भिवानी: हरियाणा विधानसभा के तहत आने वाला भिवानी का बवानीखेड़ा विधानसभा क्षेत्र, जहां से वर्तमान में सामाजिक न्याय व अधिकारिता राज्य मंत्री बिसम्बर वाल्मीकि बीजेपी के खिलाफ है. इस विधानसभा क्षेत्र में कुल दो लाख 14 हजार 799 मतदाता है. जिनमें एक लाख 14 हजार 364 पुरूष मतदाता व एक लाख 3 हजार 594 महिला मतदाता है. इस विधानसभा में मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच होता नजर आ रहा है. भाजपा से जहां बिसम्बर वाल्मीकि प्रत्याशी बनाए जाने की चर्चा है. वहीं, भाजपा से सुरेश ओड, किरण चौधरी समर्थक जयसिंह वाल्मीकि व मनमोहन भुरटाना सहित एक दर्जन से अधिक भाजपाई टिकट मांग रहे हैं.
किसको कितने वोट से मिली जीत: कांग्रेस की बात करें तो यहां से पूर्व विधायक रामकिशन फौजी, मास्टर सतबीर रतेरा, महेंद्र सिंह ओड, विनोद भूषण दहिया सहित 78 कांग्रेसियों ने टिकट के लिए आवेदन किया है. इस हल्के में वर्ष 2024 में बीजेपी के बिसम्बर वाल्मीकि ने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस के रामकिशन फौजी को 11 हजार के लगभग मतों से हराया था. 2024 के चुनाव में यहां 67 प्रतिशत मतदान हुआ था. जिसमें भाजपा के बिसम्बर वाल्मीकि को 38.51 प्रतिशत तथा कांग्रेस के रामकिशन फौजी को 30.50 प्रतिशत वोट मिले थे. तीसरे स्थान पर रहने वाले जननायक जनता पार्टी के रामसिंह वैद ने भी 22 हजार से अधिक मत प्राप्त किए थे. पिछले लोकसभा चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र से कांटे का मुकाबला रहा.
बीजेपी-कांग्रेस में कितने वोटों का फासला: इस हल्के से भारतीय जनता पार्टी के रणजीत चौटाला व कांग्रेस के जयप्रकाश के बीच मात्र 285 वोटों का अंतर रहा. जिसमें कांग्रेस के जयप्रकाश 285 वोटों से जीते. जिसमें कांग्रेस उम्मीदवार ने इस हल्के से जीत दर्ज की थी. वर्तमान में इस हल्के के राजनीतिक सेनेरियो की बात करें यहां मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच है. क्योंकि इस हल्के में जाट मतदाताओं का भी अच्छा प्रभाव था तथा यहां से जननायक जनता पार्टी व इससे पूर्व इनेलो के उम्मीदवार अच्छे-खासे मत प्राप्त करते रहे है.
किसान आंदोलन का बीजेपी की जीत पर पड़ेगा असर!: अबकी बार किसान आंदोलन के प्रभाव के चलते ये मतदाता छिटककर कांग्रेस की तरफ जाते नजर आ रहे है. लेकिन कांग्रेस में बड़ी संख्या में टिकटार्थी होने के चलते कांग्रेस के टिकट ना मिलने से नाराज टिकटार्थी कांग्रेस का खेल निर्दलीय या क्षेत्रीय दलों की टिकट लेकर बिगाड़ सकते हैं. जिसका फायदा भारतीय जनता पार्टी को हो सकता है.
बवानीखेड़ा सीट का इतिहास: बवानीखेड़ा विधानसभा से पिछले 10 वर्षो से भाजपा के बिसंबर वाल्मीकि विधायक है. इससे पूर्व 1999 से 2014 तक कांग्रेस के रामकिशन फौजी यहां से तीन बार लगातार विधायक रहे. इससे पूर्व 1967 से लेकर 1999 तक यहां से जगन्नाथ व अमर सिंह बार-बार विधायक व मंत्री बने रहे. सिर्फ एक बार 1972 में सूबेदार प्रभु सिंह यहां से निर्दलीय विधायक बने थे. राजनीतिक रूप से यह हल्का भले ही रिजर्व रहा हो, लेकिन इस हल्के के गांव बलियाली के घनश्याम सर्राफ वर्तमान में भिवानी से विधायक है.
लंबे समय से लटकी है मांग: बवानीखेड़ा विधानसभा हल्के के मुद्दों की बात करें तो बवानीखेड़ा को उपमंडल बनाए जाने की मांग लंबे समय से पूरी नहीं हो पाई है. इस हल्के में पानी के लिए मुख्य साधन सुंदर ब्रांच नहर में 42 दिन में चार से पांच दिन पानी चलता है. जबकि यहां के लोगों की मांग है कि इस नहर में दो हफ्ते पानी छोड़ा जाना चाहिए. क्योंकि इस हल्के में अधिकतर स्थानों पर पीने के पानी की सप्लाई में खारे भूमिगत जल का प्रयोग किया जाता है.
बवानीखेड़ा पिछड़ा हुआ इलाका: वहीं, बवानीखेड़ा हल्के के गांव प्रेमनगर में मेडिकल कॉलेज बनाए जाने की मांग को लेकर प्रेमनगर क्षेत्र के लोग धरना देते रहे. लेकिन ये मेडिकल कॉलेज भिवानी शहर में बनाया गया. बवानीखेड़ा कस्बा में खेल स्टेडियम, लड़कों का कॉलेज व आईटीआई की मांग भी उठाई जाती रही है. इस हल्के में कोई भी उद्योग नहीं है, जिसके चलते यह हल्का रोजगार के क्षेत्र में भी पिछड़ा हुआ है.
बवानीखेड़ा हल्के की खासियत: इस इलाके में करीब 250 लड़कियां रोजाना फुटबॉल खेलती है. इसलिए गांव अलखपुर को लड़कियों का मिनी ब्राजील कहते हैं. यहां पर सुब्रतो कप, संतोष ट्रॉफी जीतने का रिकॉर्ड भी इस गांव की महिला फुटबॉलरों का है. बवानीखेड़ा का गांव कुंगड़, देशभर में मुर्राह नस्ल की भैंसों व सांडों के लिए जाना जाता है. इस गांव में काला सोना कहलाने वाली करीब 2 हजार 46 मुर्राह नस्ल की भैंसें है. खास ये कि इन भैंसों की कीमत लग्जरी गाड़ियों से भी ज्यादा है. गांव रोहनात में वर्ष 2018 से पहले गणतंत्र दिवस व स्वतंत्रता दिवस पर भी तिरंगा झंडा नहीं फहराया जाता था. पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने 2018 को गांव रोहनात में पहुंचकर यहां झंडा फहराने की प्रथा शुरू करवाई.