अलवर. शहर के पुराना कटला सुभाष चौक स्थित भगवान जगन्नाथ मंदिर के प्रांगण में तीन दिनों तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है. यहां आने वाले श्रद्धालु मन्नत का नारियल बांधते हैं और मनोकामना पूर्ण होने की कामना करते हैं. लोगों का मानना है कि जब भगवान 72 घंटे गर्भ गृह में विश्राम करते हैं, तब आराम के दौरान श्रद्धालु की मनोकामना सुनते हैं और उन्हें जल्द से जल्द पूर्ण करते हैं. विदेश में बैठे भक्त भी व्हाट्सएप के जरिए मंदिर के महंत से मन्नत के नारियल बंधवाते हैं.
मंदिर के महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने कहा कि भगवान जब गर्भ गृह में 72 घंटे के लिए जाते हैं, तब राजस्थान ही नहीं बल्कि अन्य क्षेत्रों से भी श्रद्धालु मंदिर में आकर भगवान के आगे अपनी मनोकामनाएं रखते हैं और मन्नत का नारियल बांधते हैं. उन्होंने बताया कि तीन दिन में हजारों की संख्या में श्रद्धालु मंदिर परिसर में पहुंचकर नारियल बांधते हैं. जिन श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण होती है, वे मंदिर परिसर में बांधा हुआ मन्नत का नारियल खोलते हैं.
डायरी में लिखते हैं भगवान जगन्नाथ के नाम मनोकमना: महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया मंदिर में आने वाले श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के आगे रखी डायरी में अपनी मनोकामना लिखते हैं. इनमें अमूमन शादी, संतान, नौकरी, विदेश यात्रा, व्यापार, घर में खुशहाली से संबंधित व अन्य तरह की मनोकामना होती है. महंत ने बताया कि श्रद्धालुओं का मानना है कि इन तीन दिनों में भगवान आराम के दौरान श्रद्धालुओं की मनोकामना पूर्ण करते हैं. जिसके चलते भक्तों की भारी भीड़ मंदिर परिसर में रहती है.
महंत से व्हाट्सएप पर करते हैं बात व बंधवाते हैं नारियल: महंत पुष्पेंद शर्मा ने बताया कि भगवान जगन्नाथ कि आस्था लोगों में इतनी है कि भक्त सुबह 5 बजे से मंदिर परिसर में मन्नत का नारियल बांधने के लिए पहुंचते हैं. उन्होंने कहा कि जो भक्त भारत से बाहर हैं और मंदिर के प्रति आस्था रखते हैं, वे व्हाट्सएप पर बात कर पूजा करते है व नारियल बंधवाते हैं.
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महंत पुष्पेंद्र शर्मा ने कहा कि इन 72 घंटे के समय में भगवान की अंग सेवा की जाती है. उस समय मंदिर परिसर में जाकर भगवान को नारियल बांधते हैं. मंदिर के महंत ने कहा कि भक्तों का विश्वास है कि भगवान अभी आराम कर रहे हैं, तो वह भक्तों को दर्शन तो नहीं देंगे, लेकिन भक्तों की मनोकामना को अवश्य पूर्ण करेंगे. इसी के चलते भक्तों की संख्या इन दिनों में ज्यादा रहती है. इसीलिए मंदिर में ज्यादा से ज्यादा नारियल बांधे जाते हैं.
मन्नत पूर्ण होने पर खोलते हैं नारियल: पुष्पेंद्र शर्मा ने बताया कि मंदिर परिसर में हर साल श्रद्धालु मनोकामना पूर्ण होने के बाद नारियल खोलने के लिए भी आते हैं. जो श्रद्धालु मंदिर में नहीं पहुंच पाते, इनके लिए मेले से पहले 11 पंडितों द्वारा मंत्रोचार के साथ सभी नारियलों को खोला जाता है. ऐसा माना जाता है कि भक्तों की सभी मनोकामना पूर्ण हो गई है. इसके बाद सभी नारियलों को खोला जाता है. इसके बाद आने वाले श्रद्धालु नए नारियल बांधते हैं.