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बनारस में बंद ताले से खुलती किस्मत; जेल की कालकोठरी, कोर्ट-कचेहरी की मुकदमेबाजी से मुक्ति दिलाता है ये मंदिर - Banaras Bandi Mata temple - BANARAS BANDI MATA TEMPLE

बंदी माता मंदिर से जुड़े हैं कई रहस्य, विदेशी भक्त भी आते हैं दरबार में, भगवान राम को मां ने दिया था आशीर्वाद

विदेश में भी हैं बंदी माता के भक्त.
विदेश में भी हैं बंदी माता के भक्त. (Photo Credit; ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Oct 6, 2024, 8:15 AM IST

Updated : Oct 7, 2024, 1:40 PM IST

वाराणसी : जेल की काल कोठरी हो या फिर मुकदमेबाजी, कोर्ट-कचहरी का चक्कर हो या कोई और गलत बंधन. इसमें फंसकर बहुत सारे लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है. कभी किसी आरोप में तो कभी किसी झूठे मामले में कई बार लोगों को जेल की काल कोठरी में जाना पड़ जाता है. इसके अलावा कई ऐसे बंधन भी होते हैं जो न चाहते हुए भी आदमी को जकड़ लेते हैं. मान्यता है कि काशी के बंदी माता के मंदिर में मन्नत के ताले लगाकर इस तरह के बंधनों से मुक्त होना आसान हो जाता है.

बंदी माता मंदिर में भक्त लगाते हैं मन्नतों का ताला. (Video Credit; ETV Bharat)

मानता है कि काशी के बंदी माता का मंदिर जेल की काल कोठरी के साथ मुकदमेबाजी से भी मुक्ति दिलाता है. अनादि काल का यह मंदिर काशी में दशाश्वमेध घाट पर स्थित है. काशी के 33 कोटी देवी-देवताओं के साथ माता बंदी अपने भक्तों की हर विपदा को दूर करती हैं. आइए नवरात्रि के पावन पर्व पर आप भी जानिए काशी के इस ताले वाले मंदिर का अद्भुत रहस्य.

भगवान राम और लक्ष्मण को मां ने किया था बंधन मुक्त : काशी के दशाश्वमेध घाट के पास शीतला माता मंदिर के ठीक पीछे बंदी माता का मंदिर है. माता के मंदिर के पुजारी सुधाकर दुबे बताते हैं कि त्रेता युग में प्रभु श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण को पाताल के राजा अहिरावण ने हनुमान जी की पूंछ से निकालकर अपहरण करने के बाद दोनों भाइयों की बलि देने के लिए पाताल की देवी बंदी माता के सामने प्रस्तुत किया. श्री रामचंद्र से अंतिम बार अपनी जान बचाने के लिए किसी से भी गुहार लगाने के लिए कहा तब प्रभु श्री राम ने बंदी माता के आगे हाथ जोड़कर अपने और अपने भाई को बंधन से मुक्त करने की कामना की थी. इसके बाद माता ने प्रकट होकर प्रभु श्री राम को आशीर्वाद दिया. अहिरावण का वध हुआ और श्रीराम व लक्ष्मण को बंधन से मुक्त किया.

विदेश से भी अनुष्ठान करने आते हैं भक्त : पाताल की देवी बंदी माता को भगवान विष्णु और भोलेनाथ के आग्रह पर काशी में स्थान मिला. तब से बंदी माता के इस मंदिर की मान्यता पूरे विश्व भर में फैल गई. सुधाकर पांडेय का कहना है की माता के भक्तों की संख्या सिर्फ वाराणसी आसपास नहीं बल्कि पूरे विश्व में है. मॉरीशस, अमेरिका से भी भक्तों की बड़ी संख्या में यहां पर अनुष्ठान करने की इच्छा होती और लोग आते भी हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. बिहार के कई जिलों से बंदी माता कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं. इस वजह से यहां पर विशेष अनुष्ठान के लिए बिहार से बड़ी संख्या में लोगों का आना होता है.

मनोकामना पूरी होने के बाद ताला खोलते हैं भक्त : सुधाकर पांडेय बताते हैं कि कुछ दिन पहले ही मॉरीशस और अमेरिका से कई परिवार यहां आए थे. उन्होंने भी अपनी परेशानियों के साथ मन्नत का ताला यहां बंद करके बंदी माता से प्रार्थना की. उन्होंने बताया कि मंदिर में हजारों की संख्या में ताले बंद हो गए थे. इसकी वजह से यहां के दरवाजों को बंद करना मुश्किल हो गया था. उनका कहना है कि यहां पर लोग अपने मन्नत का ताला लेकर आते हैं. मन से अपनी मनोकामना कहते हैं और ताले को बंद करके चाबी अपने साथ ले जाते हैं. जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तब वह चाबी लेकर आते हैं. ताला खोलते हैं. उसे गंगा में प्रवाहित करके माता का अनुष्ठान पूर्ण करके पूजा पाठ करने के बाद यहां से रवाना होते हैं.

मंदिर के पुजारी का कहना है कि जेल की काल कोठरी से मुक्ति से लेकर मुकदमेबाजी में जीत हासिल करने, संतान प्राप्ति से लेकर जल्द विवाह होने के अलावा कई अन्य तरह के मामले में दूर-दूर से लोग अपनी मनौती का ताला लेकर यहां पहुंचते हैं. इसके बाद जहां जगह मिलती है. वहां लोग ताले को बंद करके चले जाते हैं. मंदिर के पुजारी का कहना है कि अनादि काल से यह मंदिर लोगों के बंधनों को खत्म करके उन्हें बंधनों से मुक्त करने का काम कर रहा है. यहां आने वाले भक्तों का भी कहना है कि उन्होंने एक बार नहीं, कई बार आजमाया है, उनकी मन्नतें पूरी होती है. वह ताला खोलने हैं और मां की आराधना करके वापस चले जाते हैं.

यह भी पढ़ें : 108 शक्तिपीठों में एक है सीतापुर का मां ललिता देवी मंदिर, नवरात्र पर उमड़े भक्त

बनारस में बंद ताले से खुलती किस्मत; जेल की कालकोठरी, कोर्ट-कचेहरी की मुकदमेबाजी से मुक्ति दिलाता है ये मंदिर

वाराणसी : जेल की काल कोठरी हो या फिर मुकदमेबाजी, कोर्ट-कचहरी का चक्कर हो या कोई और गलत बंधन. इसमें फंसकर बहुत सारे लोगों की जिंदगी बर्बाद हो जाती है. कभी किसी आरोप में तो कभी किसी झूठे मामले में कई बार लोगों को जेल की काल कोठरी में जाना पड़ जाता है. इसके अलावा कई ऐसे बंधन भी होते हैं जो न चाहते हुए भी आदमी को जकड़ लेते हैं. मान्यता है कि काशी के बंदी माता के मंदिर में मन्नत के ताले लगाकर इस तरह के बंधनों से मुक्त होना आसान हो जाता है.

बंदी माता मंदिर में भक्त लगाते हैं मन्नतों का ताला. (Video Credit; ETV Bharat)

मानता है कि काशी के बंदी माता का मंदिर जेल की काल कोठरी के साथ मुकदमेबाजी से भी मुक्ति दिलाता है. अनादि काल का यह मंदिर काशी में दशाश्वमेध घाट पर स्थित है. काशी के 33 कोटी देवी-देवताओं के साथ माता बंदी अपने भक्तों की हर विपदा को दूर करती हैं. आइए नवरात्रि के पावन पर्व पर आप भी जानिए काशी के इस ताले वाले मंदिर का अद्भुत रहस्य.

भगवान राम और लक्ष्मण को मां ने किया था बंधन मुक्त : काशी के दशाश्वमेध घाट के पास शीतला माता मंदिर के ठीक पीछे बंदी माता का मंदिर है. माता के मंदिर के पुजारी सुधाकर दुबे बताते हैं कि त्रेता युग में प्रभु श्रीराम और उनके भाई लक्ष्मण को पाताल के राजा अहिरावण ने हनुमान जी की पूंछ से निकालकर अपहरण करने के बाद दोनों भाइयों की बलि देने के लिए पाताल की देवी बंदी माता के सामने प्रस्तुत किया. श्री रामचंद्र से अंतिम बार अपनी जान बचाने के लिए किसी से भी गुहार लगाने के लिए कहा तब प्रभु श्री राम ने बंदी माता के आगे हाथ जोड़कर अपने और अपने भाई को बंधन से मुक्त करने की कामना की थी. इसके बाद माता ने प्रकट होकर प्रभु श्री राम को आशीर्वाद दिया. अहिरावण का वध हुआ और श्रीराम व लक्ष्मण को बंधन से मुक्त किया.

विदेश से भी अनुष्ठान करने आते हैं भक्त : पाताल की देवी बंदी माता को भगवान विष्णु और भोलेनाथ के आग्रह पर काशी में स्थान मिला. तब से बंदी माता के इस मंदिर की मान्यता पूरे विश्व भर में फैल गई. सुधाकर पांडेय का कहना है की माता के भक्तों की संख्या सिर्फ वाराणसी आसपास नहीं बल्कि पूरे विश्व में है. मॉरीशस, अमेरिका से भी भक्तों की बड़ी संख्या में यहां पर अनुष्ठान करने की इच्छा होती और लोग आते भी हैं. इसके अलावा मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और बिहार के अलग-अलग हिस्सों से बड़ी संख्या में लोग आते हैं. बिहार के कई जिलों से बंदी माता कुलदेवी के रूप में पूजी जाती हैं. इस वजह से यहां पर विशेष अनुष्ठान के लिए बिहार से बड़ी संख्या में लोगों का आना होता है.

मनोकामना पूरी होने के बाद ताला खोलते हैं भक्त : सुधाकर पांडेय बताते हैं कि कुछ दिन पहले ही मॉरीशस और अमेरिका से कई परिवार यहां आए थे. उन्होंने भी अपनी परेशानियों के साथ मन्नत का ताला यहां बंद करके बंदी माता से प्रार्थना की. उन्होंने बताया कि मंदिर में हजारों की संख्या में ताले बंद हो गए थे. इसकी वजह से यहां के दरवाजों को बंद करना मुश्किल हो गया था. उनका कहना है कि यहां पर लोग अपने मन्नत का ताला लेकर आते हैं. मन से अपनी मनोकामना कहते हैं और ताले को बंद करके चाबी अपने साथ ले जाते हैं. जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तब वह चाबी लेकर आते हैं. ताला खोलते हैं. उसे गंगा में प्रवाहित करके माता का अनुष्ठान पूर्ण करके पूजा पाठ करने के बाद यहां से रवाना होते हैं.

मंदिर के पुजारी का कहना है कि जेल की काल कोठरी से मुक्ति से लेकर मुकदमेबाजी में जीत हासिल करने, संतान प्राप्ति से लेकर जल्द विवाह होने के अलावा कई अन्य तरह के मामले में दूर-दूर से लोग अपनी मनौती का ताला लेकर यहां पहुंचते हैं. इसके बाद जहां जगह मिलती है. वहां लोग ताले को बंद करके चले जाते हैं. मंदिर के पुजारी का कहना है कि अनादि काल से यह मंदिर लोगों के बंधनों को खत्म करके उन्हें बंधनों से मुक्त करने का काम कर रहा है. यहां आने वाले भक्तों का भी कहना है कि उन्होंने एक बार नहीं, कई बार आजमाया है, उनकी मन्नतें पूरी होती है. वह ताला खोलने हैं और मां की आराधना करके वापस चले जाते हैं.

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Last Updated : Oct 7, 2024, 1:40 PM IST
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