गोरखपुर: लोकसभा चुनाव 2024 की घोषणा हो गई है. गोरखपुर में सातवें चरण यानी 1 जून को मतदान होगा. गोरखपुर सदर सीट के साथ जिले की बांसगांव लोकसभा सीट पर भी हर बार रोचक मुकाबला होता है. लेकिन, आज तक जीत ज्यादातर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशियों को ही मिली है.
दोनों दलों के प्रत्याशियों महावीर प्रसाद और कमलेश पासवान यहां जीत की हैट्रिक लगाने में कामयाब रहे हैं. पहले हुए चुनावों में से एक बड़ा ही रोचक तथ्य भी सामने आ रहा है. ये हैं सदल प्रसाद, जो तीन बार चुनाव लड़ चुके हैं लेकिन, हर बार उपविजेता ही रहे.
अभी तक उन्होंने जो भी चुनाव लड़े वह हाथी पर चढ़कर लड़े, यानी बसपा के टिकट पर. लेकिन, इस बार वे कांग्रेस में हैं. लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस का समाजवादी पार्टी से गठबंधन है. इसके तहत बांसगांव सीट कांग्रेस के खाते में है.
इतिहास पर नजर डालें तो वर्ष 1991 के बाद इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी पूरी मजबूती से उभरी. वर्तमान में भी उसी के खाते में ये सीट है. बांसगांव सीट का मौजूदा हाल जानें तो इस सीट पर बीजेपी ने अपना उम्मीदवार वर्तमान सांसद कमलेश पासवान तय कर दिया है. बसपा ने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं.
बसपा छोड़कर कांग्रेस पहुंचे सदल प्रसाद: वहीं कांग्रेस के पाले में बसपा के वरिष्ठ नेता सदल प्रसाद पहुंच चुके हैं. वह इस सीट से दो बार लोकसभा का चुनाव बसपा से लड़कर उपविजेता रहे हैं और वोट भी खूब पाए हैं. बांसगांव से दो बार विधायक और प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं. ऐसे में लोकसभा सीट का समीकरण कुछ नए स्वरूप में बनता दिखाई दे रहा है.
कांग्रेस की एकतरफा जीत पर भाजपा ने लगाया था विराम: 2019 की तरह लोकसभा चुनाव 2024 में यह सीट एक बार फिर खास बनी है. आजादी के बाद दूसरे आम चुनाव से ही यह सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित कर दी गई थी. आजादी के बाद कई चुनाव तक इस सीट पर कांग्रेस एकतरफा जीत हासिल करती रही.
बांसगांव सीट पर अब तक जीते प्रत्याशी
- 1957 महादेव प्रसाद कांग्रेस
- 1962 महादेव प्रसाद कांग्रेस
- 1967 मोलहू प्रसाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी
- 1977 फिरंगी प्रसाद भारतीय लोकल
- 1980 महावीर प्रसाद कांग्रेस
- 1984 महावीर प्रसाद कांग्रेस
- 1989 महावीर प्रसाद कांग्रेस
- 1991 राज नारायण पासी भाजपा
- 1996 सुभावती देवी सपा
- 1998 राज नारायण पासी भाजपा
- 1999 राज नारायण पासी भाजपा
- 2004 महावीर प्रसाद कांग्रेस
- 2009 कमलेश पासवान भाजपा
- 2014 कमलेश पासवान भाजपा
- 2019 कमलेश पासवान भाजपा
बांसगांव से कौन बना था पहला सांसद: 1957 में पहली बार हुए आम चुनाव में कांग्रेस के दिग्गज महादेव प्रसाद यहां से जीते थे. 1962 में भी उन्होंने ही जीत का स्वाद चखा था. इसके बाद संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर मोलहू प्रसाद 1967 में यहां से जीते. इस सीट पर चुनाव प्रचार का एक अलग अंदाज 1967 के चुनाव में मोलहू प्रसाद ने दिखाया जो, साइकिल पर सवार होकर खजड़ी बजाते, गीत गाते क्षेत्र में निकलते थे और लोगों से मिलते थे. वह सांसद चुन लिए गए.
महावीर प्रसाद चार बार बने सांसद: कांग्रेस के राम मूरत प्रसाद ने 1971 में इस सीट पर पार्टी का परचम लहरा दिया था. 1977 में इमरजेंसी के बाद हुए चुनाव में भारतीय लोकदल के उम्मीदवार विशारद फिरंगी प्रसाद विजयी रहे. वहीं कांग्रेस के बड़े नेताओं में शुमार रहे महावीर प्रसाद यहां से चार बार सांसद चुने गए.
महावीर प्रसाद ने हेट्रिक भी लगाई: वह यूपी कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे. कांग्रेस में लोग उन्हें बाबूजी कहकर बुलाते थे. लेकिन, जब भी वह बांसगांव आते थे तो उनका अंदाज एकदम गवई हो जाता था. महावीर प्रसाद यहां से लगातार 1980, 84 और 1989 में सांसद बनते रहे. कांग्रेस सरकार में वह मंत्री रहे. हरियाणा के राज्यपाल भी बने.
हालांकि वक्त के साथ बहुत कुछ बदल गया. लग्जरी गाड़ियों के काफिले, धन बल, बाहुबल के प्रदर्शन के बिना अब चुनाव की कल्पना ही नहीं की जाती. ऐसे ही माहौल में भाजपा सांसद कमलेश पासवान जीतकर हेट्रिक लगाने में कामयाब रहे. 2024 के लिए भी उनकी जोर आजमाइश जारी है.
सांसद कमलेश पासवान की माता सुभावती पासवान भी 1996 में यहां से सांसद चुनी गई थीं लेकिन वह सपा के टिकट पर जीती थीं. कमलेश को कड़ी टक्कर बसपा के पर्व उम्मीदवार पूर्व मंत्री सदल प्रसाद से मिल सकती है. माना जा रहा है कि सदल ही इस सीट से गठबंधन के प्रत्याशी हो सकते हैं.
बांसगांव में पहली बार कब खिला कमल: भाजपा यहां 1991 में पहली बार कमल खिलाने में सफल हो हुई थी, जब राजनरण पासवान यहां से चुनाव जीते थे. 1998 और 99 के चुनाव में एक बार फिर राज नारायण पासी बीजेपी उम्मीदवार के रूप में चुनाव जीत गए, लेकिन 2004 के चुनाव में दिल्ली से लौटे महावीर प्रसाद एक बार फिर इस सीट पर, कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर जीत हासिल किए और मंत्री बने. लेकिन 2009, 2014 और 2019 में कमलेश पासवान लगातार यहां से जीतते आ रहे हैं.
चुनाव परिणाम की बात करें तो 2014 के चुनाव में कमलेश पासवान को कुल 4 लाख 17 हजार 959 वोट मिले थे, जबकि बीएसपी के प्रत्याशी सदल प्रसाद को 2 लाख 28 हजार 483 वोट मिले थे. वहीं समाजवादी पार्टी के गोरख प्रसाद पासवान को 1 लाख 33 हजार 675 वोट ही मिल पाया था.
2019 के चुनाव में कमलेश पासवान 1 लाख 53 हजार 468 वोटो से बसपा के सदल प्रसाद को हराने में कामयाब हुए थे. इस चुनाव में कांग्रेस का पर्चा ही खारिज हो गया था. इस लोकसभा क्षेत्र में कुल पांच विधानसभा की सीटें हैं, जिसमें सभी सीटों पर भारतीय जनता पार्टी के मौजूदा समय में विधायक हैं.
बांसगांव सीट का क्या है जातीय समीकरण: इसकी सीमा दो जिलों में पड़ती है. देवरिया की रुद्रपुर और बरहज सीट भी बांसगांव संसदीय सीट का हिस्सा है. जातीय समीकरण की बात करें तो बांसगांव लोकसभा क्षेत्र में सबसे ज्यादा मतदाता ओबीसी वर्ग के बताए जाते हैं. एक अनुमान के मुताबिक इनकी संख्या करीब 8 लाख 34 हजार है.
ढाई लाख मतदाता अनुसूचित जाति के हैं. सवर्ण मतदाताओं की संख्या भी करीब 5 लाख के आसपास है और डेढ़ लाख मुस्लिम मतदाता हैं. फिर भी यह सीट अनुसूचित जाति के खाते में है, जिसमें पासवान जाति के लोग काफी मजबूत है.
बांसगांव संसदीय क्षेत्र में कितने वोटर: मौजूदा समय में इस सीट पर कुल 18 लाख 06 हजार 641 कुल मतदाता हैं, जिसमें 9 लाख 60 हजार 879 पुरुष और 8 लाथ 45 हजार 674 महिला मतदाता हैं. 2019 में इस सीट पर कुल 59.34% मतदान हुआ था जो अब तक का सर्वाधिक मतदान रहा है, जबकि सबसे कम मतदान 32.81 प्रतिशत रहा है.
कांग्रेस की जिलाध्यक्ष निर्मला पासवान कहती हैं कि गठबंधन का प्रत्याशी इस बार बीजेपी को हराने में सफल होगा. उनके पास भी कार्यकर्ताओं की फौज है और गिनाने के लिए बीजेपी की नाकामियां. वहीं बीजेपी जिलाध्यक्ष युधिष्ठिर सिंह ने कहा कि बीजेपी इस सीट को लगातार चौथी बार जीतने जा रही है.
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