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22 साल बाद युवक का मां और भाई से हुआ मिलन, गम में पिता चल बसे, पत्नी भी घर छोड़कर चली गई - Initiative of Apna Ghar Ashram - INITIATIVE OF APNA GHAR ASHRAM

उत्तर प्रदेश के ललितपुर जिले से 22 साल पहले लापता हुए युवक को आखिरकार उसके परिजन मिल गए. मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण वह घर छोड़कर निकल गया था. भरतपुर के अपना घर आश्रम ने युवक के परिजनों को तलाश किया और मां को बेटे से मिलवाया. युवक को देखकर परिजन भावुक हो गए.

22 साल बाद मिला परिवार
22 साल बाद मिला परिवार (ETV Bharat GFX)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Jun 17, 2024, 6:09 PM IST

भरतपुर. 22 साल पहले एक युवक मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण घर छोड़कर निकल गया. उत्तर प्रदेश के ललितपुर के रहने वाले पप्पूराम को उनके घर वालों ने बहुत तलाशा, लेकिन युवक का कुछ पता नहीं चला. बेटे के गम में कुछ समय बाद पिता भी चल बसे. इसके बाद युवक की पत्नी ने भी बच्चों के साथ घर छोड़ दिया. काफी तलाशने के बाद भी युवक नहीं मिला, तो घरवालों ने उसके मिलेने की उम्मीद तक छोड़ दी, लोकिन मां को उम्मीद थी कि एक दिन उनका बेटा जरूर वापस आएगा और मां का यही विश्वास सोमवार को सच साबित हो गया. भरतपुर के अपना घर आश्रम में 22 साल बाद बिछड़े बेटे का अपनी मां और भाई से फिर से भावुक मिलन हुआ. बेटे से मिलकर मां की खुशी की ठिकाना नहीं रहा. वह पप्पूराम को लेकर वापस अपने घर लौट गई.

भरतपुर के बझेरा स्थित अपना घर आश्रम के सचिव बसंतलाल गुप्ता ने बताया कि उत्तरप्रदेश के जिला ललितपुर के निवासी प्रभुजी पप्पूराम (50) मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण 22 साल पहले बिना बताए घर से निकल गए थे. 1 मार्च 2024 को पप्पूराम को जोधपुर से अपना घर आश्रम भरतपुर में सेवा एवं उपचार के लिए भर्ती कराया गया. सेवा एवं उपचार के बाद पप्पूराम के स्वास्थ्य में सुधार हुआ, तो उन्होंने अपना पता बताया और अपना घर आश्रम की पुनर्वास टीम ने उनके घर के पते की सूचना पुलिस थाना ललितपुर में भिजवाई, जिसके बाद पप्पूराम के परिजनों को उनके जीवित और स्वस्थ होने की सूचना मिली.

इसे भी पढ़ें- पत्नी की मौत के बाद घर से निकले पति की 30 साल बाद हुई वापसी, परिजनों ने बनवा लिए थे डेथ सर्टिफिकेट - Returned home after 30 years

घर वालों ने छोड़ दी थी उम्मीद : सोमवार को पप्पूराम की मां प्रेमवती और छोटा भाई शिव कुमार अपना घर आश्रम पहुंचे. जब मां से बेटे को आश्रम में मिलवाया गया, तो मां-बेटे एक दूसरे से मिलकर फूले नहीं समाए. छोटे भाई शिव कुमार ने बताया कि 22 साल पहले पप्पूराम के घर निकलने के बाद पिताजी का देहांत हो गया था और उनकी पत्नि भी घर छोडकर चली गई. छोटे भाई का भी कोरोना काल में निधन हो गया. परिजनों के जीवन में मानो अंधकार सा छा गया. घर वालों ने पप्पूराम की काफी तलाश की, सभी ने हार मान ली, लेकिन मां को विश्वास था कि उनका बेटा जिंदा है और वो एक दिन जरूर आएगा.

भरतपुर. 22 साल पहले एक युवक मानसिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण घर छोड़कर निकल गया. उत्तर प्रदेश के ललितपुर के रहने वाले पप्पूराम को उनके घर वालों ने बहुत तलाशा, लेकिन युवक का कुछ पता नहीं चला. बेटे के गम में कुछ समय बाद पिता भी चल बसे. इसके बाद युवक की पत्नी ने भी बच्चों के साथ घर छोड़ दिया. काफी तलाशने के बाद भी युवक नहीं मिला, तो घरवालों ने उसके मिलेने की उम्मीद तक छोड़ दी, लोकिन मां को उम्मीद थी कि एक दिन उनका बेटा जरूर वापस आएगा और मां का यही विश्वास सोमवार को सच साबित हो गया. भरतपुर के अपना घर आश्रम में 22 साल बाद बिछड़े बेटे का अपनी मां और भाई से फिर से भावुक मिलन हुआ. बेटे से मिलकर मां की खुशी की ठिकाना नहीं रहा. वह पप्पूराम को लेकर वापस अपने घर लौट गई.

भरतपुर के बझेरा स्थित अपना घर आश्रम के सचिव बसंतलाल गुप्ता ने बताया कि उत्तरप्रदेश के जिला ललितपुर के निवासी प्रभुजी पप्पूराम (50) मानसिक रूप से कमजोर होने के कारण 22 साल पहले बिना बताए घर से निकल गए थे. 1 मार्च 2024 को पप्पूराम को जोधपुर से अपना घर आश्रम भरतपुर में सेवा एवं उपचार के लिए भर्ती कराया गया. सेवा एवं उपचार के बाद पप्पूराम के स्वास्थ्य में सुधार हुआ, तो उन्होंने अपना पता बताया और अपना घर आश्रम की पुनर्वास टीम ने उनके घर के पते की सूचना पुलिस थाना ललितपुर में भिजवाई, जिसके बाद पप्पूराम के परिजनों को उनके जीवित और स्वस्थ होने की सूचना मिली.

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घर वालों ने छोड़ दी थी उम्मीद : सोमवार को पप्पूराम की मां प्रेमवती और छोटा भाई शिव कुमार अपना घर आश्रम पहुंचे. जब मां से बेटे को आश्रम में मिलवाया गया, तो मां-बेटे एक दूसरे से मिलकर फूले नहीं समाए. छोटे भाई शिव कुमार ने बताया कि 22 साल पहले पप्पूराम के घर निकलने के बाद पिताजी का देहांत हो गया था और उनकी पत्नि भी घर छोडकर चली गई. छोटे भाई का भी कोरोना काल में निधन हो गया. परिजनों के जीवन में मानो अंधकार सा छा गया. घर वालों ने पप्पूराम की काफी तलाश की, सभी ने हार मान ली, लेकिन मां को विश्वास था कि उनका बेटा जिंदा है और वो एक दिन जरूर आएगा.

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