दुर्ग: छत्तीसगढ़ में 14 नवंबर 2024 से धान खरीदी की शुरुआत हुई है. तब से लगातार धान खरीदी की प्रक्रिया जारी है. दुर्ग में भी धान खरीदी तेज गति से चल रही है. यहां समय पर धान का उठाव नहीं होने से परेशानी हो रही है. जिले में कस्टम मिलिंग के लिए मिलरों का अब तक पंजीयन शुरू नहीं हुआ है. अब तक न ही संग्रहण केंद्र चालू हुआ है. जिससे धान का जाम लग गया है.
दुर्ग के उपार्जन केंद्रों में जाम: दुर्ग के धान केंद्रों और उपार्जन केंद्रों में धान का उठाव नहीं हो रहा है. इससे जिले के उपार्जन केंद्रों में 5 लाख 36 हजार 665 क्विंटल धान जाम हो गया है. जिले के 16 उपार्जन केन्द्रों में तो बफर लिमिट से अधिक धान जाम है. पिछले दिनों इन्हीं मुद्दों को लेकर सहकारी समिति के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे. उसके बाद भी धान का उठाव शुरू नहीं हो पाया है.
किन किन केंद्रों में धान जमा?: दुर्ग के 87 सहकारी समितियों में 102 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं. इसमें धमधा विकासखंड के रहटादाह सरकारी समिति में डेढ़ गुना से अधिक धान जमा है. इस धान खरीदी केंद्र का लिमिट 720 टन है. उसके बावजूद यहां मौजूदा समय में 1169.80 टन धान खुले आसमान के नीचे पड़ा है. ऐसा ही हाल अन्य धान खरीदी केंद्रों का है.
अन्य धान खरीदी केंद्रों की स्थिति: अन्य धान खरीदी केंद्रों की स्थिति की बात करें तो डोड़की उपार्जन केन्द्र की लिमिट 720 टन की है. यहां अभी 1118 टन धान है और फेकारी की भी बफर लिमिट 720 टन की है यहां भी वर्तमान में 1060 टन धान है. इसी तरह उपार्जन केन्द्र अंडा, जामगांव आर, डीड़ाभाठ, दमोद, निकुम, निपानी, बटोल, बरहापुर, रौंदा, सुरपा और सेलूद में भी धान लिमिट के पार तक पहुंच गया है.
समितियों को सूखत होने का डर: जो धान खरीदी केंद्र में बाहर पड़े हुए हैं उसमें सूखत होने का डर सता रहा है. समितियों को सुखत के रूप में नुकसान की संभावना बढ़ जाएगी. पिछले दिनों इन्हीं मुद्दों को लेकर सहकारी समिति के कर्मचारी हड़ताल पर चले गए थे. जिला विपणन अधिकारी भौषिक बघेल ने बताया कि कस्टम बिलिंग के लिए पहले उठाव की कोशिश है.
कस्टम मिलिंग करने वाले राइस मिलर्स से सहमति बनाकर जल्द धान उठाव शुरू करने का प्रयास है. कस्टम मिलिंग के लिए धान उठाव नहीं हो पाने पर संग्रहण केन्द्रों के लिए उठाव कराए जाने तैयारी चल रही है. इसके लिए संग्रहण केन्द्रों की साफ सफाई कराई जा रही है: भौषिक बघेल, जिला विपणन अधिकारी
धान खरीदी का पिछला बकाया बचा हुआ है. सरकार की तरफ से 500 करोड़ रुपये बचा हुआ है. इसके चलते ही हम लोग धन उठाव नहीं कर रहे हैं. इससे सरकार और राइस मिलों को काफी नुकसान हो रहा है. इस मसले पर सरकार को जल्द धन उठाव का प्रबंध और अनुबंध करना चाहिए: संतोष जैन, अध्यक्ष, राइस मिलर एसोसिएशन दुर्ग
कुल मिलाकर दुर्ग में धान खरीदी को लेकर बदइंतजामी की तस्वीर सामने आ रही है. अब देखना होगा कि यहां से धान का उठाव कब हो पाता है.