. यहां पहाड़ पर मां मानिला देवी मंदिर की प्राचीन मूर्ति और भीम के पद चिह्न इस स्थान को और भी विशिष्ट बनाते हैं. स्थानीय लोगों का कहना है कि पांडव जब अज्ञातवास में थे, तब वो यहां से गुजरे थे. उस वक्त भीम ने अपने पैरों के निशान छोड़े थे. जो कि आज भी सल्ट के मोलेखाल से 2 किलोमीटर आगे नौखुचियां क्षेत्र में मौजूद है. जबकि, दूसरा 20 किलोमीटर आगे सराईखेत में बताया जाता है.

Bhima Footprints
इस तरह नजर आता है पद चिह्न (फोटो- ETV Bharat)

खेत मालिक राजीव के कई पीढ़ियों ने देखी पैर की संरचना: वहीं, खेत मालिक राजीव कहते हैं कि उनके बुजुर्गों ने पिताजी और उनके दादाजी को बताया कि यह पद चिह्न भीम के पैर के हैं. उनके कई पीढ़ियों ने पैर की संरचना देखी है. उनका दावा है कि इतना बड़ा पैर किसी और का हो नहीं सकता. ऐसे में यह भीम का पैर ही है. उन्होंने कहा कि यहां से जब पांडव बदरीनाथ-केदारनाथ की तरफ गए थे, उस वक्त उनके पैरों के निशान यहां पर बन गए. इसको देखने के लिए आसपास के लोग आते हैं.

वन क्षेत्र के निवासी शेर सिंह कहते हैं कि उनको भी उनके दादा-परदादाओं ने बताया था कि ये भीम का पैर है. क्योंकि, इतना बड़ा पैर किसी और का हो नहीं सकता है. वहीं, विद्वान पंडित प्राचार्य डीसी हरबोला कहते हैं कि जब पांडवों को अज्ञातवास हुआ था, तब पांचों पांडव द्रौपदी के साथ पूरे देश में भ्रमण किया था. उस समय वो उत्तराखंड भी आए थे. रामनगर के पास ढिकुली क्षेत्र के कंठेश्वर महादेव का मंदिर है. उसके बगल में एक विशालकाय कुआं है. ऐसी मान्यता है कि पांडवों ने वहां स्नान किया था.

जलाशय भी मौजूद था कभी: वहां पांडव कुछ समय के लिए रुके थे. माना जाता है कि मंदिर भी पांडवों ने स्थापित किया था. इसी तरह से अल्मोड़ा जिले के नौखुचियां क्षेत्र में बना भीम का पद चिह्न भी है. माना जाता है कि जब भीम यहां से गुजरे होंगे तो उनके पैर के निशान पड़ गए. पंडित हरबोला बताते हैं कि भीम के दाएं पैर के पद चिह्न स्पष्ट दिखाई देता है. कहा जाता है कि यहां एक जलाशय भी था. जहां संत महात्मा रहते थे, लेकिन वो जलाशय आज मौजूद नहीं है. उन्होंने पुरातत्व विभाग से इसके संरक्षण की भी मांग की.

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