देहरादून: उत्तराखंड सरकार प्राचीन आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति को बढ़ाने पर जोर दे रही है. इसी क्रम में पहली बार आयुर्वेद विभाग, सचिवालय समेत पांच जिला चिकित्सालयों में प्रकृति परीक्षण कियोस्क मशीन लगाने जा रहा है. इसका लाभ लोगों को जल्द मिलना शुरू हो जायेगा. इसके बाद प्रदेश भर के अस्पतालों में मशीनें लगाई जाएंगी. दरअसल, प्रकृति परीक्षण से कोई भी व्यक्ति अपनी दिनचर्या और खानपान की स्थिति की जानकारी ले सकता है. साथ ही स्वस्थ रहने के लिए रिपोर्ट के अनुसार अपनी जीवन शैली में बदलाव कर सकते हैं.
बता दें कि आयुर्वेद पद्धति में व्यक्ति के स्वास्थ्य का प्रकृति परीक्षण, वात, पित, कफ दोष के आधार पर किया जाता है. इस परीक्षण के बाद रिपोर्ट के आधार पर स्वस्थ और निरोग जीवनशैली के लिए खानपान और दिनचर्या अपनाने की सलाह दी जाती है. इसके साथ ही प्रकृति परीक्षण के दौरान आयुर्वेद ग्रंथों के आधार पर व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य संबंधित सवाल किए जाते हैं. प्रकृति परीक्षण कियोस्क मशीन में सबसे पहले व्यक्ति की सामान्य जानकारी, मोबाइल नंबर और ईमेल आईडी दर्ज की जाती है. इसके बाद व्यक्ति को 15 सवालों के जवाब देने होते हैं. फिर फाइनल जांच रिपोर्ट आ जाती है.
रिपोर्ट के आधार पर डॉक्टर्स दिनचर्या के साथ फल, सब्जी और भोजन करने की सलाह देते हैं. प्रदेश में पहली बार प्रकृति परीक्षण के लिए कियोस्क मशीन स्थापित की जा रही है. इस मशीन से कोई भी व्यक्ति अपने से संबंधित 15 सवालों का जवाब देकर अपनी दिनचर्या और खानपान से जुड़ी जानकारी ले सकता है. पहले चरण में सचिवालय परिसर के साथ ही हल्द्वानी, रुद्रपुर, हरिद्वार जिला चिकित्सालय और देहरादून के माजरा राजकीय आयुर्वेद चिकित्सा में प्रकृति परीक्षण कियोस्क मशीन स्थापित की जा रही हैं. जल्द ही इस सुविधा की शुरुआत की जाएगी.
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