बस्तर: पूरे देश में गणेश चतुर्थी की धूम मची हुई है. गणेश चतुर्थी पर बस्तर में पर्यावरण संरक्षण को लेकर खास पहल की जा रही है. यहां गणेश समूह की ओर से दर्शन करने पहुंच रहे भक्तों को प्रसाद के साथ पौधा भी वितरण किया जा रहा है, ताकि भक्त पौधा अपने घर पर लगा सकें. उसकी देखरेख भलीभांति कर सकें. बस्तर में पौधा लगाने का बीड़ा बस्तरिया बैक बेंचर्स समूह ने उठाया है. इन्होंने 5000 पौधा वितरण करने का लक्ष्य रखा है. साथ ही यहां 9 दिनों तक भक्तिमय माहोल के लिए अलग अलग सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं.
श्रद्धालुओं को किया जा रहा पौधा वितरण: इस बारे में बस्तरिया बैक बेंचर्स के सदस्य महेंद्र महापात्र ने ईटीवी भारत से कहा, "कोरोनाकाल के दौरान मानव सेवा के रूप में 4-5 लोगों ने बैठकर योजना बनाकर एक समूह तैयार किया. ताकि पीड़ित और बेसहारे लोगों की मदद की जा सके. इसके बाद उन्होंने कोरोना काल के दौरान पीड़ितों और जरूरतमंदों की काफी मदद की. इसके अलावा अन्य कार्यो में भी सक्रिय रहे. इस समूह में हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई सभी शामिल हैं. सभी त्यौहार के साथ अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेते हैं. इस साल पहली बार गणेश चतुर्थी पर श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ पौधा वितरण किया जाएगा."
"बस्तर में लंबे समय से अंधाधुंध पेड़ों की कटाई हो रही है. इससे बस्तर के वातावरण में बदलाव देखने को मिल रहा है. सितंबर में ठंड शुरू हो जाती थी, लेकिन बस्तर में कड़ी धूप है. हर साल बस्तर के तापमान में वृद्धि हो रही है. यही वजह है कि इस साल प्रसाद के साथ पौधा वितरण किया जा रहा है. इसका नाम एक पेड़ भगवान के नाम दिया गया है. ताकि भक्त भगवान के नाम पर पेंड़ो का देखरेख काफी अच्छी से लोग करेंगे." -अशोक नायडू, सदस्य, बस्तरिया बैक बेंचर्स
इको फ्रैंडली मूर्ति की हुई स्थापना: वहीं, बस्तरिया बैक बेंचर्स के सदस्य कार्तिक पॉल ने कहा, " पंडाल थाईलैंड में बने मूर्ति की तर्ज पर बनाया गया है. पहली बार यहां गणेश स्थापना की जा रही है, इसीलिए बाल गणेश की प्रतिमा बनाई गई है. इसके अलावा मूर्ति टोटली इको फ्रेंडली तरीके से बनाया गया है. किसी प्रकार का कोई प्लास्टिक के पेंट का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ताकि विसर्जन के बाद आसानी से मूर्ति पानी में घुल जाए. नदी में पाए जाने वाले जीवों को किसी प्रकार का कोई नुकसान न हो."
बता दें कि बस्तरिया बैक बेंचर्स की ये खास पहल लोगों को बेहद भा रही है. यहां आने वाले श्रद्धालुओं को प्रसाद के साथ एक पेड़ भी मिल रहा है. भक्तों को पेड़ अपने घर पर लगाकर उसकी देखभाल करने की भी अपील की जा रही है.