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बनारस में कांग्रेस की न्याय यात्रा; खोया जनाधार खोजने की कोशिश, जाति-धर्म के समीकरण पर विशेष फोकस

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 17, 2024, 12:52 PM IST

वाराणसी में आज राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा (Bharat Jodo Nyay Yatra) गुजर रही है. यात्रा के लिए जो रूट तय किया गया है. उसके जरिए पार्टी धार्मिक और जातिय समीकरण साधने की कोशिश की जा रही है. ताकि कांग्रेस अपना खोया जनाधार फिर से वापस पा सके.

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राहुल गांधी की न्याय यात्रा आज वाराणसी में है.

वाराणसी : पूर्वांचल में खोये जनाधार को पाने के लिए बेकरार कांग्रेस अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जरिए एक कोशिश कर रही है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा आज वाराणसी में निकल रही है. बनारस में जो यात्रा रूट तय किया गया है. उसमें धार्मिक और जातीय समीकरणों का पूरा ख्याल रखा गया है. तभी तो गांधी परिवार का कोई सदस्य पहली बार गोदौलिया इलाके से यात्रा निकाल रहा. राहुल गांधी की यह यात्रा लोकसभा चुनाव के पहले पूर्वांचल को साधने के लिए एक महत्वपूर्ण यात्रा मानी जा रही है. ऐसे में राहुल गांधी इसी रूट पर चलकर बनारस सीट के साथ ही पूर्वांचल के जिलों को साधने की कोशिश करेंगे.

बाबा विश्वनाथ की नगरी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा : लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां जनता के बीच अपने अपने चुनावी मुद्दों को लेकर जा रही है. विपक्षी पार्टियों ने भी INDIA गठबंधन बना लिया है. बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस ने भी राहुल गांधी के नेतृत्व भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू की है. यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गई है और अब बनारस पहुंच रही है.

यात्रा में रखा गया धार्मिक-जातीय समीकरण का ख्याल : बनारस में जो भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रूट बनाया गया है, उसके जरिए कांग्रेस हिंदू-मुस्लिम के साथ ही जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश कर रही है. चंदौली ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है और बनारस के पड़ाव में गोलगड्डा और पीली कोठी होते हुए जिस इलाके से ये यात्रा गुजरेगी वो मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. वहीं विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन कर वे ब्राह्मणों के साथ ही साथ हिंदुओं को साधने की कोशिश करेंगे.

पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिए पिछड़ों को साधने की कोशिश राजनीतिक विश्लेषक एके लारी कहते हैं कि, इस यात्रा में पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हो रहे हैं. ये दोनों ही नेता पिछड़े वर्ग से आते हैं. ऐसे में इन दोनों की मौजूदगी का फायदा उठाते हुए पार्टी पिछड़े वर्ग को भी साधने की पूरी कोशिश करेगी. ये दोनों ही नेता अपना एक जनाधार रखते हैं. काफी बड़ी संख्या में पिछड़े वोट को प्रभावित करते हैं. वहीं जब ये यात्रा भदोही में पहुंचेगी तो ज्ञानपुर ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है और इसके आगे मुस्लिम बाहुल्य इलाका आ जाएगी. वहीं बुनकरों को भी साधने की पूरी तैयारी है . चंदौली से कमलापति त्रिपाठी कांग्रेस के विधायक रहे हैं. कांग्रेस अपने इस पुराने जनाधार से फायदा उठाना चाहेगी.

गांधी परिवार का बनारस से पुराना नाता : राहुल गांधी से पहले पंडित मोतीलाल नेहरू,जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी भी बनारस आ चुकी हैं. जवाहरलाल नेहरू साल 1910 में पहली बार अपने पिता पंडित मोतीलाल नेहरू के साथ आए थे. फिर साल 1921 में बनारस में हो रहे काशी विद्यापीठ की स्थापना के मौके पर पहुंचे थे. फिर साल 1942 और 1946 में भी वे बनारस पहुंचे थे. आजादी के बाद प्रधानमंत्री बने नेहरू 1950 और 1952 में अपनी यात्रा पर काशी आए थे. इनके साथ ही पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने काशी की कई राजनीतिक और धार्मिक यात्राएं की थीं. वहीं राहुल गांधी की बनारस यात्रा एक तरीके से कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन भी मानी जा रही है. क्योंकि बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है.

'ब्रांड मोदी' को टक्कर देना नहीं होगा आसान उत्तर प्रदेश फिलहाल बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. इसीलिए कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में सीट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा. क्योंकि पीएम मोदी ने अपनी लगभग आधे से अधिक जनसभाएं पूर्वांचल के सभी जिलों को केंद्रित रखते हुए की हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद की लोकसभा सीट से दो बार लगातार बड़े मार्जिन से जीत दर्ज कर रहे हैं.

यह भी पढ़ें राहुल गांधी के काशी विश्वनाथ दर्शन कार्यक्रम पर जितेंद्रानंद सरस्वती बोले- यह चुनावी स्टंट, गैर हिंदुओं का भी स्वागत

यह भी पढ़ें कांग्रेस भारत जोड़ो न्याय यात्रा LIVE; किसान नेता योगेंद्र यादव से मुलाकात कर राहुल का कारवां गोलगड्ढा चौराहे की ओर बढ़ा

राहुल गांधी की न्याय यात्रा आज वाराणसी में है.

वाराणसी : पूर्वांचल में खोये जनाधार को पाने के लिए बेकरार कांग्रेस अब राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के जरिए एक कोशिश कर रही है. भारत जोड़ो न्याय यात्रा आज वाराणसी में निकल रही है. बनारस में जो यात्रा रूट तय किया गया है. उसमें धार्मिक और जातीय समीकरणों का पूरा ख्याल रखा गया है. तभी तो गांधी परिवार का कोई सदस्य पहली बार गोदौलिया इलाके से यात्रा निकाल रहा. राहुल गांधी की यह यात्रा लोकसभा चुनाव के पहले पूर्वांचल को साधने के लिए एक महत्वपूर्ण यात्रा मानी जा रही है. ऐसे में राहुल गांधी इसी रूट पर चलकर बनारस सीट के साथ ही पूर्वांचल के जिलों को साधने की कोशिश करेंगे.

बाबा विश्वनाथ की नगरी में भारत जोड़ो न्याय यात्रा : लोकसभा चुनाव से पहले सभी पार्टियां जनता के बीच अपने अपने चुनावी मुद्दों को लेकर जा रही है. विपक्षी पार्टियों ने भी INDIA गठबंधन बना लिया है. बीजेपी को केंद्र की सत्ता से हटाने के लिए पूरी कोशिश कर रहे हैं. ऐसे में कांग्रेस ने भी राहुल गांधी के नेतृत्व भारत जोड़ो न्याय यात्रा मणिपुर से शुरू की है. यह उत्तर प्रदेश में प्रवेश कर गई है और अब बनारस पहुंच रही है.

यात्रा में रखा गया धार्मिक-जातीय समीकरण का ख्याल : बनारस में जो भारत जोड़ो न्याय यात्रा का रूट बनाया गया है, उसके जरिए कांग्रेस हिंदू-मुस्लिम के साथ ही जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश कर रही है. चंदौली ब्राह्मण बाहुल्य इलाका है और बनारस के पड़ाव में गोलगड्डा और पीली कोठी होते हुए जिस इलाके से ये यात्रा गुजरेगी वो मुस्लिम बाहुल्य इलाका है. वहीं विश्वनाथ मंदिर में दर्शन-पूजन कर वे ब्राह्मणों के साथ ही साथ हिंदुओं को साधने की कोशिश करेंगे.

पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य के जरिए पिछड़ों को साधने की कोशिश राजनीतिक विश्लेषक एके लारी कहते हैं कि, इस यात्रा में पल्लवी पटेल और स्वामी प्रसाद मौर्य भी शामिल हो रहे हैं. ये दोनों ही नेता पिछड़े वर्ग से आते हैं. ऐसे में इन दोनों की मौजूदगी का फायदा उठाते हुए पार्टी पिछड़े वर्ग को भी साधने की पूरी कोशिश करेगी. ये दोनों ही नेता अपना एक जनाधार रखते हैं. काफी बड़ी संख्या में पिछड़े वोट को प्रभावित करते हैं. वहीं जब ये यात्रा भदोही में पहुंचेगी तो ज्ञानपुर ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र है और इसके आगे मुस्लिम बाहुल्य इलाका आ जाएगी. वहीं बुनकरों को भी साधने की पूरी तैयारी है . चंदौली से कमलापति त्रिपाठी कांग्रेस के विधायक रहे हैं. कांग्रेस अपने इस पुराने जनाधार से फायदा उठाना चाहेगी.

गांधी परिवार का बनारस से पुराना नाता : राहुल गांधी से पहले पंडित मोतीलाल नेहरू,जवाहर लाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और सोनिया गांधी भी बनारस आ चुकी हैं. जवाहरलाल नेहरू साल 1910 में पहली बार अपने पिता पंडित मोतीलाल नेहरू के साथ आए थे. फिर साल 1921 में बनारस में हो रहे काशी विद्यापीठ की स्थापना के मौके पर पहुंचे थे. फिर साल 1942 और 1946 में भी वे बनारस पहुंचे थे. आजादी के बाद प्रधानमंत्री बने नेहरू 1950 और 1952 में अपनी यात्रा पर काशी आए थे. इनके साथ ही पूर्व पीएम इंदिरा गांधी ने काशी की कई राजनीतिक और धार्मिक यात्राएं की थीं. वहीं राहुल गांधी की बनारस यात्रा एक तरीके से कांग्रेस का शक्ति प्रदर्शन भी मानी जा रही है. क्योंकि बनारस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है.

'ब्रांड मोदी' को टक्कर देना नहीं होगा आसान उत्तर प्रदेश फिलहाल बीजेपी का गढ़ बना हुआ है. इसीलिए कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में सीट हासिल करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाना होगा. क्योंकि पीएम मोदी ने अपनी लगभग आधे से अधिक जनसभाएं पूर्वांचल के सभी जिलों को केंद्रित रखते हुए की हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद की लोकसभा सीट से दो बार लगातार बड़े मार्जिन से जीत दर्ज कर रहे हैं.

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