बैतूल। जिले के घोड़ाडोंगरी तहसील के दानवाखेड़ा गांव में सड़क नहीं होने के कारण शव को पोस्टमार्टम के लिए पहुंचने के लिए ग्रामीणों को शव को कंधे पर रखकर करीब 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. वहीं पोस्टमार्टम करने के बाद दोबारा घर ले जाने के लिए भी ग्रामीणों को शव को कंधे पर रखकर 10 किलोमीटर पैदल चलना पड़ा. यह तस्वीर सरकार के विकास की पोल खोल रही है. जहां सरकार गांव-गांव पक्की सड़क का दावा करती है, वहीं घोड़ाडोंगरी तहसील के दानवाखेड़ा गांव से रामपुर तक करीब 10 किलोमीटर तक पक्की सड़क नहीं होने के कारण आज भी ग्रामीण कीचड़ भरी कच्ची सड़क से आवाजाही करते हैं.
पोस्टमार्टम के बाद डेडबॉडी फिर कंधों से लाए
बैतूल जिले की घोड़ाडोंगरी तहसील के दानवाखेड़ा गांव में नदी में डूबने से उदन शाह (55 साल) की मौत हो गई. मौके पर चोपना पुलिस मौके पर पहुंची. रामपुर से दानवाखेड़ा गांव तक करीब 10 किलोमीटर तक पक्की सड़क नहीं होने एवं बारिश के कारण कीचड़ होने के कारण गांव तक कोई वहां नहीं पहुंच सका. ग्रामीणों द्वारा डेडबॉडी कंधे पर उठाकर करीब 10 किलोमीटर सड़क तक रामपुर लाया गया. जहां से शव को घोड़ाडोंगरी अस्पताल लाया गया. गुरुवार को शव का पोस्टमार्टम करा कर शव परिजनों को सौंप दिया. लेकिन दोबारा ग्रामीणों को रामपुर से दानवाखेड़ा तक कीचड़ भरी सड़क पर शव को कंधे पर उठाकर ले जाना पड़ा. इसके बाद शव का अंतिम संस्कार किया गया.
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कंधे पर शव रखकर कीचड़ में 2 घंटे चले परिजन
चोपना थाना प्रभारी राकेश सरियाम ने बताया "गांव तक पहुंचने के लिए पक्की सड़क नहीं होने के कारण जैसे तैसे पुलिस गांव पहुंची. इसके बाद ग्रामीणों की मदद से शव को कंधे पर उठवाकर करीब 10 किलोमीटर दूर रामपुर तक लाए. रामपुर से शव को वाहन से घोड़ाडोंगरी अस्पताल लाया गया." मृतक के भाई जगन सिंह ने बताया "पक्की सड़क नहीं होने के कारण शव को कंधे पर उठाकर 2 घंटे तक चलते रहे. रामपुर से शव को वाहन में रख घोड़ाडोंगरी अस्पताल लाया गया." बता दें कि यहां बारिश में तो कच्ची सड़क इतनी खराब हो जाती है कि गांव में कोई वाहन नहीं पहुंच पाता. ग्रामीण कई वर्षों से गांव में सड़क निर्माण की मांग कर रहे हैं.