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व्यर्थ बहते पानी के संरक्षण के लिए परमाणु सहेली की पहल, बनाया ये खास प्लान - water conservation plan

राजस्थान की जमीन पर करीब 210 करोड़ लाख लीटर पानी बरसता है, लेकिन यह पानी हर साल व्यर्थ ही बह कर चला जाता है. इस पानी के संग्रहण के लिए भारत की परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल और आईआईटीयन विप्र गोयल ने एक प्लान तैयार किया है. पढ़िए पूरी खबर...

water conservation plan
water conservation plan (PHOTO : ETV BHARAT)
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Aug 13, 2024, 7:47 AM IST

दौसा. भारत की परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल और आईआईटीयन विप्र गोयल ने राजस्थान के प्रत्येक किसान ग्रामीण परिवार के लिए शून्य लागत पर सिंचाई व घरेलू उपभोग के लिए पूरे साल पानी की समुचित व्यवस्था, 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था व प्रत्येक ग्रामीण परिवार से औसतन 2 वयस्कों को ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था के लिए एक रणनीतिक प्लान तैयार किया है. इसको लेकर सोमवार को उन्होंने दौसा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया.

परमाणु सहेली डॉक्टर नीलम गोयल ने ने बताया कि यह एक बहुत बड़ी विडम्बना रही है कि हर साल प्रकृति राजस्थान की जमीन पर करीब 210 करोड़ लाख लीटर पानी बरसता है, लेकिन यह पानी हर साल व्यर्थ ही बह कर चला जाता है. सर्दी और गर्मी के मौसम में राजस्थान की जनता, जमीन, जानवर सब पानी की कमी को झेलते रहे हैं. वहीं उपजाऊ जमीन सर्दी व गर्मी में बंजर रह जाती है. साथ ही मवेशी चारे की कमी रहने से कटने के लिए बेच दिए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का कृषि से पूरी तरह से मोह खत्म होता जा रहा है. जिसके चलते युवक-युवतियां शहरों में नौकरी-मजदूरी ढूंढने के लिए बेबस और बेचार नजर आते है.

जल संग्रहण से पानी की कमी को दूर किया जा सकता है : इस दौरान विप्र गोयल ने बताया कि राजस्थान की 257 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन पर हर साल बरसने वाले 154 करोड़ लीटर वर्षा जल से 20 प्रतिशत पानी को भी यदि हर खेत की 5 प्रतिशत जमीन पर 10 फीट गहरा वर्षा जलकुंड बना कर संग्रहित कर लिया जाए, तो राज्य के सवा करोड़ ग्रामीण और किसान परिवारों की कृषि व घरेलू आवश्यकता में पानी की डिमांड की हर साल पूर्ति की जा सकती है. वहीं राजस्थान का भूजल स्तर भी अभी के 300 से 1200 फीट से पुनः 20 से 30 फीट तक आ सकता है. विप्र गोयल ने राजस्थान राज्य के क्षेत्रीय शासन, प्रशासन के साथ बातचीत करने और ग्रामीण विकास में कार्यरत सभी योजनाओं के संदर्भ में और इनके प्रबंधन और क्रियान्वयन के संदर्भ में भी जमीनी हकीकत की जानकारियां भी हासिल की. साथ ही इन सभी के विश्लेषणात्मक डेशबोर्ड तैयार किए. इससे कुछ महत्वपूर्ण बाते स्पष्ट हुई.

इसे भी पढ़ें : काले गेहूं से मालामाल हो रहे किसान, कम पैदावार के बाद भी बढ़ा मुनाफा - Black Wheat Farming

सरकार के पास रहती है वर्किंग स्टाफ की कमी : विप्र गोयल ने बताया कि यह सही है कि सरकार के पास इतना वित्तीय संसाधन नहीं होता. साथ ही प्रशासन के पास वर्किंग स्टाफ भी उतना नहीं है. ऐसे में जनता स्वयं से वर्षा जल के इस प्रकार के संग्रहण से अनजान है. लेकिन एक उद्देश्य परख कार्यनीति के तहत आगामी 4 वर्षों के कार्यकाल में राजस्थान के प्रत्येक खेत पर जलखेतों का निर्माण किया जा सकता है. प्रशासन, जनता और चुनी हुई सरकार को एक विशिष्ट कारागार रणनीति के साथ युद्ध स्तर पर इस कार्य को अंजाम देने की ठाननी होगी. गोयल ने बताया कि राजस्थान सरकार के पास उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग करने और इसकी अक्षुण्ण सततता बनाए रखने के लिए एक पुख्ता योजना, प्रबंधन और क्रियान्वयन की आवश्यकता है. ऐसे में राजस्थान राज्य के प्रत्येक किसान ग्रामीण परिवार के लिए शून्य लागत पर सिंचाई व घरेलू उपभोग के लिए पूरे साल पानी की समुचित व्यवस्था, 24 घंटे बिजली बल की आपूर्ति की व्यवस्था व प्रत्येक ग्रामीण परिवार से, औसतन 2 वयस्कों को ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था के लिए एक रणनीतिक प्लान तैयार किया है. जिसे जल्द धरातल पर लाया जाएगा.

दौसा. भारत की परमाणु सहेली डॉ. नीलम गोयल और आईआईटीयन विप्र गोयल ने राजस्थान के प्रत्येक किसान ग्रामीण परिवार के लिए शून्य लागत पर सिंचाई व घरेलू उपभोग के लिए पूरे साल पानी की समुचित व्यवस्था, 24 घंटे बिजली की आपूर्ति की व्यवस्था व प्रत्येक ग्रामीण परिवार से औसतन 2 वयस्कों को ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था के लिए एक रणनीतिक प्लान तैयार किया है. इसको लेकर सोमवार को उन्होंने दौसा में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया.

परमाणु सहेली डॉक्टर नीलम गोयल ने ने बताया कि यह एक बहुत बड़ी विडम्बना रही है कि हर साल प्रकृति राजस्थान की जमीन पर करीब 210 करोड़ लाख लीटर पानी बरसता है, लेकिन यह पानी हर साल व्यर्थ ही बह कर चला जाता है. सर्दी और गर्मी के मौसम में राजस्थान की जनता, जमीन, जानवर सब पानी की कमी को झेलते रहे हैं. वहीं उपजाऊ जमीन सर्दी व गर्मी में बंजर रह जाती है. साथ ही मवेशी चारे की कमी रहने से कटने के लिए बेच दिए जाते हैं. ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों का कृषि से पूरी तरह से मोह खत्म होता जा रहा है. जिसके चलते युवक-युवतियां शहरों में नौकरी-मजदूरी ढूंढने के लिए बेबस और बेचार नजर आते है.

जल संग्रहण से पानी की कमी को दूर किया जा सकता है : इस दौरान विप्र गोयल ने बताया कि राजस्थान की 257 लाख हेक्टेयर कृषि जमीन पर हर साल बरसने वाले 154 करोड़ लीटर वर्षा जल से 20 प्रतिशत पानी को भी यदि हर खेत की 5 प्रतिशत जमीन पर 10 फीट गहरा वर्षा जलकुंड बना कर संग्रहित कर लिया जाए, तो राज्य के सवा करोड़ ग्रामीण और किसान परिवारों की कृषि व घरेलू आवश्यकता में पानी की डिमांड की हर साल पूर्ति की जा सकती है. वहीं राजस्थान का भूजल स्तर भी अभी के 300 से 1200 फीट से पुनः 20 से 30 फीट तक आ सकता है. विप्र गोयल ने राजस्थान राज्य के क्षेत्रीय शासन, प्रशासन के साथ बातचीत करने और ग्रामीण विकास में कार्यरत सभी योजनाओं के संदर्भ में और इनके प्रबंधन और क्रियान्वयन के संदर्भ में भी जमीनी हकीकत की जानकारियां भी हासिल की. साथ ही इन सभी के विश्लेषणात्मक डेशबोर्ड तैयार किए. इससे कुछ महत्वपूर्ण बाते स्पष्ट हुई.

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सरकार के पास रहती है वर्किंग स्टाफ की कमी : विप्र गोयल ने बताया कि यह सही है कि सरकार के पास इतना वित्तीय संसाधन नहीं होता. साथ ही प्रशासन के पास वर्किंग स्टाफ भी उतना नहीं है. ऐसे में जनता स्वयं से वर्षा जल के इस प्रकार के संग्रहण से अनजान है. लेकिन एक उद्देश्य परख कार्यनीति के तहत आगामी 4 वर्षों के कार्यकाल में राजस्थान के प्रत्येक खेत पर जलखेतों का निर्माण किया जा सकता है. प्रशासन, जनता और चुनी हुई सरकार को एक विशिष्ट कारागार रणनीति के साथ युद्ध स्तर पर इस कार्य को अंजाम देने की ठाननी होगी. गोयल ने बताया कि राजस्थान सरकार के पास उपलब्ध सभी संसाधनों का उपयोग करने और इसकी अक्षुण्ण सततता बनाए रखने के लिए एक पुख्ता योजना, प्रबंधन और क्रियान्वयन की आवश्यकता है. ऐसे में राजस्थान राज्य के प्रत्येक किसान ग्रामीण परिवार के लिए शून्य लागत पर सिंचाई व घरेलू उपभोग के लिए पूरे साल पानी की समुचित व्यवस्था, 24 घंटे बिजली बल की आपूर्ति की व्यवस्था व प्रत्येक ग्रामीण परिवार से, औसतन 2 वयस्कों को ग्रामीण रोजगार की व्यवस्था के लिए एक रणनीतिक प्लान तैयार किया है. जिसे जल्द धरातल पर लाया जाएगा.

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