नई दिल्ली: रंगमंच प्रमियों के लिए आज से दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में भारत रंग महोत्सव (भारंगम) की शुरुआत हो गई. 10 फरवरी तक सभी नाटकों का मंचन केवल NSD में किया जाएगा. 11 फरवरी से 21 फरवरी के बीच NSD के अलावा कमानी, एलटीजी, एसआरसी और मेघदूत सभागार में नाटकों का मंचन किया जाएगा. हर बार की तरह इस बार भी भारंगम में नाटकों की शुरुआत से पहले संस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया जाएगा.
NSD के फेस्टिव सेल के सदस्य दीपक जोशी ने बताया कि 21 दिनों तक चलने वाले इस महोत्सव की शुरुआत कल, 1 फरवरी से मुंबई में हुई. वहीं 21 फरवरी को दिल्ली के कमानी सभागार में इसका समापन किया जाएगा. इस बार NSD 25वें भारंगम का आयोजन कर रहा है जो कई तरह से खास है. इस बार भारंगम को अंतरराष्ट्रीय स्तर बहुत बड़ा फेस्टिवल होने वाला है.
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हर बार की तरह इस बार भी भारंगम में प्रत्येक नाटक के शुरू होने से पहले संस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया जाएगा. इसका मुख्य उद्देश रंगमंच प्रमियों को भारत की लोक संस्कृति से जोड़ना है. आज, 2 फरवरी को सभी नाटकों के शुरू होने से राजस्थान के लोक नृत्य को प्रस्तुत किया गया.
इसके अलावा NSD के चहुंमुख सभागार में रोमियो जूलियट एंड डार्कनेस उपन्यास पर आधारित नाटक का मंचन किया गया. नाटक का निर्देशन NSD के तृतीय वर्ष के छात्र रजनीश कुमार द्वारा किया गया. उन्होंने बताया कि भारंगम में जिन नाटकों का निर्देशन NSD के विद्यार्थियों द्वारा किया जाता है, उसको तैयार करने के 21 दिनों का समय मिलता है.
इसमें मंचन करने वाले सभी आर्टिस्ट NSD के स्टूडेंट्स होते हैं. बाहर के कलाकारों को इसमें शामिल नहीं किया जाता है. सबसे ज्यादा आनंद नाटक को लिखने में आया. सभी ने एक टीम की तरह काम किया. रोमियो जूलियट एंड डार्कनेस उपन्यास को इसलिए चुना क्योंकि वर्तमान में कई देशों में युद्ध हो रहे हैं और इस नाटक में दिखाया गया कि युद्ध से केवल मानवता का अंत होता है. मानवता को सजग रखने का सबसे सशक्त माध्यम प्रेम है.
वहीं शाम को नाटक का पंडवानी रूप छत्तीसगढ़ से उत्पन्न हुआ और यह संगीत प्रारूप में प्रस्तुत किया गया. नाटक में 7 सदस्य और 1 मुख्य गायिका रहीं. दूसरे नाटक का नाम विदिशा प्रहसन रहा. यह महाकवि कालिदास मालविकाग्निमित्रम् पर आधारित है और इसका निर्देशन सी.आर. जंबे ने किया. बता दें कि 25वें वर्ष, भारत रंग महोत्सव (बीआरएम) में 15 से अधिक कार्यशालाओं, चर्चाओं और मास्टर कक्षाओं के साथ-साथ 150 से अधिक प्रदर्शन हो रहे हैं. जो भारतीय और वैश्विक थिएटर परंपराओं की एक समृद्ध टेपेस्ट्री प्रदान करेंगी.
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