भरतपुर. वन विभाग ने पर्यावरण सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए प्रदेश के सभी नेशनल पार्क, अभयारण्य और टाइगर रिजर्व में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है. केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान समेत प्रदेश के सभी अभयारण्यों में आने वाले पर्यटक अब अपने साथ प्लास्टिक की बोतल प्लास्टिक कैरी बैग नहीं ले जा सकेंगे. इसके लिए केवलादेव उद्यान ने नियम की पालना करना शुरू कर दिया है. साथ ही उद्यान प्रशासन आसपास के करीब 20 गांवों की महिलाओं द्वारा निर्मित कपड़े और जूट के बैग खरीदकर उन्हें रोजगार भी प्रदान करेगा.
ये है नया नियम : केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान के निदेशक मानस सिंह ने बताया कि हाल ही में प्रधान मुख्य वन संरक्षक व मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक ने आदेश जारी किया है. इसके तहत प्रदेश के सभी राष्ट्रीय उद्यान, टाइगर रिजर्व, वन्यजीव अभयारण्य और कंजर्वेशन रिजर्व में प्लास्टिक/पॉलिथिन कैरी बैग, पाउच व प्लास्टिक बोतल, कैंस या सभी तरह की प्लास्टिक पैकिंग में उपलब्ध खाद्य सामग्री ले जाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी गई है. इसकी पालना के लिए उद्यान, रिजर्व की टिकट खिड़की व प्रवेश द्वार पर हिंदी-अंग्रेजी में नियमों की जानकारी वाले साइन बोर्ड लगाने के भी आदेश दिए गए हैं.
इसे भी पढ़ें - अब घना में प्रवेश से पूर्व ही होगा जंगल का अहसास, पर्यटकों को रोचक अंदाज में मिलेगी पक्षियों की जानकारी
ऐसे कराएंगे पालना : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि इसकी पालना के लिए प्रवेश द्वार पर ही टिकट चेकिंग के दौरान पर्यटकों के पास उपलब्ध प्लास्टिक बोतल या अन्य प्लास्टिक की सामग्री को रखवा लिया जाएगा. साथ ही प्लास्टिक बैग के विकल्प के रूप में उन्हें सामान्य शुल्क पर कपड़े या जूट के बैग उपलब्ध कराए जाएंगे. कैंटीन में भी चिप्स आदि पैक्ड फूड को खोलकर कागज के रैपर में पर्यटकों को दिया जाएगा.
गाइड व रिक्शा चालक भी रखेंगे नजर : नियमों की सख्ती से पालन कराने के लिए उद्यान के नेचर गाइड और रिक्शा चालकों को भी नियमों की जानकारी देकर पालना सुनिश्चित की जाएगी. नेचर गाइड व रिक्शाचालक को कोई भी पर्यटक प्लास्टिक फेंकता हुआ मिलता है तो वो उसे डस्टबिन में डलवाएंगे और नियम की जानकारी देंगे. इसके अलावा जल्द ही होटल संचालक और एनजीओ वालों के साथ भी बैठक कर सुझाव मांगे जाएंगे.
इसे भी पढ़ें - 22 साल से नहीं मिला पांचना और नदी का पानी, कम हो गया घना का 3 वर्ग किलोमीटर वेटलैंड, अब संकट में पहचान
5 लाख तक जुर्माना : निदेशक मानस सिंह ने बताया कि यदि कोई पर्यटक नियमों की जानकारी और समझाइश के बावजूद उद्यान में प्लास्टिक फेंकता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ वन्यजीव संरक्षण अधिनियम के तहत जुर्माने की कार्रवाई की जाएगी. अधिनियम के तहत 5 लाख रुपए तक के जुर्माने का प्रावधान है.