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चिरमिरी का बरतुंगा सती मंदिर नई जगह स्थापित, विधि विधान के हुआ विस्थापन

Baratunga Sati Temple बरतुंगा सती मंदिर नई जगह पर स्थापित हो चुका है. हाईकोर्ट के निर्देश के बाद जिला प्रशासन ने विधि विधान से साथ मंदिर को विस्थापित किया.

Baratunga Sati Temple
चिरमिरी का बरतुंगा सती मंदिर नई जगह स्थापित
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Feb 21, 2024, 7:54 PM IST

बरतुंगा सती मंदिर नई जगह स्थापित

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : हाईकोर्ट के आदेश के बाद 21 फरवरी के दिन बरतुंगा सती मंदिर देवगुड़ी का विस्थापन किया गया. सती मंदिर देवगुड़ी के विस्थापन के दौरान विधि विधान पूजा पाठ की गई. देवगुड़ी परिसर में जितने भी पुरातत्व से जुड़े हुए अवशेष थे. उन्हें विधिवत पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के सामने निकालकर संग्रहालय में सम्मानपूर्वक ले जाया गया.

सती मंदिर का ससम्मान हुआ विस्थापन : देवगुड़ी में मां सती की पूजा अर्चना करने के बाद विस्थापन करते हुए स्थापना के लिए दुर्गा मंदिर परिसर बारतुंगा में विधिवत पूजा अर्चना की गई.पूजा अर्चना के बाद भोग भंडारे का भी आयोजन श्रद्धालुओं के लिए हुआ. विस्थापन और स्थापना के समय प्रशासन के अधिकारी सहित पुलिस विभाग के अफसर भी मौजूद थे.इस दौरान एसईसीएल के अधिकारी और कर्मचारियों ने भी योगदान दिया. एसडीएम चिरमिरी ने विस्थापन के दौरान कहा कि माननीय हाई कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई की गई. जन भावनाओं को देखकर पूजा पाठ भी कराया गया.इसके बाद सती मंदिर को विधि विधान के साथ दूसरी जगह स्थापित किया गया.


'' माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक 2 माह के अंदर सती मंदिर को विस्थापित करना था. लेकिन 2 महीने में तो विस्थापन नहीं हो पाया.जन भावना को देखते हुए लोगों से बात की गई.इसके बाद पांच माह बाद विस्थापन का कार्य हुआ.'' शशि शेखर मिश्रा, तहसीलदार

आपको बता दें कि चिरमिरी एसईसीएल की लीज एरिया में बरतुंगा सती मंदिर आ रहा था.जिसे लेकर एसईसीएल ने हाईकोर्ट की शरण ली.जिसके बाद हाईकोर्ट ने बरतुंगा सती मंदिर को विधि विधान और ससम्मान धार्मिक विधि से विस्थापित करने को कहा.आखिरकार लोगों की आपसी सूझबूझ और प्रशासनिक मुस्तैदी से बिना किसी बाधा के माता के मंदिर को नई जगह पर स्थापित किया गया.

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बरतुंगा सती मंदिर नई जगह स्थापित

मनेन्द्रगढ़ चिरमिरी भरतपुर : हाईकोर्ट के आदेश के बाद 21 फरवरी के दिन बरतुंगा सती मंदिर देवगुड़ी का विस्थापन किया गया. सती मंदिर देवगुड़ी के विस्थापन के दौरान विधि विधान पूजा पाठ की गई. देवगुड़ी परिसर में जितने भी पुरातत्व से जुड़े हुए अवशेष थे. उन्हें विधिवत पुरातत्व विभाग के अधिकारियों के सामने निकालकर संग्रहालय में सम्मानपूर्वक ले जाया गया.

सती मंदिर का ससम्मान हुआ विस्थापन : देवगुड़ी में मां सती की पूजा अर्चना करने के बाद विस्थापन करते हुए स्थापना के लिए दुर्गा मंदिर परिसर बारतुंगा में विधिवत पूजा अर्चना की गई.पूजा अर्चना के बाद भोग भंडारे का भी आयोजन श्रद्धालुओं के लिए हुआ. विस्थापन और स्थापना के समय प्रशासन के अधिकारी सहित पुलिस विभाग के अफसर भी मौजूद थे.इस दौरान एसईसीएल के अधिकारी और कर्मचारियों ने भी योगदान दिया. एसडीएम चिरमिरी ने विस्थापन के दौरान कहा कि माननीय हाई कोर्ट के आदेश के बाद कार्रवाई की गई. जन भावनाओं को देखकर पूजा पाठ भी कराया गया.इसके बाद सती मंदिर को विधि विधान के साथ दूसरी जगह स्थापित किया गया.


'' माननीय उच्च न्यायालय के आदेश के मुताबिक 2 माह के अंदर सती मंदिर को विस्थापित करना था. लेकिन 2 महीने में तो विस्थापन नहीं हो पाया.जन भावना को देखते हुए लोगों से बात की गई.इसके बाद पांच माह बाद विस्थापन का कार्य हुआ.'' शशि शेखर मिश्रा, तहसीलदार

आपको बता दें कि चिरमिरी एसईसीएल की लीज एरिया में बरतुंगा सती मंदिर आ रहा था.जिसे लेकर एसईसीएल ने हाईकोर्ट की शरण ली.जिसके बाद हाईकोर्ट ने बरतुंगा सती मंदिर को विधि विधान और ससम्मान धार्मिक विधि से विस्थापित करने को कहा.आखिरकार लोगों की आपसी सूझबूझ और प्रशासनिक मुस्तैदी से बिना किसी बाधा के माता के मंदिर को नई जगह पर स्थापित किया गया.

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