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अबूझमाड़ मुठभेड़ में मारे गए थे 35 नक्सली, माओवादियों के प्रेस नोट से हुआ खुलासा

अबूझमाड़ मुठभेड़ में 31 नहीं कुल 35 नक्सली ढेर किए गए थे. नक्सलियों ने खुद प्रेस नोट जारी कर ये स्वीकार किया है.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : 2 hours ago

Updated : 1 hours ago

Naxalite terror in Bastar
बस्तर में नक्सलियों का आतंक (ETV Bharat)

सुकमा: 4 अक्टूबर को अबूझमाड़ के जंगल में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन हुआ. नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन में 31 नक्सली ढेर हुए. मुठभेड़ के दस दिन बाद नक्सलियों ने बड़ा खुलासा किया है. माओवादियों की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि 31 नहीं कुल 35 नक्सली ढेर हुए. एनकाउंटर के बाद बौखलाए नक्सलियों ने सुकमा के चिंतलनार से ग्रामीण को अगवा कर उसकी हत्या कर दी. जिस ग्रामीण की हत्या हुई उसका भाई अभी भी नक्सलियों के कब्जे में है. सर्व आदिवासी समाज ने अपहृत गांव वालों की रिहाई की मांग की है. 13 अक्टूबर को जरुर माओवादियों ने एक ग्रामीण को रिहा कर दिया है.

35 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि: दरअसल 4 अक्टूबर को नारायनपुर और दंतेवाड़ा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र अबूझमाड़ में हुए मुठभेड़ को लेकर माओवादियों ने रविवार को एक प्रेस नोट जारी किया था. प्रेस नोट के मुताबिक मुठभेड़ में 31 नहीं बल्कि 35 माओवादियों के मारे जाने की बात नक्सलियों ने स्वीकार की है. इसकी पुष्टि बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने भी की है.

इस मुठभेड़ में 31 माओवादियों के शव और घटना स्थल से भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार बरामद किया गया था. कई माओवादी घायल हुए थे, जिसके बाद माओवादियों ने प्रेस नोट जारी करके मुरली की मौत भी स्वीकार की. 35 माओवादी के मौत की बात स्वीकार की है. इससे स्पष्ट होता है कि इस मुठभेड़ में काफी बड़ी हानि माओवादी संगठन को उठानी पड़ी है. अन्य माओवादियों को भी गोली लगी है, जो अभी भी घायल अवस्था में जंगल में मौजूद है. पुलिस इसकी तहकीकात कर रही है.: सुंदरराज पी, आईजी, बस्तर रेंज

सर्वआदिवासी समाज की नक्सलियों से अपील (ETV Bharat)

सर्व आदिवासी समाज की अपील: सर्व आदिवासी समाज के सुकमा जिला अध्यक्ष उमेश सुंडम ने सोमवार को बताया कि मुझे जानकारी मिली थी कि 4 अक्टूबर से पहले पेद्दाबोड़केल गांव से 3-4 व्यक्तियों को माओवादियों ने अपहरण कर लिया. अपहरण के बाद 4 अक्टूबर को बारसे एर्रा की धारदार हथियार से हत्या कर दी. इसके बाद 5 अक्टूबर को मृतक के भाई बारसे भीमा का अपहरण कर लिया. पिछले 9 दिनों से ग्रामीण माओवादियों के कब्जे में हैं. सर्व आदिवासी समाज माओवादियों से अपील करता है कि ग्रामीण को सकुशल रिहा करें, क्योंकि लगातार निर्दोष आदिवासियों की हत्या हो रही है.

एक तरफ पुलिस भी आदिवासियों की हत्या कर रही है. वहीं, दूसरी ओर माओवादी लगातार ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं. दोनों आदिवासियों की हत्या कर रहे है. आदिवासी समाज चाहता है कि हत्या न हो. और जिन ग्रामीणों को नक्सलियों ने अपहरण कर लिया है, उसे रिहा करे.: उमेश सुंडम, जिला अध्यक्ष, आदिवासी समाज

नक्सलियों ने भीमा को किया रिहा: सर्वआदिवासी समाज की अपील के बाद नक्सलियों ने पकड़े बारसे भीमा को रिहा कर दिया. जानकारी के मुताबिक 12 अक्टूबर को को बारसे भीमा को जगरगुंडा एरिया कमेटी का पेद्दाबोडकेल LOS कमांडर सोड़ी लखमा जगरगुंडा एरिया कमेटी DVC मनिला ग्राम रायगुड़ा में बुलाए थे. दूसरे दिन 13 अक्टूबर को को बारसे भीमा को चड्डी में पेद्दाबोडकेल गांव में घुमाए और ये बात किसी को भी न बताने की नक्सलियों ने धमकी दी. वहीं, 13 अक्टूबर की शाम को ग्राम रायगुडा में गांव वालों से मीटिंग करने के बाद भीमा को नक्सलियों ने छोड़ दिया.

बता दें कि 4 अक्टूबर को अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में कुल 35 नक्सलियों की मौत हो गई थी. बौखलाहट में नक्सली आस-पास के क्षेत्र के ग्रामीणों को अपना शिकार बना रहे हैं. इस बीच सर्व आदिवासी समाज ने नक्सलियों से अपहरण किए गए ग्रामीणों को छोड़ने की अपील की है.

एंटी नक्सल ऑपरेशन में लोन वर्राटू का कमाल, दंतेवाड़ा में 6 लाख के इनामी नक्सलियों का सरेंडर
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सुकमा: 4 अक्टूबर को अबूझमाड़ के जंगल में छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन हुआ. नक्सलियों के खिलाफ चलाए गए एंटी नक्सल ऑपरेशन में 31 नक्सली ढेर हुए. मुठभेड़ के दस दिन बाद नक्सलियों ने बड़ा खुलासा किया है. माओवादियों की ओर से जारी प्रेस नोट में कहा गया है कि 31 नहीं कुल 35 नक्सली ढेर हुए. एनकाउंटर के बाद बौखलाए नक्सलियों ने सुकमा के चिंतलनार से ग्रामीण को अगवा कर उसकी हत्या कर दी. जिस ग्रामीण की हत्या हुई उसका भाई अभी भी नक्सलियों के कब्जे में है. सर्व आदिवासी समाज ने अपहृत गांव वालों की रिहाई की मांग की है. 13 अक्टूबर को जरुर माओवादियों ने एक ग्रामीण को रिहा कर दिया है.

35 नक्सलियों के मारे जाने की पुष्टि: दरअसल 4 अक्टूबर को नारायनपुर और दंतेवाड़ा जिले के सीमावर्ती क्षेत्र अबूझमाड़ में हुए मुठभेड़ को लेकर माओवादियों ने रविवार को एक प्रेस नोट जारी किया था. प्रेस नोट के मुताबिक मुठभेड़ में 31 नहीं बल्कि 35 माओवादियों के मारे जाने की बात नक्सलियों ने स्वीकार की है. इसकी पुष्टि बस्तर आईजी सुंदरराज पी ने भी की है.

इस मुठभेड़ में 31 माओवादियों के शव और घटना स्थल से भारी मात्रा में अत्याधुनिक हथियार बरामद किया गया था. कई माओवादी घायल हुए थे, जिसके बाद माओवादियों ने प्रेस नोट जारी करके मुरली की मौत भी स्वीकार की. 35 माओवादी के मौत की बात स्वीकार की है. इससे स्पष्ट होता है कि इस मुठभेड़ में काफी बड़ी हानि माओवादी संगठन को उठानी पड़ी है. अन्य माओवादियों को भी गोली लगी है, जो अभी भी घायल अवस्था में जंगल में मौजूद है. पुलिस इसकी तहकीकात कर रही है.: सुंदरराज पी, आईजी, बस्तर रेंज

सर्वआदिवासी समाज की नक्सलियों से अपील (ETV Bharat)

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एक तरफ पुलिस भी आदिवासियों की हत्या कर रही है. वहीं, दूसरी ओर माओवादी लगातार ग्रामीणों की हत्या कर रहे हैं. दोनों आदिवासियों की हत्या कर रहे है. आदिवासी समाज चाहता है कि हत्या न हो. और जिन ग्रामीणों को नक्सलियों ने अपहरण कर लिया है, उसे रिहा करे.: उमेश सुंडम, जिला अध्यक्ष, आदिवासी समाज

नक्सलियों ने भीमा को किया रिहा: सर्वआदिवासी समाज की अपील के बाद नक्सलियों ने पकड़े बारसे भीमा को रिहा कर दिया. जानकारी के मुताबिक 12 अक्टूबर को को बारसे भीमा को जगरगुंडा एरिया कमेटी का पेद्दाबोडकेल LOS कमांडर सोड़ी लखमा जगरगुंडा एरिया कमेटी DVC मनिला ग्राम रायगुड़ा में बुलाए थे. दूसरे दिन 13 अक्टूबर को को बारसे भीमा को चड्डी में पेद्दाबोडकेल गांव में घुमाए और ये बात किसी को भी न बताने की नक्सलियों ने धमकी दी. वहीं, 13 अक्टूबर की शाम को ग्राम रायगुडा में गांव वालों से मीटिंग करने के बाद भीमा को नक्सलियों ने छोड़ दिया.

बता दें कि 4 अक्टूबर को अबूझमाड़ में सुरक्षाबलों और नक्सलियों के बीच हुए मुठभेड़ में कुल 35 नक्सलियों की मौत हो गई थी. बौखलाहट में नक्सली आस-पास के क्षेत्र के ग्रामीणों को अपना शिकार बना रहे हैं. इस बीच सर्व आदिवासी समाज ने नक्सलियों से अपहरण किए गए ग्रामीणों को छोड़ने की अपील की है.

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