लखनऊ: संसद में जातीय जनगणना को लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेताओं और विपक्षी दलों के नेताओं के बीच घमासान छिड़ा हुआ है. नेता प्रतिपक्ष कांग्रेस सांसद राहुल गांधी लगातार कह रहे हैं कि वह जातीय जनगणना हरहाल में कराकर रहेंगे, वहीं भारतीय जनता पार्टी के सांसद अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी से ही उनकी जाति पूछ दी तो हंगामा खड़ा हो गया.
अभी जातीय जनगणना का मामला ठंडा नहीं पड़ा था तब तक अब कोटे में कोटा आरक्षण का मुद्दा गरम हो गया है. इसके बाद आरक्षण को लेकर बहस छिड़ गई है. सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण कोटा में कोटा देने का निर्णय सुनाया तो एक बार फिर आरक्षण की चर्चा गर्म है. बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष मायावती ने कहा है कि जब कांग्रेस की सरकार रही तब वह सुधारवादी नहीं रही और आज भाजपा की सरकार है तो वह भी सुधारवादी नहीं है. उन्होंने इस संबंध में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर पोस्ट की है.
बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती ने अपनी पोस्ट में लिखा कि सामाजिक उत्पीड़न की तुलना में राजनीतिक उत्पीड़न कुछ भी नहीं. क्या देश के ख़ासकर करोड़ों दलितों व आदिवासियों का जीवन द्वेष व भेदभाव-मुक्त आत्म-सम्मान व स्वाभिमान का हो पाया है? अगर नहीं तो फिर जाति के आधार पर तोड़े व पछाड़े गए इन वर्गों के बीच आरक्षण का बंटवारा कितना उचित है?
देश के एससी, एसटी व ओबीसी बहुजनों के प्रति कांग्रेस व भाजपा दोनों ही पार्टियों और सरकारों का रवैया उदारवादी रहा है सुधारवादी नहीं. वे इनके सामाजिक परिवर्तन व आर्थिक मुक्ति के पक्षधर नहीं, वरना इन लोगों के आरक्षण को संविधान की 9वीं अनुसूची में डालकर इसकी सुरक्षा जरूर की गई होती.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने आरक्षण से जुड़े मामले में कोटा के भीतर कोटा को लेकर अहम फैसला सुनाया है. शीर्ष अदालत ने कहा कि राज्यों के पास अधिक वंचित जातियों के उत्थान के लिए एससी और एसटी के लिए निर्धारित आरक्षण में उप वर्गीकरण करने का अधिकार है.
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