रांची: झारखंड में नक्सलवाद एक बड़ी समस्या है जिस पर काफी हद तक काबू पा लिया गया है लेकिन आज भी यह सरकार के लिए चुनौती बनी हुई है. इन सबके बीच एक सकारात्मक बात जो जरूर सामने आई है वह यह कि झारखंड के जिन जिलों में बैंक प्रबंधन घोर नक्सलवाद के कारण कभी अपनी व्यावसायिक गतिविधियों का विस्तार नहीं करना चाहता था, वहां हाल के वर्षों में बैंकिंग सेवाओं का काफी तेजी से विस्तार हुआ है. जिसका लाभ न सिर्फ राज्य के नक्सल प्रभावित 16 जिलों के लोगों को मिल रहा है बल्कि बैंक अपना कारोबार करने में भी सफल हो रहा है.
राज्य बैंकर्स समिति के ताजा आंकड़ों के अनुसार नक्सल प्रभावित 16 जिलों में फिलहाल 2636 शाखाएं हैं और 2856 एटीएम लगाए गए हैं. इन जिलों में कुल 47517 बैंक मित्र काम कर रहे हैं जो लोगों को बैंकिंग सेवाएं देने में सफल हो रहे हैं.
आंकड़ों के अनुसार खूंटी, लोहरदगा, सरायकेला और गुमला में बैंक मित्रों की संख्या सबसे कम है. आने वाले समय में यहां इनकी संख्या बढ़ाने की तैयारी की जा रही है. वहीं, सबसे कम बैंक शाखाएं लोहरदगा, खूंटी, लातेहार और चतरा में हैं, जहां इन्हें बढ़ाने की योजना बनाई गई है.
'नक्सल इलाकों में बैंकिंग कारोबार बढ़ना अच्छा संदेश'
केंद्र सरकार के दिशा-निर्देशों के अनुसार, हर 2000 की आबादी पर एक बैंक शाखा स्थापित होनी चाहिए. ऐसे में भले ही ये जिले मानक से काफी पीछे हों, लेकिन इन इलाकों में सकारात्मक सोच के साथ बढ़ रहा बैंकिंग कारोबार भविष्य के लिए अच्छा संदेश दे रहा है. आपको बता दें कि राज्य में 3319 बैंक शाखाएं और 3378 एटीएम कार्यरत हैं. जिनमें कुल जमा राशि 3,50,274 करोड़ रुपये है.
बैंक फेडरेशन ऑफ इंडिया के महासचिव एमएल सिंह कहते हैं कि लोगों की सोच में आए बदलाव के कारण यह बदलाव हुआ है. नक्सल प्रभावित इलाकों में स्थिति ऐसी है कि कई बैंकों में गार्ड तक नहीं हैं, लेकिन कोई आपराधिक घटना नहीं हो रही है. इसके पीछे कहीं न कहीं यह सोच है कि बैंक हमारा है और यह पैसा हमारा है, जिसे हमें सुरक्षित रखना है. बैंक प्रबंधन भी सकारात्मक सोच के साथ काम कर रहा है और स्थानीय लोग भी उनका साथ दे रहे हैं. जाहिर है पहले के मुकाबले बैंकिंग सुविधाएं जरूर बढ़ी हैं, लेकिन अभी भी कई जगहों पर शाखाएं खोलना जरूरी है ताकि लोगों को ज्यादा से ज्यादा सुविधाएं मिल सकें.
झारखंड चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष परेश गटानी कहते हैं कि यह सकारात्मक संकेत है क्योंकि बैंक अपना कारोबार वहीं बढ़ाते हैं जहां ज्यादा कारोबार होता है. अगर यही सिलसिला जारी रहा तो झारखंड काफी तरक्की करेगा, खासकर वे 16 जिले जो घोर नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हैं, वहां के युवाओं को रोजगार मिलेगा और बैंकों के जरिए सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना आसान होगा.
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