बलरामपुर : जिला एवं सत्र न्यायालय की अदालत ने दो अलग अलग मामलों में महिला को जिंदा जलाने पर पति-पत्नी सहित परिवार के तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. जानलेवा हमले के मामले में दोष सिद्ध होने पर दो भाइयों सहित तीन लोगों को सात सात साल के कारावास की सजा सुनाई है.
जिला शासकीय अधिवक्ता कुलदीप सिंह ने बताया कि महराजगंज तराई थाना में 19 जून 2018 को मुकदमा दर्ज कराया था कि वादिनी जब उसकी बेटी रूबी कपड़ा फैला रही थी. उसी दौरान उसकी सास मुइदा, ससुर चिंताराम एवं जेठानी शांति देवी ने मिट्टी का तेल डाल कर जिंदा जला दिया गया. पति तुलसीराम द्वारा गंभीर अवस्था में रूबी को अस्पताल में भर्ती कराया गया. जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई. अभियोजन की तरफ से कुल 12 गवाहों का बयान दर्ज कराए गए. बचाव पक्ष की तरफ से कहा गया कि घटना झूठी है.
दोनो पक्षों को सुनने और गवाहों के बयानों के परीक्षण के बाद जिला जज अनिल कुमार झा की अदालत ने मुइदा, चिंताराम और शांति देवी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. अदालत ने तीनों दोषियों पर 50-50 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया है. एक अन्य मामले में अपर सत्र न्यायाधीश राजेश भरद्वाज ने आत्मघाती हमले के मामले में दोष सिद्ध होने पर दो सगे भाइयों सहित तीन लोगों को सात-सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई है.
अपर जिला शासकीय अधिवक्ता नवीन तिवारी के अनुसार उक्त मामला गैसडी थाना में वर्ष 2012 में पुरैना गांव निवासी उमर फारूक ने जमीनी विवाद में जानलेवा हमले का आरोप लगाते हुए तीन लोगों के खिलाफ अभियोग पंजीकृत कराया था. दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपर जिला जज ने कमर हुसैन उसके भाई बिलाल एवं मगरे को दोषी मानते हुए सात सात वर्ष कारावास की सजा सुनाई है. दोषियों पर 25 हजार का अर्थदंड भी लगाया गया है.
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