अयोध्या: रामनवमी पर रामलला को तीन दिन 24 घंटे जगाए जाने पर रामानंद संप्रदाय के संत धर्माचार्य ने अनुचित बताते हुए रामलला को जगाए जाने को लेकर सवाल खड़ा कर दिया है. उन्होंने कहा कि रामलला को कैसे जगाया जाएगा. श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट इस परंपरा को राम मंदिर में दर्शन की व्यवस्था बनाए जाने के निर्णय पर भरोसा जताया है. वहीं संतों का मानना है कि रामनवमी पर आने लाखों श्रद्धालुओं की आस्था को ध्यान में रखते हुए रात्रि 11:00 बजे तक दर्शन होने और 3:00 के बाद मंदिर में दर्शन प्रारंभ करने की योजना बनाई जाए.
दशरथ महल के महंत बिंदु गद्दाचार्य देवेंद्र प्रसाद आचार्य ने कहा कि भक्तों को दर्शन देना भगवान के बस में है. रामनवमी पर आने वाले लाखों भक्तों को रामलला का दर्शन कराए जाने के लिए विचार किया जा रहा है. सुनने में आ रहा है कि अष्टमी, नवमी और दशमी तीन दिनों तक 24 घंटे दर्शन होगा. यह निर्णय श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट करेगा. इस पर किसी प्रकार की टिप्पणी करना सही नहीं है. लेकिन, यह जरूर है कि ट्रस्ट रामानंद संप्रदाय की परंपरा और उसके नियमों का पालन करते हुए फैसला लेगी.
रामनवमी उत्सव बेहद खास: महंत बिंदु गद्दाचार्य देवेंद्र प्रसाद ने कहा कि भगवान को 24 घंटे एक दिन के लिए जगाना तो हो सकता है, लेकिन तीन दिनों तक इसी प्रकार से दर्शन की व्यवस्था करना न्याय संगत नहीं है. रामनवमी को बहुत ही धूमधाम से मनाया जाना चाहिए. लंबे समय के बाद आज रामलला अपने महल में विराजमान हुए हैं. तो ऐसे में इस बार का उत्सव बेहद खास होना चाहिए. जहां तक रामलला को रात्रि जगाने की बात पर राय है कि आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या को ध्यान में रखते हुए रात्रि 12:00 बजे से सुबह 4:00 बजे तक शयन की अवधि जरूर निर्धारित करें और सुबह 4:00 से रात्रि 11:00 बजे तक दर्शन की व्यवस्था बनाई जा सकती है.
किसी भी परंपरा में रात्रि जागरण की बात नहीं: रामानंद संप्रदाय के रामकथा वाचक पूर्व सांसद डॉक्टर राम विलास दास वेदांती ने कहा कि यह जानकारी प्राप्त हुई है कि तीन दिनों तक 24 घंटे रामलला का दर्शन प्राप्त होगा. इस बात पर विश्वास नहीं हो रहा कि जब रामलला का पूजन अर्चन वंदन होता है, उस समय पट बंद रहता है. रामानंद संप्रदाय के तहत भगवान की दिनचर्या को देखते हुए श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट विचार करेगा कि क्या उचित है. उसके अनुसार रामानंदीय परंपरा और भारतीय संस्कृति की परंपरा का पालन करते हुए रामलला का दर्शन किया जाता है.
आगे भी इसी प्रकार दर्शन होगा. उन्होंने कहा कि शास्त्र के अनुसार श्रीमद् वाल्मीकि रामायण, भागवत महापुराण, स्कंद पुराण में भी भगवान के दिनचर्या का वर्णन है. प्रातः काल ब्रह्म बेला में स्नान उसके बाद राग भोग आरती, दोपहर में भगवान के भोग और शयन और सायं काल संध्या आरती फिर शयन आरती की परंपरा है. इसी परंपरा के अनुसार उनकी सेवा का कार्य चलते आ रहा है. विश्वास है कि आगे भी इसी परंपरा से पूजा चलेगी. किसी भी परंपरा में रात्रि जागरण की बात नहीं आई है. इसके बावजूद राम मंदिर ट्रस्ट इस मामले पर निर्णय लेगा.
महंत सत्येंद्र दास वेदांती ने कहा कि रामलला को 24 घंटे जगाए रखना सनातन धर्म और उपासना पद्धति के विरुद्ध है. अगर ट्रस्ट तीन दिन 24 घंटे दर्शन कर जाने की योजना पर निर्णय देता है, तो इसका विरोध करते हैं. रामलला शिशु सामान है. उन्हें समय पर जगाना, उनके आरती भोगराज की व्यवस्था करना सही है. न की भीड़ बढ़ने से उनकी परंपरा में ही बदलाव कर दिया जाए.
रात में भगवान को जगाए जाने की परंपरा नहीं: श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य निर्मोही अखाड़ा के महंत दिनेंद्र दास का कहना है कि रामानंद संप्रदाय में किसी भी मंदिर में रात्रि भगवान को कई दिनों तक जगाए जाने की परंपरा नहीं है. विशेष रूप से कुछ विशेष आयोजनों के दौरान एक दिन के लिए जागरण और धार्मिक अनुष्ठान किया जाता है. उन्होंने बताया कि वैष्णो संप्रदाय में सुबह 4:00 बजे से रात्रि 10:00 बजे तक दिनचर्या की परंपरा है. रात्रि 10:00 बजे के बाद किसी भी प्रक्रिया को शामिल नहीं किया गया है.
हिंदू नववर्ष के अवसर पर अयोध्या में होने वाली परंपरागत रामकोट की परिक्रमा की तैयारी को लेकर विक्रमादित्य न्यास महोत्सव समिति की बैठक लक्ष्मण किला में सम्पन्न हुई. 8 अप्रैल को 21वीं परिक्रमा दोपहर 3:00 बजे गत गजेंद्र भगवान का पूजन अर्चन कर साधु संत प्रारम्भ करेंगे. इसके पहले सभी संतों ने राम मंदिर में विराजमान रामलला का दर्शन पूजन करने को लेकर श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से व्यवस्था बनाई जाने की मांग रखी. बैठक में शामिल राममंदिर के ट्रस्टी डॉ अनिल मिश्रा ने बताया, कि दो दशक पुरानी परंपरा को पूरी भव्यता से निभाया जाएगा. परिक्रमा में भगवान के स्वरूपाें की झांकी सजेगी.
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