भीलवाड़ा. आज भीलवाड़ा संसदीय सीट का परिमाण आएगा. यह सीट भाजपा और कांग्रेस दोनों ही पार्टियों के लिए अहम है. यही वजह है कि दोनों ही पार्टियों ने अपने दिग्गज नेताओं को मैदान में उतारा, ताकि किसी भी तरह से इस सीट पर कब्जा किया जा सके. एक भाजपा ने प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल पर दांव खेला तो कांग्रेस ने पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को मैदान में उतार यहां मुकाबले को दिलचस्प बना दिया. हालांकि, अगर बात पिछले दो लोकसभा चुनावों की करें तो इस सीट पर भाजपा का कब्जा रहा है.
भाजपा के दामोदर अग्रवाल और कांग्रेस के दिग्गज नेता डॉ. सीपी जोशी के बीच यहां मुकाबला रहा. दोनों ही नेता अपने-अपने विकास कार्यों को लेकर जनता के बीच गए. मगर गत लोकसभा चुनाव की तुलना में इस बार के चुनाव में करीब 5% मतदान कम हुआ है. ऐसे में अब कौन विजयी होता है यह तो आज साफ हो ही जाएगा. भीलवाड़ा राजस्थान का 7वां सबसे बड़ा शहर है. यह शहर करीब नौ सौ साल पुराना है और मान्यता है कि यहां पहले भिलाड़ी नामक एक टक्साल हुआ करती थी, जिसमें सिक्के बनाए जाते थे. साथ ही यह भी मान्यता है कि यह पहले भीलो की नगरी थी. इसी कारण इसका नाम आगे चलकर भीलवाड़ा पड़ गया. वहीं, महाराणा प्रताप से युद्ध के समय अकबर भीलवाड़ा में ही रूका था.
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लोकसभा सीट की संरचना : भीलवाड़ा लोकसभा में कुल 8 विधानसभा सीटें शामिल हैं, जिसमें भीलवाड़ा शाहपुरा जिले की 7 विधानसभाएं और बूदी की एक हिंडोली विधानसभा शामिल है. शहर की भौगोलिक स्थित के बारे में बात करे तो भीलवाड़ा शहर बनास और कोठारी नदी के बीच बसा है. यहां सर्वाधिक वस्त्र उद्योग होने के कारण इसे वस्त्रनगरी के नाम से भी जाना जाता है. इसके साथ ही यहां की फड़ चित्रकारी भी काफी लोकप्रिय है.
अभी तक हो चुके हैं 18 लोकसभा चुनाव : भीलवाड़ा में एक बाय इलेक्शन सहित कुल 18 लोकसभा चुनाव हुए, जिसमें सबसे ज्यादा नौ बार कांग्रेस विजयी रही तो वहीं, चार बार भाजपा और पांच बार अन्य राजनीतिक दलों के प्रत्याशी को जीत मिली है. पिछले दो लोकसभा चुनाव से यहां लगातार भाजपा के वर्तमान सांसद सुभाष बहेड़िया चुनाव जीतते आ रहे हैं. साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सुभाष बहेड़िया पूरे देश में सबसे अधिक मतों से विजयी होने वाले चौथे सांसद बने थे. उन्होंने पिछले चुनाव में कांग्रेस से भाजपा में शामिल हुए भीलवाड़ा नगर विकास न्यास के पूर्व अध्यक्ष रामपाल शर्मा को 6 लाख 12 हजार मतों से पराजित किया था, जो राजस्थान में सर्वाधिक मतों से जीत का अंतर था.
अब तक हुए लोकसभा चुनाव
- 1951 में राम राज्य परिषद के हरिराम नथानी यहां से चुनाव जीते
- 1957 में कांग्रेस के रमेश चंद्र व्यास चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1962 में कांग्रेस के कालूलाल श्रीमाली चुनाव जीते (केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहे)
- 1964 में कांग्रेस के शिवचरण माथुर उपचुनाव जीते
- 1967 में कांग्रेस के आर चंद्रा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1971 में जनसंघ के हेमेंद्र सिंह बनेड़ा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1977 में जनता पार्टी के रूप लाल सोमानी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1980 में कांग्रेस के गिरधारी लाल व्यास चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1986 में कांग्रेस के गिरधारी लाल व्यास चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1989 में जनता दल के हेमेंद्र सिंह बनेडा चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1991 में कांग्रेस के शिवचरण माथुर चुनाव जीते (बाद में मुख्यमंत्री और राज्यपाल बने)
- 1996 में भाजपा के सुभाष चंद बहेड़िया चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1998 में कांग्रेस के रामपाल उपाध्याय चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 1999 में भाजपा के वीपी सिंह बदनोर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 2004 में भाजपा के वीपी सिंह बदनोर चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 2009 में कांग्रेस के डॉ. सीपी जोशी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे (केंद्र में मंत्री रहे)
- 2014 में भाजपा के सुभाष चंद्र बहेड़िया चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
- 2019 में भाजपा के सुभाष चंद्र बहेड़िया चुनाव जीतकर संसद पहुंचे
वहीं, 2014 के लोकसभा चुनाव में भीलवाड़ा से वर्तमान सांसद सुभाष बहेड़िया ने हिंडोली के कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री अशोक चांदना को पराजित किया था. इसके बाद 2019 में बहेड़िया ने प्रदेश में सर्वाधिक मतों से जीत दर्ज करने का रिकॉर्ड बनाया. इस चुनाव में बहेड़िया ने कांग्रेस प्रत्याशी रामपाल शर्मा को 6 लाख 12 हजार मतों से हराया था. वहीं, बहेड़िया को 938160 वोट मिले थे तो कांग्रेस प्रत्याशी को मात्र 326160 मत ही हासलि हुए थे.
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भीलवाड़ा लोकसभा में इस बार भाजपा ने 3 बार से सांसद रहे सुभाष चंद्र बहेड़िया का टिकट काटकर भाजपा के कद्दावर नेता व प्रदेश महामंत्री दामोदर अग्रवाल को अपना प्रत्याशी बनाया है. कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री पूर्व विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी को प्रत्याशी बनाया है. सीपी जोशी 2009 में यहां से चुनाव जीतकर पहली बार लोकसभा पहुंचे थे. उनके द्वारा करवाए गए विकास कार्य आज भाजपा को कहीं न कहीं चुनौती देते नजर आ रहे हैं.