अयोध्या : भगवान जगन्नाथ, बलदेव, सुभद्रा और सुदर्शन जी के साथ बहुड़ा यात्रा में गुंडिचा मंदिर से श्रीमंदिर वापस जाते हैं. इस बार अयोध्या धाम के इतिहास में पहली बार भगवान बहुड़ा यात्रा अपने पारंपरिक रूप से निकाली गई. इस यात्रा का जगह-जगह पर फूलों से स्वागत किया गया तो वहीं अयोध्या के साधु संत भी इस यात्रा में शामिल हुए.
भगवान जगन्नाथ सपरिवार इस्काॅन मंदिर से रथ में चलकर राम जन्मभूमि के निकट में स्थित प्राचीन जगन्नाथ मंदिर में जनता को दर्शन देते वापस भेजे गए. इस दौरान 10 किलोमीटर की यह रथयात्रा सम्पन्न हुई. यात्रा नगर निगम कार्यालय से रथ के समक्ष झाड़ू लगाने की परिपाटी पूरी होने के बाद हरिनाम कीर्तन के साथ शुरू हुई.
फूड फॉर लाइफ प्रभारी विनय भूषण चैतन्य प्रभु जी और रामेश्वर तीर्थ प्रभु ने बताया कि भक्तों के लिये प्रसाद की सुंदर व्यवस्था की गई है. उन्होंने बताया कि 100 किलो बूंदी प्रसाद और पांच हजार लोगों के लिए रथयात्रा मार्ग में खिचड़ी प्रसाद का वितरण किया गया. साथ ही साथ रथ यात्रा के मध्य फलों का वितरण अनवरत चलता रहा. यात्रा के अंत में अयोध्या वासियों के लिए भंडारा प्रसाद का भी वितरण किया गया.
षट्भुज गौर प्रभु ने बताया कि भगवान जगन्नाथ सपरिवार रथयात्रा के दिन 7 जुलाई से इस्काॅन के प्रांगण में पूजा अर्चना और सेवा ले रहे हैं. अब अयोध्या की जनता को दर्शन देने के बाद अयोध्या के प्राचीन जगन्नाथ मंदिर वापस गए. यात्रा नगर निगम कार्यालय से रामपथ से रिकाबगंज होते हुए चौक, मकबरा, नाका हनुमानगढ़ी के रास्ते वापस राम नगर स्थित मंदिर गई. तत्पश्चात भगवान का पूजन आरती के साथ-साथ 56 भोग अर्पण किया गया और फिर सभी भक्तों के लिए महाप्रसाद और महाभंडारे का आयोजन हुआ. अगले दिन सुबह भगवान राम जन्मभूमि के निकट जगन्नाथ मंदिर मे वापस जाएंगे.
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इस यात्रा में स्वच्छ भारत पर जागरुकता का संदेश भी दिया. वैदिक शास्त्रों की ऐसी मान्यता है की भगवान जगन्नाथ के दिव्य दर्शन जो कोई भी करता है, वह मुक्त हो जाता है. जो रथ खींचता है उसे सैकड़ों यज्ञ करने का लाभ प्राप्त होता है. इस यात्रा में स्त्री-पुरुष, यूवा-वृद्ध हरिनाम संकीर्तन की ताल पर नृत्य करते हुए दिखे. वहीं, छोटे-छोटे बच्चे रामलीला व कृष्ण लीला का प्रदर्शन करते हुए आकर्षण का केन्द्र रहे.