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2 साल में 14 रेल हादसों पर एटीएस का दावा, नॉन बिजी रूट्स पर साजिशकर्ता सक्रिय - Study report on rail accidents

भारत में पिछले 2 सालों में 14 ऐसे रेल हादसों की स्टडी रिपोर्ट एटीएस ने तैयार की है. इनमें एक कॉमन बात यह सामने आई कि ट्रेन के डिरेल करने के लिए साजिशकर्ताओं ने हमेशा नॉन बिजी रूट्स को चुना है.

रेल हादसों जांच करते हुए अधिकारी
रेल हादसों जांच करते हुए अधिकारी (Photo Credit- Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Sep 10, 2024, 3:49 PM IST

कानपुर: देश के अंदर पिछले दो सालों में 14 ऐसे रेल हादसों की स्टडी रिपोर्ट एटीएस ने तैयार की है, जिनमें एक कॉमन बात यह सामने आई कि ट्रेन के डिरेल करने के लिए साजिशकर्ताओं ने हमेशा नॉन बिजी रूट्स को चुना है. कहीं न कहीं, कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस हादसा भी इसी ओर इशारा कर रहा है.

खुद एटीएस के आईजी नीलाब्जा चौधरी साफतौर से कह रहे हैं, कि कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस हादसा आतंकी साजिश हो भी सकती है और नहीं भी. वहीं, जब उनसे यह सवाल किया गया, कि आखिर कानपुर में ही क्यों हादसे या घटनाएं सामने आ रही हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि केवल कानपुर ही टारगेट है ऐसा नहीं है. प्रदेश के अन्य शहरों में भी मामले सामने आए हैं. वहीं, अभी तक कानपुर के कालिंदी एक्सप्रेस हादसा मामले में खुफिया विभाग के अफसरों ने 10 से अधिक लोगों से पूछताछ की, लेकिन पुलिस से लेकर एटीएस के पास कोई ठोस जवाब नहीं है. न ही अभी तक पुलिस या एटीएस किसी अभियुक्त तक पहुंच चुकी है.

200 से अधिक सीसीटीवी देखे गए है: कमिश्नरेट पुलिस के आला अफसरों का कहना है कि कालिंदी एक्सप्रेस हादसे के दौरान जो साक्ष्य मिले हैं, उनकी जांच कराई जा रही है. इसमें मुख्य रूप से सिलेंडर, माचिस समेत अन्य सामान शामिल हैं. सिलेंडर मौके पर कैसे पहुंचा, माचिस कहां से आई? इस तरह के कई सवालों के जवाब के लिए स्पेशल टीम के कर्मी भी काम कर रहे हैं. वहीं, सोमवार सुबह से लेकर मंगलवार तक पुलिस कर्मियों ने ट्रैक के आसपास के 200 कैमरों के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला है. घटना के दौरान जो मोबाइल कॉल्स की गईं, उनके डाटा फिल्टरेशन का काम भी जारी है. कमिश्नरेट पुलिस के आला अफसरों का दावा है, कि कालिंदी एक्सप्रेस हादसे के दोषी जल्द ही गिरफ्तार होंगे.

हादसों से जुड़े इन तीन मामलों की चर्चा जोरों पर: शहर में एक माह के अंदर ही (करीब 24 दिनों में) तीन रेल हादसों के मामलों की चर्चा जोरों पर है. इनमें 17 अगस्त को गुजैनी से भीमसेन के बीच झांसी अपलाइन रुट पर साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हुई थी और उसके 20 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. एटीएस समेत अन्य खुफिया एजेंसियों ने उस मामले की जांच की थी। लेकिन, कोई दोषी नहीं पकड़ा गया. इसके बाद पांच सितंबर को गुजैनी पुल से इसी रेलवे ट्रैक पर एक ट्रक गिरा था, जिसके चलते आठ ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहा. फिर 9 सितंबर को शिवराजपुर के पास मेडुआ गांव के समीप कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे एक सिलेंडर से टकरा जाती है. जबकि ट्रैक के किनारे ही माचिस और पेट्रोल भरी बोतल भी खुफिया व कमिश्नरेट पुलिस के कर्मियों को मिलती है। जिसकी जांच जारी है.

हादसों की लगातार जांच कर रही हैं: शहर में एक माह के अंदर जिस तरह से तीन रेल हादसों के मामले सामने आए, उसमें कई आतंकी संगठनों- आईएसआईएस, आईएस खुरासान समेत अन्य के नामों का जिक्र जरूर किया जा रहा है. मगर, एटीएस के आईजी नीलाब्जा चौधरी ने इस बात को सिरे से नकारा है. उनका कहना है, कि हमारी टीमें हादसों की लगातार जांच कर रही हैं. जल्द ही हम साजिशकर्ताओं को अरेस्ट करेंगे.

कानपुर: देश के अंदर पिछले दो सालों में 14 ऐसे रेल हादसों की स्टडी रिपोर्ट एटीएस ने तैयार की है, जिनमें एक कॉमन बात यह सामने आई कि ट्रेन के डिरेल करने के लिए साजिशकर्ताओं ने हमेशा नॉन बिजी रूट्स को चुना है. कहीं न कहीं, कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस हादसा भी इसी ओर इशारा कर रहा है.

खुद एटीएस के आईजी नीलाब्जा चौधरी साफतौर से कह रहे हैं, कि कानपुर में कालिंदी एक्सप्रेस हादसा आतंकी साजिश हो भी सकती है और नहीं भी. वहीं, जब उनसे यह सवाल किया गया, कि आखिर कानपुर में ही क्यों हादसे या घटनाएं सामने आ रही हैं? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि केवल कानपुर ही टारगेट है ऐसा नहीं है. प्रदेश के अन्य शहरों में भी मामले सामने आए हैं. वहीं, अभी तक कानपुर के कालिंदी एक्सप्रेस हादसा मामले में खुफिया विभाग के अफसरों ने 10 से अधिक लोगों से पूछताछ की, लेकिन पुलिस से लेकर एटीएस के पास कोई ठोस जवाब नहीं है. न ही अभी तक पुलिस या एटीएस किसी अभियुक्त तक पहुंच चुकी है.

200 से अधिक सीसीटीवी देखे गए है: कमिश्नरेट पुलिस के आला अफसरों का कहना है कि कालिंदी एक्सप्रेस हादसे के दौरान जो साक्ष्य मिले हैं, उनकी जांच कराई जा रही है. इसमें मुख्य रूप से सिलेंडर, माचिस समेत अन्य सामान शामिल हैं. सिलेंडर मौके पर कैसे पहुंचा, माचिस कहां से आई? इस तरह के कई सवालों के जवाब के लिए स्पेशल टीम के कर्मी भी काम कर रहे हैं. वहीं, सोमवार सुबह से लेकर मंगलवार तक पुलिस कर्मियों ने ट्रैक के आसपास के 200 कैमरों के सीसीटीवी फुटेज को खंगाला है. घटना के दौरान जो मोबाइल कॉल्स की गईं, उनके डाटा फिल्टरेशन का काम भी जारी है. कमिश्नरेट पुलिस के आला अफसरों का दावा है, कि कालिंदी एक्सप्रेस हादसे के दोषी जल्द ही गिरफ्तार होंगे.

हादसों से जुड़े इन तीन मामलों की चर्चा जोरों पर: शहर में एक माह के अंदर ही (करीब 24 दिनों में) तीन रेल हादसों के मामलों की चर्चा जोरों पर है. इनमें 17 अगस्त को गुजैनी से भीमसेन के बीच झांसी अपलाइन रुट पर साबरमती एक्सप्रेस डिरेल हुई थी और उसके 20 डिब्बे पटरी से उतर गए थे. एटीएस समेत अन्य खुफिया एजेंसियों ने उस मामले की जांच की थी। लेकिन, कोई दोषी नहीं पकड़ा गया. इसके बाद पांच सितंबर को गुजैनी पुल से इसी रेलवे ट्रैक पर एक ट्रक गिरा था, जिसके चलते आठ ट्रेनों का संचालन प्रभावित रहा. फिर 9 सितंबर को शिवराजपुर के पास मेडुआ गांव के समीप कालिंदी एक्सप्रेस ट्रैक पर रखे एक सिलेंडर से टकरा जाती है. जबकि ट्रैक के किनारे ही माचिस और पेट्रोल भरी बोतल भी खुफिया व कमिश्नरेट पुलिस के कर्मियों को मिलती है। जिसकी जांच जारी है.

हादसों की लगातार जांच कर रही हैं: शहर में एक माह के अंदर जिस तरह से तीन रेल हादसों के मामले सामने आए, उसमें कई आतंकी संगठनों- आईएसआईएस, आईएस खुरासान समेत अन्य के नामों का जिक्र जरूर किया जा रहा है. मगर, एटीएस के आईजी नीलाब्जा चौधरी ने इस बात को सिरे से नकारा है. उनका कहना है, कि हमारी टीमें हादसों की लगातार जांच कर रही हैं. जल्द ही हम साजिशकर्ताओं को अरेस्ट करेंगे.

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