नई दिल्ली: दिल्ली में 26 साल बाद एक बार फिर चुनाव से पहले सीएम का चेहरा बदला जाएगा. तब प्याज की कीमतों में बढ़ोत्तरी पर सीएम को बदला गया था, अब कथित शराब घोटाले के आरोपों को लेकर पार्टी सीएम का चेहरा बदल रही है. हालांकि, तब (1998 में) भाजपा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को हटाकर सुषमा स्वराज को सीएम बनाया था. लेकिन भाजपा का यह दांव फेल हो गया था. पार्टी अगले चुनाव में बुरी तरह हार गई थी. इस बार 2024 में आम आदमी पार्टी (AAP) सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने खुद अपने पद (मुख्यमंत्री पद) से इस्तीफा देने का ऐलान किया है. दरअसल, केजरीवाल 13 सितंबर को ही जमानत पर बाहर आए हैं. अब देखना यह है कि क्या AAP अगले विधानसभा चुनाव में लगातार चौथी बार जीत दर्ज करती है या नहीं?
राजनीतिक विश्लेषक हरीश अवस्थी बताते हैं, "करीब 26 साल पहले भी दिल्ली में कुछ ऐसा ही हुआ था. विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने अपना मुख्यमंत्री का चेहरा बदला था. नतीजा यह रहा कि पार्टी को चुनाव में करारी हार का सामना करना पड़ा, तब से लेकर आज तक बीजेपी दिल्ली की सत्ता से दूर है."
49 से 15 सीट पर सिमट गई थी भाजपाः 1998 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री का चेहरा बनाकर उनके नेतृत्व में विधानसभा चुनाव लड़ा था, लेकिन पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा. 1993 के विधानसभा चुनाव में दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से बीजेपी 49 सीट जीती थी. वहीं, 1998 में हुए चुनाव में सुषमा स्वराज के नेतृत्व में बीजेपी 15 सीटें ही जीत सकी. 1998 में कांग्रेस की दिल्ली में सरकार बनी और शीला दीक्षित दूसरी महिला मुख्यमंत्री बनीं थीं. शीला दीक्षित एकमात्र ऐसी मुख्यमंत्री थीं, जिनके नेतृत्व में दिल्ली में कांग्रेस ने लगातार तीन बार कार्यकाल पूरा किया.
"1998 में दिल्ली में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले बीजेपी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा को हटाकर उनकी जगह बीजेपी की तेजतर्रार नेता सुषमा स्वराज को मुख्यमंत्री बनाया था. सुषमा स्वराज दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री बनीं थी. लेकिन तब सुषमा स्वराज सिर्फ 53 दिन तक मुख्यमंत्री पद पर रहीं. उस चुनावी वर्ष में नमक और प्याज की कीमत में बेतहाशा बढ़ोतरी हो गयी थी, तभी सुषमा स्वराज दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं थी." -मनोज मिश्रा, वरिष्ठ पत्रकार
केजरीवाल तीन बार CM बने लेकिन एक बार ही पूरा किया कार्यकालः शीला दीक्षित के बाद दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने में सफल रही. लेकिन केजरीवाल मंगलवार को इस्तीफा सौंप देंगे. इस तरह वह तीन बार मुख्यमंत्री बनने के बाद भी सिर्फ एक कार्यकाल ही पूरा कर सकेंगे. पहली बार दिसंबर 2013 में जब आम आदमी पार्टी की सरकार बनी थी तो 49 दिनों में ही केजरीवाल ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था. इसके बाद दिल्ली में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया था.
2015 में विधानसभा चुनाव हुआ, जिसमें आम आदमी पार्टी को फिर पूर्ण बहुमत मिला. 2015 से लेकर 2020 तक अरविंद केजरीवाल पूरे कार्यकाल में मुख्यमंत्री पद पर काबिज रहे. तीसरी बार फरवरी 2020 में जब अरविंद केजरीवाल तीसरी बार दिल्ली के मुख्यमंत्री बने तो अब विधानसभा चुनाव से ठीक पहले वे पद से इस्तीफा देने वाले हैं.
मंगलवार को दूसरी बार सीएम पद से इस्तीफा देंगे केजरीवालः दिल्ली का अगला मुख्यमंत्री कौन होगा? इस पर सबकी नजरें टिकीं हुई हैं. आम आदमी पार्टी (AAP) के राष्ट्रीय संयोजक और लगातार तीसरी बार मुख्यमंत्री बने अरविंद केजरीवाल मंगलवार शाम 4:30 बजे उपराज्यपाल (LG) वीके सक्सेना से मिलेंगे. इस मुलाकात में वे मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे देंगे. इसके बाद दिल्ली को नया मुख्यमंत्री मिलेगा और दिल्ली में होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी नए मुख्यमंत्री के साथ ही चुनाव मैदान में उतरेगी. लगभग यह तय हो चुका है.
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