प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिला समाज कल्याण अधिकारी आजमगढ़ के कार्यालय में कार्यरत उर्दू अनुवादक सह प्रधान सहायक अबुसाद अंसारी के निलंबन आदेश पर रोक लगा दी है और उसकी याचिका पर राज्य सरकार से जवाब मांगा है.
यह आदेश न्यायमूर्ति प्रकाश पाडिया ने अबुसाद अंसारी की याचिका पर उसके अधिवक्ता अनुराग त्रिपाठी को सुनकर दिया है. एडवोकेट अनुराग त्रिपाठी का कहना था कि समाज कल्याण विभाग द्वारा अनुदानित एवं प्रबंध तंत्र द्वारा संचालित अनुसूचित जाति प्राइमरी पाठशालाओं में नवनियुक्त अध्यापकों के अनुमोदन में फर्जीवाड़ा किया गया.
आरोप है कि कतिपय अध्यापकों और प्रबंधतंत्र ने षड्यंत्र के तहत जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी आजमगढ़ के कूटरचित हस्ताक्षर बनाकर फर्जी अभिलेखों के आधार पर शासन से नियुक्ति का अनुमोदन प्राप्त कर लिया और वेतन भुगतान कर शासकीय धन का दुरुपयोग किया गया. अनुशासनात्मक कार्यवाही करते हुए याची को तत्काल निलंबित कर दिया गया. अधिवक्ता का कहना था कि वेतन भुगतान की जिम्मेदारी याची की नहीं है, उसे ऐसा अधिकार ही नहीं है.
इस मामले में उसकी कोई भूमिका नहीं है, उसे बलि का बकरा बनाया गया है. यह भी कहा कि याची जांच में सहयोग के लिए तैयार है. उस पर आरोप भी इतने गंभीर नहीं है जिनके आधार पर बड़ा दंड दिया जा सके इसलिए निदेशक समाज कल्याण का आदेश निरस्त होने योग्य है. सरकारी वकील ने कहा जांच चल रही है, जिसके जल्द पूरी होने की उम्मीद है. इस पर कोर्ट ने मामला विचारणीय मानते हुए याची के निलंबन आदेश पर रोक लगाते लगा दी. कोर्ट ने विभागीय जांच पूरी करने का निर्देश दिया है और याची से जांच में सहयोग करने को कहा है.
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