लखनऊ : प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर करने में अब एलोपैथिक अस्पताल ही नहीं बल्कि आयुष विभाग के आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक व यूनानी चिकित्सालय की भी अहम भूमिका होगी. आयुर्वेदिक अस्पतालों में ओपीडी के साथ-साथ मरीजों के लिए इंडोर सेवाएं बढ़ाने पर भी जोर दिया जाएगा. इसके लिए हर पद्धति के इलाज के लिए नए अस्पताल बनाए जाएंगे. इन अस्पतालों के लिए केंद्र ही नहीं, जिला योजना अंतर्गत राज्य सरकार ने भी भारी भरकम बजट जारी कर दिया है.
जौनपुर में 30 बेड का अस्पताल निर्माणाधीन : आयुर्वेद निदेशक डॉ. प्रकाश चंद्र सक्सेना ने बताया कि उत्तर प्रदेश राज्य आयुष सोसाइटी द्वारा मिले 414 करोड़ में 42 करोड़ की प्रथम किस्त मिल चुकी है. इसके अलावा जिला योजना अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा राजकीय चिकित्सालयों के निर्माण के लिए ढाई करोड़ रुपये मिले हैं. आयुष सोसाइटी के बजट से जौनपुर में 30 बेड का अस्पताल निर्माणाधीन है. 11 जिलों में 50 बेड एकीकृत आयुष अस्पताल के बनाए जाएंगे. जबकि, छह जिलों में अस्पताल तैयार हो चुके हैं, इनमें चिकित्सकीय सेवाएं शुरू होनी हैं. इसके अलावा राज्य सरकार में मिले 3.5 करोड़ के बजट में 25 बेड, 15 व चार बेड के नए आयुर्वेदिक अस्पताल भी बनाए जाएंगे. आयुर्वेदिक चिकित्सा के तहत चार बेड के 250 अस्पताल निर्माणाधीन हैं, 177 अतिरिक्त प्रस्तावित हैं. इसके अलावा 15 बेड के दो अस्पताल प्रस्तावित हैं.
25 यूनानी अस्पतालों को मिली जमीन : यूनानी विभाग के निदेशक डॉ. अब्दुल वहीद ने बताया कि सोसाइटी द्वारा साढ़े पांच करोड़ की किस्त मिल चुकी है. 25 यूनानी अस्पतालों की भूमि मिल चुकी है, जिन पर भवन निर्माण कराया जाएगा. इसके अलावा 11 एकीकृत आयुष अस्पताल व 49 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर संचालित किए जाएंगे. लखनऊ व प्रयागराज स्थित कॉलेज के अस्पतालों में इंडोर सेवाएं जारी हैं.
कई जिलों में इंडोर सेवाएं उपलब्ध : होम्योपैथी निदेशक डॉ. अरविंद वर्मा ने बताया कि कई जिलों में इंडोर सेवाएं उपलब्ध हैं. निर्माणाधीन आयुष अस्पताल बनने से मरीजों को इलाज मिलना आसान हो जाएगा. हर जिले में होम्योपैथिक चिकित्सा अधिकारी कार्यालय बनने के बाद गुणवत्ता ही नहीं, नए अस्पतालों में चिकित्सकीय सेवाएं भी बढ़ेंगी. उन्होंने बताया कि परंपरागत चिकित्सकीय सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए लखनऊ, वाराणसी, कानपुर नगर, कानपुर देहात, बरेली, कौशाम्बी, ललितपुर, संतकबीर नगर, सोनभद्र, अमेठी व देवरिया में 50 बेड के एकीकृत आयुष अस्पताल निर्माणाधीन हैं. जबकि, रायबरेली, बस्ती, जालौन, बागपत, बुलंदशहर व बलिया में अस्पताल बन चुके हैं.
सहायक आचार्य पद पर होंगे तैनात : सरकारी मेडिकल कॉलेजों में विभिन्न विभागों के कुल 147 सुपर स्पेशलिस्ट डॉक्टरों को बतौर सहायक आचार्य पद पर तैनात किया जाएगा. चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा काउंसिलिंग के तहत मंगलवार को विभागवार डॉक्टरों की सूची जारी कर दी गई है. कॉलेज आवंटन की सूची 29 फरवरी यानी बुधवार को जारी कर दी जाएगी. इन डॉक्टरों की नियुक्ति के साथ ही कॉलेज संबद्ध अस्पतालों में गुणवत्ता युक्त चिकित्सकीय सेवाएं बढ़ जाएंगी.
बांड के तहत देनी होंगी दो साल सेवाएं : जानकारी के मुताबिक, नीट एसएस 2020 बैच के सरकारी संस्थानों से उत्तीर्ण चिकित्सकों को बांड के तहत दो साल सेवाएं देनी होंगी. इसके लिए चल रही काउंसिलिंग के तहत सूची में शामिल अभ्यर्थियों को अगले दो दिन तक कॉलेज की प्राथमिकताएं देनी होंगी. इसके लिए रिक्त सीटों के आधार पर कॉलेज आवंटित कर 29 फरवरी को सूची जारी कर दी जाएगी. साथ ही मार्च के प्रथम सप्ताह में ज्वाइनिंग भी करनी होगी. बता दें कि प्रदेश के 34 जिलों में भले ही मेडिकल कॉलेज बन गए हैं. नौ जिलों में मेडिकल कॉलेज निर्माणाधीन हैं. लेकिन, यहां पर विशेषज्ञों की कमी के कारण मरीज को बेहतर चिकित्सा नहीं मिल पाती है. जिसके कारण तीमारदार मरीज को लेकर राजधानी के बड़े मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए पहुंचते हैं.
किस विभाग को कितने मिले डॉक्टर : तैनाती पाने वाले डॉक्टरों में सबसे ज्यादा 24 कार्डियोलॉजिस्ट, 16 न्यूरोलॉजिस्ट, 17 न्यूरो सर्जन, 14 गेस्ट्रो सर्जन, पांच सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, छह नेफ्रोलॉजिस्ट, 12 यूरोलॉजिस्ट, तीन पल्मोनरी मेडिसिन, पांच प्लास्टिक सर्जन, दो पीडियाट्रिक गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, एक पीडियाट्रिक सर्जन, एक नियोनेटोलॉजी, दो मेडिकल जनेटिक्स, तीन जिरियाटिक मेंटल हेल्थ, तीन क्लीनिकल हेमोटोलॉजी, नौ क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी, पांच इंडोक्राइन सर्जन, पांच इंडोक्राइनोलॉजी, पांच क्रिटिकल केयर यूनिट विशेषज्ञ, तीन कार्डियक एनेस्थिसिया के विशेषज्ञ मिलेंगे.
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