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यूपीएससी में 10 वीं रैंक पाकर लखनऊ की बिटिया बनी IAS, जानिए कैसे इस मुकाम तक पहुंचीं - UPSC RESULT 2023

राजधानी लखनऊ की बिटिया ने सिविल सर्विसेज की परीक्षा की परीक्षा में 10वीं रैंक हासिल कर पिता के सपने को पूरा कर दिया है. आइए जानते हैं कि कैसे और किन परिस्थितियों में तैयारी कर सफलता हासिल की है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Apr 16, 2024, 9:38 PM IST

Updated : Apr 16, 2024, 10:12 PM IST

यूपीएससी में 10 वीं रैंक पाने वाली ऐश्वयर्म प्रजापति से खास बातचीत.

लखनऊः कहते हैं कोई भी सपना इतना बड़ा नहीं होता कि उसे पूरा ना किया जा सके. सपने को पूरा करने के लिए अगर दिन-रात मेहनत की जाए तो वह जरूर पूरा हो जाता है. ऐसा ही सपना संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा को लेकर ऐश्वयर्म प्रजापति ने भी देखा था. मंगलवार को जारी हुए सिविल सर्विसेज की परीक्षा परिणाम में ऐश्वयर्म प्रजापति ने ऑल इंडिया लेवल पर 10वीं रैंक हासिल कर अपने इस सपने को पूरा किया है. बेटी के आईएएस बनने की सूचना जैसे ही पिता डॉ. राम कमल प्रसाद को लगी उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. अपनी बेटी की इस सफलता को वह पूरी दुनिया के साथ बांटना चाहते थे. रिजल्ट की सूचना मिलते ही उन्होंने तुरंत ढोल वालों को बुलाकर घर के बाहर बजाना शुरू कर दिया और अपनी बेटी की इस सफलता को आसपास के लोगों को बताने लगे. वहीं, मोहल्ले की बिटिया के आईएएस बनने की सूचना जैसे ही आज पड़ोस में पहुंची सभी लोग ऐश्वयर्म को बधाई देने पहुंचने लगे.

छोटी बहन ने एग्जाम क्लियर होने की सूचना दीः ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए ऐश्वयर्म ने बताया कि वह घर पर आराम कर रही थी, तभी छोटी बहन अचानक से कमरे में आई और खुशी से गले लगा लिया. रिजल्ट सुनते ही कुछ देर फ्रीज हो गई. खुद की मेहनत पर पूरा भरोसा था लेकिन 10वीं रैंक मिलेगी, यह नहीं सोचा था. हम दोनों बहनें कुछ देर गले लगकर रोते ही चले गए. ऐश्वयर्म ने बताया कि शुरू से ही लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण क्षेत्र में हमेशा काम करना चाहती थी. समझ नहीं आता था कि क्या करुं? इंटर की पढ़ाई के बाद पहले बीटेक किया, फिर एक साल नौकरी की.

लाखों का पैकेज छोड़ सिविल की तैयारी में जुटीः ऐश्वयर्म ने बताया कि साल 020 में बीटेक पूरा करने के बाद उनका प्लेसमेंट एक बड़ी कंपनी में हो गया था. करीब 1 साल नौकरी करने के बाद वह पिता के सपने को पूरा करने के लिए सोचा. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने उनसे एक बार कहा था कि एक बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा जरूर देना. पिता के इसी सपने को पूरा करने के लिए उसने 2021 में नौकरी छोड़ी और सिविल सर्विसेस की तैयारी में जुट गई. एक साल इलाहाबाद रहकर और एक साल घर रहकर सेल्फ स्टडी की. दो साल की कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिली.

पहली बार में प्री भी क्लियर नहीं हुआ थाः ऐश्वयर्म ने कहा कि पहली बार में प्री भी क्लियर नहीं हुआ था. तब मन काफी उदास हो गया था. लेकिन उस समय पिता और बहन ने मेरा हौसला बढ़ाया और कहा कि यह असफलता तुम्हें आगे बढ़ाने की सीख देगी. इसके बाद फिर अपनी गलतियों पर फोकस किया और उन्हें दूर किया घर पर ही रहकर सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन पदार्थ के माध्यम से अपनी तैयारी को पुख्ता किया. एग्जाम देने से पहले लगातार टेस्ट सीरीज दिए, इंटरव्यूज की तैयारी की. अब नारी शिक्षा के क्षेत्र में आगे काम करना चाहूंगी.

टारगेट बनाकर 10 घंटे पढ़ाई कीः ऐश्वयर्म ने कहा कि 'तैयारी के लिए यही कहना चाहूंगी कि खुद पर भरोसा रखें. हमेशा सिलेबस पर फोकस करें. प्रीवियस ईयर के क्वेश्चन पेपर देखकर तैयारी करें अपनी गलतियों को समझे. मैंने 8 से 10 घंटे रोज टारगेट बनाकर पढ़ाई की. लिखने की बहुत प्रैक्टिस की. ऑनलाइन टेस्ट पेपर भी देती रही. इन सबका बहुत फायदा मिला. लिखने की क्षमता अच्छी थी. इसलिए इंजिनियरिंग का विषय न लेकर सोशियोलॉजी लेकर एग्जाम दिया'. बता दें कि ऐश्वयर्म के पिता असोसिएट प्रफेसर हैं और मां उर्मिला प्रजापति हाउस मेकर है. दो छोटी बहनें भी हैं. एक बहन शुभ्रम प्रजापति एक कंपनी में इंजिनियर है और दूसरी तनुष्का प्रजापति 8वीं में पढ़ रही है.

इसे भी पढ़ें-गोरखपुर की नौशीन को मिली नौवीं रैंक, चौथे प्रयास में हासिल की कामयाबी

यूपीएससी में 10 वीं रैंक पाने वाली ऐश्वयर्म प्रजापति से खास बातचीत.

लखनऊः कहते हैं कोई भी सपना इतना बड़ा नहीं होता कि उसे पूरा ना किया जा सके. सपने को पूरा करने के लिए अगर दिन-रात मेहनत की जाए तो वह जरूर पूरा हो जाता है. ऐसा ही सपना संघ लोक सेवा आयोग की परीक्षा को लेकर ऐश्वयर्म प्रजापति ने भी देखा था. मंगलवार को जारी हुए सिविल सर्विसेज की परीक्षा परिणाम में ऐश्वयर्म प्रजापति ने ऑल इंडिया लेवल पर 10वीं रैंक हासिल कर अपने इस सपने को पूरा किया है. बेटी के आईएएस बनने की सूचना जैसे ही पिता डॉ. राम कमल प्रसाद को लगी उनकी खुशी का ठिकाना ही नहीं रहा. अपनी बेटी की इस सफलता को वह पूरी दुनिया के साथ बांटना चाहते थे. रिजल्ट की सूचना मिलते ही उन्होंने तुरंत ढोल वालों को बुलाकर घर के बाहर बजाना शुरू कर दिया और अपनी बेटी की इस सफलता को आसपास के लोगों को बताने लगे. वहीं, मोहल्ले की बिटिया के आईएएस बनने की सूचना जैसे ही आज पड़ोस में पहुंची सभी लोग ऐश्वयर्म को बधाई देने पहुंचने लगे.

छोटी बहन ने एग्जाम क्लियर होने की सूचना दीः ईटीवी भारत से खास बातचीत करते हुए ऐश्वयर्म ने बताया कि वह घर पर आराम कर रही थी, तभी छोटी बहन अचानक से कमरे में आई और खुशी से गले लगा लिया. रिजल्ट सुनते ही कुछ देर फ्रीज हो गई. खुद की मेहनत पर पूरा भरोसा था लेकिन 10वीं रैंक मिलेगी, यह नहीं सोचा था. हम दोनों बहनें कुछ देर गले लगकर रोते ही चले गए. ऐश्वयर्म ने बताया कि शुरू से ही लड़कियों और महिलाओं की शिक्षा और सशक्तिकरण क्षेत्र में हमेशा काम करना चाहती थी. समझ नहीं आता था कि क्या करुं? इंटर की पढ़ाई के बाद पहले बीटेक किया, फिर एक साल नौकरी की.

लाखों का पैकेज छोड़ सिविल की तैयारी में जुटीः ऐश्वयर्म ने बताया कि साल 020 में बीटेक पूरा करने के बाद उनका प्लेसमेंट एक बड़ी कंपनी में हो गया था. करीब 1 साल नौकरी करने के बाद वह पिता के सपने को पूरा करने के लिए सोचा. उन्होंने बताया कि उनके पिता ने उनसे एक बार कहा था कि एक बार सिविल सर्विसेज की परीक्षा जरूर देना. पिता के इसी सपने को पूरा करने के लिए उसने 2021 में नौकरी छोड़ी और सिविल सर्विसेस की तैयारी में जुट गई. एक साल इलाहाबाद रहकर और एक साल घर रहकर सेल्फ स्टडी की. दो साल की कड़ी मेहनत के बाद सफलता मिली.

पहली बार में प्री भी क्लियर नहीं हुआ थाः ऐश्वयर्म ने कहा कि पहली बार में प्री भी क्लियर नहीं हुआ था. तब मन काफी उदास हो गया था. लेकिन उस समय पिता और बहन ने मेरा हौसला बढ़ाया और कहा कि यह असफलता तुम्हें आगे बढ़ाने की सीख देगी. इसके बाद फिर अपनी गलतियों पर फोकस किया और उन्हें दूर किया घर पर ही रहकर सेल्फ स्टडी और ऑनलाइन पदार्थ के माध्यम से अपनी तैयारी को पुख्ता किया. एग्जाम देने से पहले लगातार टेस्ट सीरीज दिए, इंटरव्यूज की तैयारी की. अब नारी शिक्षा के क्षेत्र में आगे काम करना चाहूंगी.

टारगेट बनाकर 10 घंटे पढ़ाई कीः ऐश्वयर्म ने कहा कि 'तैयारी के लिए यही कहना चाहूंगी कि खुद पर भरोसा रखें. हमेशा सिलेबस पर फोकस करें. प्रीवियस ईयर के क्वेश्चन पेपर देखकर तैयारी करें अपनी गलतियों को समझे. मैंने 8 से 10 घंटे रोज टारगेट बनाकर पढ़ाई की. लिखने की बहुत प्रैक्टिस की. ऑनलाइन टेस्ट पेपर भी देती रही. इन सबका बहुत फायदा मिला. लिखने की क्षमता अच्छी थी. इसलिए इंजिनियरिंग का विषय न लेकर सोशियोलॉजी लेकर एग्जाम दिया'. बता दें कि ऐश्वयर्म के पिता असोसिएट प्रफेसर हैं और मां उर्मिला प्रजापति हाउस मेकर है. दो छोटी बहनें भी हैं. एक बहन शुभ्रम प्रजापति एक कंपनी में इंजिनियर है और दूसरी तनुष्का प्रजापति 8वीं में पढ़ रही है.

इसे भी पढ़ें-गोरखपुर की नौशीन को मिली नौवीं रैंक, चौथे प्रयास में हासिल की कामयाबी

Last Updated : Apr 16, 2024, 10:12 PM IST
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