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पूर्व विधायक ने बस्ती सीएमओ के खिलाफ खोला मोर्चा, स्वास्थ्य बजट में करोड़ों के गबन का आरोप - Scam in Basti Health Department

बीजेपी के पूर्व विधायक संजय जायसवाल ने सीएम को पत्र लिख कर बस्ती के सीएमओ पर एक्शन लेने की गुहार लगाई है. सीएमओ पर एलोपैथी और सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट में 2 करोड़ 46 लाख के गबन का गंभीर आरोप है. फिलहाल उनकी जांच रिपोर्ट की फाइल शासन में पेंडिंग है. SCAM IN BASTI HEALTH DEPARTMENT

आरएस दुबे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी बस्ती
आरएस दुबे, मुख्य चिकित्सा अधिकारी बस्ती (Photo Credit: ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Aug 12, 2024, 7:36 PM IST

बस्ती सीएमओ पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर ईटीवी भारत की खबर. (Video Credit : ETV Bharat)

बस्ती : लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भाजपा विधायक और यूपी सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर काफी सख्ती से पेश आ रही है. कुछ दिनों पहले योगी सरकार के कई विधायकों ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला था. विधायकों का आरोप है कि कुछ अफसर सरकार की छवि खराब कर रहे हैं. इसी क्रम में बस्ती के सीएमओ पर गंभीर आरोप लगे थे. तत्कालीन डीएम की जांच में आरोपी अफसर दोषी मिले थे. इसके बाद शासन को भेजी गई रिपोर्ट पर अबतक कार्रवाई नहीं हुई है. ऐसे में भाजपा नेता सीएम से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.



मामला बस्ती के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएस दुबे से जुड़ा है. बताया जा रहा है कि तत्कालीन डीएम आंद्रा वामसी ने शिकायतों के आधार पर सीएमओ आरएस दुबे के खिलाफ विस्तृत जांच कराई थी. मुख्य विकास अधिकारी की जांच रिपोर्ट में सीएमओ को करोड़ों के गबन का दोषी पाया गया था. यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय और गृह विभाग को भेजी गई थी. बहरहाल महीनों बीत जाने के बाद भ्रष्टाचार की फाइल शासन में गुम हो चुकी है. ऐेसे में बीजेपी के पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रकरण में दोषी सीएमओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. पूर्व विधायक के अनुसार प्रमोशन और नियुक्ति में सीएमओ द्वारा करोड़ों का गबन किया गया है. ऐसे अधिकारी सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं. ऐसे अफसरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग ना हो पाए.



मुख्य विकास अधिकारी जयदेव सीएस ने बताया कि तत्कालीन डीएम के निर्देश पर उन्होंने जांच के बाद गोपनीय रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी है. जांच में सीएमओ एलोपैथी और सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट के कुप्रबंधन के मामले में वर्ष 2023–24 में आवंटित लगभग 2 करोड़ 46 लाख के दोषी पाए गए हैं. इसके अलावा जनपद के सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर विद्युत व्यय के नाम पर 70 लाख रुपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया जिसका ना तो कोई टेंडर कराया गया और ना ही इस कार्य को सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित कराया गया. सीडीओ की रिपोर्ट के अनुसार सीएमओ द्वारा अनुमोदित व्यय में गंभीर अनियमितताएं, विभागीय रखरखाव और कार्यालय व्यय निधि में फर्जी बिल स्वीकृत कर लाखों की हेराफेरी की बात है. वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएस दुबे का कहना है कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है. सीएमओ ने कहा कि जांच के दौरान उनसे कोई जवाब नहीं लिया गया. इसलिए सीडीओ की जांच संदिग्ध है. पूर्व विधायक संजय जायसवाल के आरोप निराधार हैं. धनराशि आवंटन, बजट आवंटन आदि सारे काम शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही किए गए हैं.



सेवा प्रदाता एजेंसी अवनि परिधि एनर्जी एंड कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रोपराइटर अज्ञात गुप्ता ने बताया कि काफी दिन पहले उनकी कंपनी काली सूची में डाली गई थी, मगर उसके बाद शासन स्तर से जब इसकी जांच हुई तो आरोप गलत पाए गए. फिलहाल उनकी कंपनी को काली सूची से हटा दिया गया है. उनकी फर्म पूरे प्रदेश में मानव आपूर्ति का कार्य करती है. कुछ विरोधी उनकी कंपनी को कार्य न करने देने के लिए इस तरह के अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं, बल्कि स्वास्थ्य निदेशालय से उनके लिए आदेश तक पारित हो चुका है.

यह भी पढ़ें : स्वास्थ विभाग में CMO ने किया 5 करोड़ का घोटाला, तीन सदस्यीय टीम करेगी जांच

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बस्ती सीएमओ पर भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर ईटीवी भारत की खबर. (Video Credit : ETV Bharat)

बस्ती : लोकसभा चुनाव 2024 के बाद भाजपा विधायक और यूपी सरकार भ्रष्टाचार के मुद्दे पर काफी सख्ती से पेश आ रही है. कुछ दिनों पहले योगी सरकार के कई विधायकों ने भ्रष्ट अधिकारियों के खिलाफ मोर्चा खोला था. विधायकों का आरोप है कि कुछ अफसर सरकार की छवि खराब कर रहे हैं. इसी क्रम में बस्ती के सीएमओ पर गंभीर आरोप लगे थे. तत्कालीन डीएम की जांच में आरोपी अफसर दोषी मिले थे. इसके बाद शासन को भेजी गई रिपोर्ट पर अबतक कार्रवाई नहीं हुई है. ऐसे में भाजपा नेता सीएम से कार्रवाई की मांग कर रहे हैं.



मामला बस्ती के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएस दुबे से जुड़ा है. बताया जा रहा है कि तत्कालीन डीएम आंद्रा वामसी ने शिकायतों के आधार पर सीएमओ आरएस दुबे के खिलाफ विस्तृत जांच कराई थी. मुख्य विकास अधिकारी की जांच रिपोर्ट में सीएमओ को करोड़ों के गबन का दोषी पाया गया था. यह रिपोर्ट मुख्यमंत्री कार्यालय और गृह विभाग को भेजी गई थी. बहरहाल महीनों बीत जाने के बाद भ्रष्टाचार की फाइल शासन में गुम हो चुकी है. ऐेसे में बीजेपी के पूर्व विधायक संजय प्रताप जायसवाल ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर प्रकरण में दोषी सीएमओ के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. पूर्व विधायक के अनुसार प्रमोशन और नियुक्ति में सीएमओ द्वारा करोड़ों का गबन किया गया है. ऐसे अधिकारी सरकार की छवि धूमिल कर रहे हैं. ऐसे अफसरों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जाए, ताकि सरकारी धन का दुरुपयोग ना हो पाए.



मुख्य विकास अधिकारी जयदेव सीएस ने बताया कि तत्कालीन डीएम के निर्देश पर उन्होंने जांच के बाद गोपनीय रिपोर्ट शासन को प्रेषित कर दी है. जांच में सीएमओ एलोपैथी और सार्वजनिक स्वास्थ्य बजट के कुप्रबंधन के मामले में वर्ष 2023–24 में आवंटित लगभग 2 करोड़ 46 लाख के दोषी पाए गए हैं. इसके अलावा जनपद के सभी प्राथमिक और सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर विद्युत व्यय के नाम पर 70 लाख रुपये का फर्जी भुगतान कर दिया गया जिसका ना तो कोई टेंडर कराया गया और ना ही इस कार्य को सार्वजनिक तौर पर प्रकाशित कराया गया. सीडीओ की रिपोर्ट के अनुसार सीएमओ द्वारा अनुमोदित व्यय में गंभीर अनियमितताएं, विभागीय रखरखाव और कार्यालय व्यय निधि में फर्जी बिल स्वीकृत कर लाखों की हेराफेरी की बात है. वहीं मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. आरएस दुबे का कहना है कि उन्हें ऐसी कोई जानकारी नहीं है. सीएमओ ने कहा कि जांच के दौरान उनसे कोई जवाब नहीं लिया गया. इसलिए सीडीओ की जांच संदिग्ध है. पूर्व विधायक संजय जायसवाल के आरोप निराधार हैं. धनराशि आवंटन, बजट आवंटन आदि सारे काम शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही किए गए हैं.



सेवा प्रदाता एजेंसी अवनि परिधि एनर्जी एंड कम्युनिकेशन प्राइवेट लिमिटेड के प्रोपराइटर अज्ञात गुप्ता ने बताया कि काफी दिन पहले उनकी कंपनी काली सूची में डाली गई थी, मगर उसके बाद शासन स्तर से जब इसकी जांच हुई तो आरोप गलत पाए गए. फिलहाल उनकी कंपनी को काली सूची से हटा दिया गया है. उनकी फर्म पूरे प्रदेश में मानव आपूर्ति का कार्य करती है. कुछ विरोधी उनकी कंपनी को कार्य न करने देने के लिए इस तरह के अनर्गल आरोप लगाते रहते हैं, बल्कि स्वास्थ्य निदेशालय से उनके लिए आदेश तक पारित हो चुका है.

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