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रंगभरी एकादशी पर अयोध्या की गलियों में उड़ा रंग-गुलाल, नागा साधुओं ने रामलाल और हनुमंत लला से खेली होली - Rangbhari Ekadashi in Ayodhya

रामनगरी अयोध्या में होली (Holi in Ayodhya) के रंग और गुलाल उड़ने लगे हैं. अयोध्या के प्रसिद्ध सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी में नागा साधुओं ने रंगभरी एकादशी पर अयोध्या की गलियों में टोलियां निकाल कर रंग और गुलाल उड़ाया. यह आयोजन यहां चार दिनों तक चलेगा.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 20, 2024, 3:52 PM IST

रंगभरी एकादशी पर अयोध्या की गलियों में उड़ा रंग गुलाल. देखें खबर

अयोध्या : रामनगरी में एक मंगलवार सुबह अलग ही उल्लास और उत्साह देखने को मिला. सदियों की परंपरा का निर्वहन करते हुए मंगलवार सुबह पवन पुत्र बजरंगबली के प्रमुख सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी से होली के मुख्य पर्व की शुरुआत हो गई. हनुमानगढ़ी में नागा साधु हनुमंत लला सरकार के साथ रंग और गुलाल खेला. इसके बाद हनुमान जी के प्रतीक चिह्न हनुमानगढ़ी के पवित्र निशान को लेकर अयोध्या के पंच कोसी परिक्रमा शुरू हुई. इस दौरान मंदिरों में नागा साधु जाकर अबीर रंग गुलाल उड़ाए.

रंगभरी एकादशी पर अयोध्या में खेली गई होली.
रंगभरी एकादशी पर अयोध्या में खेली गई होली.

नागा साधुओं के निशाने पर रहते हैं पुलिस अधिकारी : रंगभरी एकादशी के दिन नागा साधुओं द्वारा होली खेलने के साथ ही अयोध्या में लगभग पांच दिनों तक चलने वाला पर्व शुरू हो गया है. हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी राजू दास सहित अन्य नागा साधुओं की टोली ने जमकर गुलाल उड़ाया. रंगभरी एकादशी के मौके पर बजरंगबली के दर्शन करने वाले राम भक्तों को गुलाल से रंग दिया गया और इस गुलाल को भक्तों ने प्रसाद के रूप में स्वीकार किया. जिसके बाद गाजे बाजे के साथ करतब दिखाते हुए नागा साधुओं की टोली अयोध्या के मुख्य सड़क मार्ग से होकर गुजरी. इस दौरान बूढ़े, बच्चे, महिलाएं और पुलिसकर्मी, अधिकारी सभी को नागा साधुओं ने अबीर और गुलाल से रंग दिया.


पुजारी राजू दास ने बताया कि रंगभरी एकादशी के पर्व पर सदियों से हनुमंत लला सरकार और उनके भक्त अपने आराध्य प्रभु श्री राम से होली खेलने निकलते हैं. सभी मंदिरों में अब गुलाल रंग उड़ाते हुए होली के पर्व की बधाई देते हैं. हनुमानजी के प्रतीक चिह्न निशान की हर मंदिर में आरती उतारी जाती है और पूजा होती है. जिसके बाद मंदिर में विराजमान विग्रह और मंदिर के पुजारी को अबीर गुलाल से रंग दिया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसका निर्वहन किया जा रहा है. इस बार प्रभु श्री राम लगभग 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद अपने नूतन भवन में विराजमान हुए हैं. इसलिए होली का उल्लास और गहरा है.

यह भी पढ़ें : HOLI 2023: बाजार में चढ़ा योगी और मोदी का रंग, पीएम और सीएम की तस्वीर वाली पिचकारी की डिमांड

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रंगभरी एकादशी पर अयोध्या की गलियों में उड़ा रंग गुलाल. देखें खबर

अयोध्या : रामनगरी में एक मंगलवार सुबह अलग ही उल्लास और उत्साह देखने को मिला. सदियों की परंपरा का निर्वहन करते हुए मंगलवार सुबह पवन पुत्र बजरंगबली के प्रमुख सिद्ध पीठ हनुमानगढ़ी से होली के मुख्य पर्व की शुरुआत हो गई. हनुमानगढ़ी में नागा साधु हनुमंत लला सरकार के साथ रंग और गुलाल खेला. इसके बाद हनुमान जी के प्रतीक चिह्न हनुमानगढ़ी के पवित्र निशान को लेकर अयोध्या के पंच कोसी परिक्रमा शुरू हुई. इस दौरान मंदिरों में नागा साधु जाकर अबीर रंग गुलाल उड़ाए.

रंगभरी एकादशी पर अयोध्या में खेली गई होली.
रंगभरी एकादशी पर अयोध्या में खेली गई होली.

नागा साधुओं के निशाने पर रहते हैं पुलिस अधिकारी : रंगभरी एकादशी के दिन नागा साधुओं द्वारा होली खेलने के साथ ही अयोध्या में लगभग पांच दिनों तक चलने वाला पर्व शुरू हो गया है. हनुमानगढ़ी के मुख्य पुजारी राजू दास सहित अन्य नागा साधुओं की टोली ने जमकर गुलाल उड़ाया. रंगभरी एकादशी के मौके पर बजरंगबली के दर्शन करने वाले राम भक्तों को गुलाल से रंग दिया गया और इस गुलाल को भक्तों ने प्रसाद के रूप में स्वीकार किया. जिसके बाद गाजे बाजे के साथ करतब दिखाते हुए नागा साधुओं की टोली अयोध्या के मुख्य सड़क मार्ग से होकर गुजरी. इस दौरान बूढ़े, बच्चे, महिलाएं और पुलिसकर्मी, अधिकारी सभी को नागा साधुओं ने अबीर और गुलाल से रंग दिया.


पुजारी राजू दास ने बताया कि रंगभरी एकादशी के पर्व पर सदियों से हनुमंत लला सरकार और उनके भक्त अपने आराध्य प्रभु श्री राम से होली खेलने निकलते हैं. सभी मंदिरों में अब गुलाल रंग उड़ाते हुए होली के पर्व की बधाई देते हैं. हनुमानजी के प्रतीक चिह्न निशान की हर मंदिर में आरती उतारी जाती है और पूजा होती है. जिसके बाद मंदिर में विराजमान विग्रह और मंदिर के पुजारी को अबीर गुलाल से रंग दिया जाता है. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है जिसका निर्वहन किया जा रहा है. इस बार प्रभु श्री राम लगभग 500 वर्षों की लंबी प्रतीक्षा के बाद अपने नूतन भवन में विराजमान हुए हैं. इसलिए होली का उल्लास और गहरा है.

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