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दिवाली की रात बरसेंगे आग के गोले, खातिरदारी के लिए डंडा लेकर खड़ी पुलिस कर रही इंतजार

बड़वानी जिले में पुलिस ने हिंगोट खेलने पर प्रतिबंध लगा दिया है. इसमें होने वाली घटनाओं को देखते हुए ये फैसला लिया गया है.

WHAT IS HINGOT WAR
दीपावली की शाम को होता है हिंगोट युद्ध (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Madhya Pradesh Team

Published : 3 hours ago

बड़वानी: जिले में दीपावली पर हिंगोट युद्ध की प्रथा पुरानी है. लेकिन पिछले 3-4 सालों में इसमें कमी आई है. इस बार जिला प्रशासन इसको रोकने के लिए सख्त है. पूरे शहर में जगह-जगह पुलिस तैनात कर दी गई है. आपको बता दें कि, हिंगोट एक खतरनाक खेल है. इसमें जख्मी होने से लेकर जान जाने तक का खतरा रहता है. पिछले कुछ सालों में हुई दुर्घटनाओं के बाद अधिकतर लोगों ने खुद इसको छोड़ने का फैसला किया. लेकिन कई लोग अभी भी हैं जो, हिंगोट खेलने पर आमादा हैं.

हिंगोट रोकने के लिए पुलिस प्रतिबद्ध

इस बार बड़वानी पुलिस हिंगोट को रोकने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है. पुलिस ने जिले में हिंगोट पर बैन लगा दिया है. बड़वानी कोतवाली थाना प्रभारी दिनेश सिंह कुशवाह ने बताया कि, "एसपी ने हिंगोट चलाने के वालों खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं. इसका पालन करते हुए पुलिस ने अभी तक 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उनके पास से 440 हिंगोट भी जब्त की गई है." थाना प्रभारी ने बताया कि, "पुलिस पूरी सख्ती बरत रही है. जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है. पुलिस मोहल्लों में जाकर लोगों को हिंगोट युद्ध न करने की सलाह दे रही है. इसको एक मुहिम की तरह लिया गया है. इसमें शहरवासियों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है."

बड़वानी जिले में हिंगोट बैन (ETV Bharat)

कई लोग हो जाते हैं बुरी तरह घायल

पिछले कुछ सालों में हिंगोट के चक्कर में कई घटनाएं घटीं, जिसके बाद कई लोगों ने खुद इसको बंद करने का फैसला लिया. लेकिन कुछ लोग अभी भी हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर इस खतरनाक परंपरा का निर्वहन करने पर आमादा हैं. पुलिस ऐसे लोगों को रोकने के लिए इस बार प्रतिबद्ध है. पिछले साल हिंगोट के कारण एमजी रोड पर एक 8 वर्षीय बच्चे के सिर में गहरी चोट लग गई थी. उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच में पता चला कि उसके खोपड़ी की हड्डी क्रैक हो गई है और इसका असर बच्चे के ब्रेन पर भी पड़ा है. इलाज में लाखों रुपये खर्च करके बमुश्किल उसकी जान बचाई जा सकी थी.

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हिंगोट युद्ध क्या है

हिंगोट एक तरह का फल होता है. इसे कच्चा तोड़कर लाया जाता है. इसके बाद इसे अंदर से खाली कर इसमें बारूद और कई विस्फोटक चीजें भरी जाती हैं. दीपावली के दिन शाम को गांव के युवक एक मैदान में इकट्ठा होते हैं. वो दो ग्रुप में डिवाइड होते हैं, इसके बाद दोनों दल एक दूसरे को गले लगाते हैं. इसके बाद खतरनाक खेल शुरू होता है. युद्ध की तरह सजे मैदान में दोनों तरफ से एक दूसरे पर हिंगोट को जलाकर फेंका जाता है. उसमें बारूद भरे होने के कारण धमाका भी होता है. कई लोग तो सुरक्षा के लिए हेलमेट पहन कर आते हैं. इसके बाद भी कुछ युवा जख्मी हो जाते हैं. सूरज ढलने के बाद युद्ध को विराम दिया जाता है. एक बार फिर सब एक दूसरे से गले मिलते हैं और दीपावली की शुभकामनाएं देकर अपने अपने घरों को लौट आते हैं.

बड़वानी: जिले में दीपावली पर हिंगोट युद्ध की प्रथा पुरानी है. लेकिन पिछले 3-4 सालों में इसमें कमी आई है. इस बार जिला प्रशासन इसको रोकने के लिए सख्त है. पूरे शहर में जगह-जगह पुलिस तैनात कर दी गई है. आपको बता दें कि, हिंगोट एक खतरनाक खेल है. इसमें जख्मी होने से लेकर जान जाने तक का खतरा रहता है. पिछले कुछ सालों में हुई दुर्घटनाओं के बाद अधिकतर लोगों ने खुद इसको छोड़ने का फैसला किया. लेकिन कई लोग अभी भी हैं जो, हिंगोट खेलने पर आमादा हैं.

हिंगोट रोकने के लिए पुलिस प्रतिबद्ध

इस बार बड़वानी पुलिस हिंगोट को रोकने के लिए प्रतिबद्ध नजर आ रही है. पुलिस ने जिले में हिंगोट पर बैन लगा दिया है. बड़वानी कोतवाली थाना प्रभारी दिनेश सिंह कुशवाह ने बताया कि, "एसपी ने हिंगोट चलाने के वालों खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का निर्देश दिए हैं. इसका पालन करते हुए पुलिस ने अभी तक 9 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है और उनके पास से 440 हिंगोट भी जब्त की गई है." थाना प्रभारी ने बताया कि, "पुलिस पूरी सख्ती बरत रही है. जगह-जगह सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है. पुलिस मोहल्लों में जाकर लोगों को हिंगोट युद्ध न करने की सलाह दे रही है. इसको एक मुहिम की तरह लिया गया है. इसमें शहरवासियों का भी पूरा सहयोग मिल रहा है."

बड़वानी जिले में हिंगोट बैन (ETV Bharat)

कई लोग हो जाते हैं बुरी तरह घायल

पिछले कुछ सालों में हिंगोट के चक्कर में कई घटनाएं घटीं, जिसके बाद कई लोगों ने खुद इसको बंद करने का फैसला लिया. लेकिन कुछ लोग अभी भी हैं जो अपनी जान जोखिम में डालकर इस खतरनाक परंपरा का निर्वहन करने पर आमादा हैं. पुलिस ऐसे लोगों को रोकने के लिए इस बार प्रतिबद्ध है. पिछले साल हिंगोट के कारण एमजी रोड पर एक 8 वर्षीय बच्चे के सिर में गहरी चोट लग गई थी. उसे अस्पताल ले जाया गया, जहां जांच में पता चला कि उसके खोपड़ी की हड्डी क्रैक हो गई है और इसका असर बच्चे के ब्रेन पर भी पड़ा है. इलाज में लाखों रुपये खर्च करके बमुश्किल उसकी जान बचाई जा सकी थी.

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हिंगोट युद्ध क्या है

हिंगोट एक तरह का फल होता है. इसे कच्चा तोड़कर लाया जाता है. इसके बाद इसे अंदर से खाली कर इसमें बारूद और कई विस्फोटक चीजें भरी जाती हैं. दीपावली के दिन शाम को गांव के युवक एक मैदान में इकट्ठा होते हैं. वो दो ग्रुप में डिवाइड होते हैं, इसके बाद दोनों दल एक दूसरे को गले लगाते हैं. इसके बाद खतरनाक खेल शुरू होता है. युद्ध की तरह सजे मैदान में दोनों तरफ से एक दूसरे पर हिंगोट को जलाकर फेंका जाता है. उसमें बारूद भरे होने के कारण धमाका भी होता है. कई लोग तो सुरक्षा के लिए हेलमेट पहन कर आते हैं. इसके बाद भी कुछ युवा जख्मी हो जाते हैं. सूरज ढलने के बाद युद्ध को विराम दिया जाता है. एक बार फिर सब एक दूसरे से गले मिलते हैं और दीपावली की शुभकामनाएं देकर अपने अपने घरों को लौट आते हैं.

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