रायपुर : साल 2024 में भाद्रपद महीने में प्रदोष का व्रत 31 अगस्त शनिवार को मनाया जाएगा. शनिवार के दिन प्रदोष व्रत पड़ने पर इसे शनि प्रदोष भी कहा जाता हैं. जातक के जीवन में सुख शांति और समृद्धि और खुशहाली लाते हैं. प्रदोष व्रत के दिन उमा महेश्वर की स्तुति करने से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती की पूजा आराधना की जाती है.
प्रदोष व्रत का महत्व : काली मंदिर के पंडित धनेंद्र कुमार दुबे ने बताया, "प्रदोष का व्रत हर महीने त्रयोदशी तिथि के दिन मनाया जाता है. प्रदोष का व्रत भगवान शिव के लिए समर्पित माना गया है. प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा बेलपत्र, शमी पत्र, आंक के फूल, धतूरा, मदार का फूल और विजया औषधि भी भगवान शिव को अर्पित करनी चाहिए. जातक को बेल का फल भी चढ़ाना चाहिए."
"प्रदोष व्रत के दिन भगवान भोलेनाथ के सामने जातक अगर उमा महेश्वर स्तुति का पाठ करते हैं तो यह अति फलदायक माना जाता है. उमा महेश्वर की स्तुति करने से भगवान भोलेनाथ और माता पार्वती दोनों की पूजा एक साथ हो जाती हैं. प्रदोष का व्रत शनिवार के दिन पड़ने की वजह से इसे शनि प्रदोष के नाम से भी जानते हैं." - धनेंद्र कुमार दुबे, पंडित, काली मंदिर रायपुर
भगवान शिव को इस मंत्र जाप से करें प्रसन्न : प्रदोष व्रत के दिन रुद्राभिषेक भी कराया जा सकता है. रुद्राभिषेक तीन विधियों से कराया जाता है. लघु रुद्राभिषेक, दीर्घ रुद्राभिषेक और नमक चमक से भी रुद्राभिषेक किया जाता है. भगवान भोलेनाथ की रुद्राभिषेक गन्ने के रस से, सरसों के तेल से और दूध से भी किया जा सकता है. आज के दिन मन ही मन "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप भी करना चाहिए.
प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त : हिंदू पंचांग के अनुसार, भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 30 अगस्त की देर रात 2:25 पर शुरू होगी. इसका समापन 1 सितंबर 2024 की सुबह 3:40 पर होगा. इसलिए भाद्रपद महीने के प्रदोष व्रत 31 अगस्त 2024 शनिवार के दिन रखा जाएगा. प्रदोष व्रत की पूजा का समय 31 अगस्त की शाम 6:45 से रात्रि 8:59 तक रहेगा.
प्रदोष व्रत की पूजा विधि : प्रदोष व्रत में शाम के समय पूजा के लिए आंक के फूल, बेलपत्र, धूप, दीप, रोली, अक्षत, फल, मिठाई और पंचामृत सहित पूजा सामग्री को एक थाली में रखें. प्रदोष व्रत के दिन सूर्योदय से पहले स्नान ध्यान से निवृत होकर साफ स्वच्छ कपड़े पहने. मंदिर की साफ सफाई करें. शिवजी की प्रतिमा के सामने दीपक प्रज्वलित करें. शिवलिंग पर जलाभिषेक करें और शिवजी की विधि विधान से पूजा करें. शाम को प्रदोष काल में शिवलिंग पर फिर से जलाभिषेक करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को बेलपत्र धतूरा और आंक के फूल अर्पित करें. इसके बाद सभी देवी देवताओं के साथ शिवजी की आरती उतारे.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें पंडित जी की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.