लखनऊ: भारतीय जनता पार्टी ने बुधवार को यूपी की बची हुई सीटों पर टिकट घोषित किए थे तो एक और टिकट गुरुवार की दोपहर घोषित कर दिया. भाजपा ने भदोही संसदीय सीट के लिए अपने सहयोगी दल निषाद पार्टी के विधायक डॉ. विनोद कुमार बिंद को चुना है.
इस सीट से अपने वर्तमान सांसद रमेश बिंद का टिकट भारतीय जनता पार्टी ने काट दिया है. बता दें कि निषाद पार्टी का उम्मीदवार भाजपा के सिंबल कमल पर ही चुनाव लड़ेगा. भाजपा ने अब तक कुल 71 टिकट घोषित कर दिए हैं. इन 71 सीटों में 14 सांसदों का टिकट काटा गया है.
माना जा रहा है कि बचे हुए चार टिकट में बहुत अधिक जटिल समीकरण होने की वजह से थोड़े समय का और इंतजार किया जाएगा. बचे हुए चार टिकट में देवरिया, कैसरगंज, रायबरेली और फीरोजाबाद सीट बाकी है.
मझवां विधानसभा क्षेत्र से विधायक विनोद कुमार बिंद राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की ओर से उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में साल 2022 में निषाद पार्टी की ओर से चुनाव लड़े थे. इस बार भारतीय जनता पार्टी से चुनाव लड़ेंगे. भदोही में भारतीय जनता पार्टी के वर्तमान सांसद रमेश बिंद के खिलाफ सर्वे रिपोर्ट खराब थी.
इसलिए उन्हें के समुदाय से आने वाले डॉ. विनोद कुमार बिंद को भारतीय जनता पार्टी ने चुना है. विधायक होने के नाते भदोही लोकसभा सीट की एक विधानसभा सीट पर डॉ. विनोद कुमार बिंद का प्रभाव काफी अच्छा है. इस सीट पर मल्लाह बड़ी संख्या में हैं.
ऐसे में डॉ. विनोद कुमार बिंद यहां के लिए उपयोगी उम्मीदवार माने जा रहे हैं. राष्ट्रीय महामंत्री अरुण कुमार सिंह की ओर से जारी मात्र एक सीट की सूची में उनका नाम जारी किया गया है. जैसा कि हनुमंत की भारतीय जनता पार्टी पहले 51 टिकट के बाद में अपनी अगली सूचियों में लगातार पुराने सांसदों के नाम काटेगी, कुछ वैसा ही होता जा रहा है. एक ओर संसद का टिकट कटने के बाद उत्तर प्रदेश में कुल 14 वर्तमान सांसद अपना टिकट गवां चुके हैं.
कौन हैं डॉ. विनोद कुमार बिंद, जिन्हें भाजपा ने बनाया प्रत्याशी: भाजपा प्रत्याशी मूलरूप से चन्दौली के कवई पहाड़पुर के रहने वाले हैं. बेहद ही सामान्य परिवार जन्मे और आर्थिक विषमताओं के बीच अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया. गोल्ड मेडल प्राप्त करते हुए ऑर्थोपेडिक सर्जन बने. उन्होंने बतौर डॉक्टर गरीब जरूरतमंदों की दिल खोलकर मदद की और बहुत ही कम दिन में चन्दौली जिले के सबसे बड़े डॉक्टर के तौर पर अपनी पहचान स्थापित की.
वे अपने समाज और लोगों के बीच एक आइडियल के तौर पर उभरे. उन्होंने बिंद बिरादरी समेत गरीब बच्चियों की सामूहिक शादी का बीड़ा उठाया. पिछले 10 साल में करीब 1 हजार बेटियों की शादी करा चुके हैं. उनकी उभरती सामाजिक क्षवि से प्रभावित होकर अखिलेश यादव ने उन्हें पार्टी ज्वाइन कराते हुए प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल किया. लेकिन मिर्जापुर के मझवां विधानसभा सीट से टिकट न मिलने पर उन्होंने निषाद पार्टी ज्वाइन करते हुए बतौर एनडीए उम्मीदवार चुनाव लड़े और कम समय मिलने के बावजूद प्रचंड जीत दर्ज की.
इस जीत ने उन्हें विशेषज्ञ डॉक्टर से एक मंझे हुए राजनेता के तौर पर पहचान दी. विधायक बनने के लिए बाद उनका राजनीतिक और सामाजिक दायरा बढ़ा. वे मिर्जापुर के साथ ही भदोही में खासे सक्रिय रहे. जिसके बाद लोगों के बीच उन्हें सांसद बनाने आवाज बुलंद होने लगी. खास बात यह है कि डॉ. विनोद बिंद चन्दौली मिर्जापुर भदोही समेत पूर्वांचल में बिंद बिरादरी के बड़े नेता माने जाते हैं.
भदोही सीट पर उनके टिकट मिलने से भाजपा को चन्दौली और मिर्जापुर सीट पर भी खासा फायदा होगा. साथ ही भदोही में बिंद बाहुल्य क्षेत्र में भाजपा ने पिछड़ा कार्ड खेलकर सपा के PDA फॉर्मूले की हवा निकाल दी. ललितेश पति त्रिपाठी 2012 में मिर्जापुर के मड़ीहान से विधायक रहे हैं. वे पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी के परपोते हैं. 2021 में उन्होंने कांग्रेस छोड़कर टीएमसी ज्वाइन किया था और अब सपा के टिकट पर भदोही से उम्मीदवार है.