रायपुर : भोजन में अलग-अलग तरह की चीजें खाना और पीना हर जातक का स्वभाव होता है. कई बार किसी को मीठा ज्यादा पसंद होता है तो किसी को नमकीन. किसी को मिर्च-मसालेदार खाने की आदत रहती है और कुछ को कसैला ज्यादा पसंद होता है. कुछ जातक ऐसे भी होते हैं, जिन्हें खट्टा खाना पसंद होता है. लेकिन आपके पसंदीदा खाने का ग्रह भाव से सीधा कनेक्शन होता है.
आपके भोजन का ग्रह भाव से संबंध : ज्योतिष एवं वास्तुविद डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर ने बताया कि "जातक के खाने का स्वाद और उसकी पसंद दूसरे भाव पर निर्भर करती है. इस दौरान यह देखा जाता है कि दूसरे भाव में कौन सी राशि है, कौन सा ग्रह बैठा है. किस ग्रह की दृष्टि दूसरे भाव पर है. इसके आधार पर और ग्रहों के चाल के आधार पर यह निश्चित किया जाता है कि जातक को स्वाद में किस तरह का खाना अच्छा लगता है."
"यदि दूसरे भाव का संबंध मंगल से है तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति को नमकीन पसंद होता है. सावन का महीना चल रहा है, बारिश हो रही है, ऐसे में कुछ लोग अपने घर में बैठकर भजिया का आनंद लेते हैं और साथ में चाय भी पीते हैं. भजिया नमकीन पदार्थ हैं. अतः इसका संबंध मंगल से हुआ. भजिया को तेल में तलकर बनाया जाता है. अतः इसका संबंध तेल से हुआ और तेल का संबंध शनि ग्रह से है. ऐसे में भजिया पसंद करने वाला जातक की कुंडली देखने से स्पष्ट हो जाएगा कि उसके दूसरे भाव में शनि और मंगल का प्रभाव है." - डॉ महेंद्र कुमार ठाकुर, ज्योतिष एवं वास्तुविद
कुंडली में दूसरे भाव से पता चलेगा ग्रह भाव : कुंडली में दूसरे भाव के स्वामी ग्रह और उसको प्रभावित करने वाले ग्रह व उनकी षटबल में स्थिति के आधार पर यह आसानी से जाना जा सकता है कि जातक को खाने पीने में क्या पसंद है.
सूर्य - जिसके दूसरे घर का संबंध सूर्य से है. ऐसे जातक को नमकीन और गर्माहट लाने वाली वस्तुएं अधिक पसंद होती है.
शनि और मंगल - मंगल अग्नि तत्व का भी प्रतीक है. अतः उसे आग में तला जाता है. इस तरह अग्नि, नमकीन और तेल का संबंध शनि व मंगल से है. जिस जातक की कुंडली के दूसरे भाव में शनि व मंगल की दृष्टि हो, शनि व मंगल स्थित हो या फिर कोई ऐसा ग्रह स्थित हो, जिस पर शनि मंगल का प्रभाव हो तो ऐसे जातक को भजिया या नमकीन आइटम, पकोड़े आदि बहुत पसंद होगा.
चंद्रमा - कुछ जातक दूध से बनी वस्तुएं, जैसे आइसक्रीम, पनीर, कलाकंद आदि पसंद करते हैं. ऐसे जातक की कुंडली में दूसरे भाव पर निश्चित रूप से चंद्रमा का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष प्रभाव होता है, जो कि दूसरे भाव के स्वामी ग्रह को प्रभावित करता है.
शुक्र - खाने में तरल पदार्थ का उपयोग करने वाला शौकीन जातक का संबंध शुक्र ग्रह से है. शुक्र खान-पान, दिखावा, खुशबू के साथ ही शराब आदि का भी प्रतिनिधित्व करता है. अर्थात दूसरे भाव में शुक्र होने पर व्यक्ति मादक पदार्थों का भी सेवन करता है.
राहु - दूसरे भाव का संबंध राहु से हो तो वह शराब के साथ ही लहसुन-प्याज आदि का भी सेवन करता है.
गुरु - गुरु का संबंध मिठास से है, मिठाई से हैं. अतः मीठे पसंद करने वाला जातक के दूसरे भाव का संबंध गुरु से होता है.
बुध और शनि - कसैला या पेय पदार्थों आदि का संबंध बुध और शनि से भी है.
केतु और गुरु - सात्विक भोजन पसंद करने वाले जातक का संबंध उसके दूसरे भाव में गुरु और केतु के प्रभाव को दर्शाते हैं.
इस तरह निष्कर्ष के तौर पर यह कहा जा सकता है कि दूसरे भाव में राशि ग्रह की स्थिति और ग्रहों की दृष्टि के आधार पर व्यक्ति के स्वाद व उसकी पसंद को बहुत आसानी से जाना जा सकता है.
नोट: यहां प्रस्तुत सारी बातें ज्योतिष एवं वास्तुविद की तरफ से बताई गई बातें हैं. इसकी पुष्टि ईटीवी भारत नहीं करता है.