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जानें कब है आषाढ़ अमावस्या, इस दिन दान करने से खुश हो जाते हैं पितर, जानें शुभ मुहूर्त और महत्व - Ashadh Amavasya 2024

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By ETV Bharat Haryana Team

Published : Jul 2, 2024, 7:39 AM IST

Ashadh Amavasya 2024: इस साल आषाढ़ अमावस्‍या 5 जुलाई को है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन दान और पूजापाठ करने का खास महत्‍व होता है. हर महीने की अमावस्‍या को पितर धरती पर अपने परिजनों को देखने आते हैं. यदि इस दिन उनके नाम से दान पुण्‍य के कार्य किए जाएं तो आपको बहुत ही शुभ फल की प्राप्ति होती है.

Ashadh Amavasya 2024
Ashadh Amavasya 2024 (ETV BHARAT)

करनाल: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. प्रत्येक व्रत व त्यौहार की बहुत मान्यता होती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीना चल रहा है और आषाढ़ महीने की अमावस्या का धार्मिक ग्रंथो में विशेष महत्व बताया गया है. आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है.

इस दिन धरती पर आएंगे पितर: माना गया है कि जो भी इंसान आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करता है, तो उसको कई गुना फल की प्राप्ति होती है. अपने शास्त्रों में ऐसा भी बताया गया है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ पृथ्वी पर आते हैं. इसलिए इस महीने में विशेष तौर पर पितरों के लिए तर्पण पिंडदान और अनुष्ठान किए जाते हैं, तो आइये जानते हैं कि आषाढ़ अमावस्या के दिन कब है और दान स्नान करने का शुभ मुहूर्त क्या है.

कब है आषाढ़ अमावस्या: पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या का आरंभ 5 जुलाई को सुबह 4:57 पर हो रहा है. जबकि इसका समापन 6 जुलाई को सुबह 4:26 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए आषाढ़ अमावस्या को 5 जुलाई के दिन मनाया जाएगा.

पितरों के लिए किए जाते हैं अनुष्ठान: आषाढ़ अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने का विशेष महत्व होता है इसलिए स्नान करने का शुभ ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:08 से शुरू होकर 4:48 तक रहेगा, हालांकि 5:29 तक स्नान कर सकते हैं. क्योंकि सूर्योदय से पहले आषाढ़ अमावस्या का स्नान करना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है. आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं.

पितरों के लिए करें पूजन: इसलिए जो भी इंसान अपने पितरों को खुश करने के लिए किसी भी प्रकार के श्राद्ध, दर्पण और अनुष्ठान करना चाहते हैं उनकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 से लेकर 2:30 तक रहेगा, लेकिन पितरों की पूजा और तर्पण करने के दौरान जल में सफेद फूल काले तिल और कुश डालकर पितरों के लिए तर्पण करें. पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके घर में पितरों का आशीर्वाद बना रहता है.

इस दिन दान करने से मिलता है फल: पंडित ने जानकारी देते हुए बताया आषाढ़ अमावस्या के पर गरीब भाई जरुरतमंद लोगों को अन्न और धन का दान करें. शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि जो भी इस अमावस्या पर इन चीजों का दान करता है, उनके ऊपर उनके पितरों और पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है. वहीं इसके साथ-साथ चावल और गेहूं का दान करना भी काफी फलदाई माना जाता है. गेहूं और चावल का दान करने से सूर्य देव की कृपा परिवार पर बनी रहती है.

भूमि दान करने से मिलती है पापों से मुक्ति: वहीं, अगर किसी इंसान की कुंडली में पितृ दोष है. इस दोष को दान करने के लिए अपने पितरों के लिए पूजा पाठ करने के बाद भूमि का दान करें. माना जाता है की भूमि का दान करने से मनुष्य को कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और इसको महादान माना जाता है. इसके साथ-साथ दूध दही घी वाला का भी दान करना काफी अच्छा माना जाता है. अगर किसी के परिवार में आर्थिक तंगी या धन की कमी है, तो वह इन चीजों का दान करें जिससे घर में धन की कमी और आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी. शास्त्रों में बताया गया है कि पितरों का आवास पीपल के पेड़ में होता है, इसलिए पीपल के पेड़ के आगे सरसों का तेल डालकर दीपक जलाएं.

आषाढ़ अमावस्या का महत्व: पंडित ने बताया कि आषाढ़ अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का बहुत फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के लिए अनुष्ठान दर्पण और पूजा अर्चना की जाती है. किसी पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का कई गुना फल प्राप्त होता है. ऊपर बताई गई चीजों का दान करने से मनुष्य को कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और घर में सुख समृद्धि आती है. पितरों के लिए तर्पण करने के उपरांत दान करने घर में पितृ दोष दूर होता है.

ये भी पढ़ें: HALHARINI AMAVASYA 2022: आषाढ़ अमावस्या पर आज श्राद्ध, कल करें स्नान और दान, जानिये पूजा का शुभ मुहूर्त

ये भी पढ़ें: आज है ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष अमावस्या, वट सावित्री व्रत और शनि जयंती - Shani Jayanti Vat Savitri Vrat

करनाल: सनातन धर्म में प्रत्येक व्रत और त्यौहार को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है. प्रत्येक व्रत व त्यौहार की बहुत मान्यता होती है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार आषाढ़ महीना चल रहा है और आषाढ़ महीने की अमावस्या का धार्मिक ग्रंथो में विशेष महत्व बताया गया है. आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है.

इस दिन धरती पर आएंगे पितर: माना गया है कि जो भी इंसान आषाढ़ अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करता है, तो उसको कई गुना फल की प्राप्ति होती है. अपने शास्त्रों में ऐसा भी बताया गया है कि आषाढ़ अमावस्या के दिन पितृ पृथ्वी पर आते हैं. इसलिए इस महीने में विशेष तौर पर पितरों के लिए तर्पण पिंडदान और अनुष्ठान किए जाते हैं, तो आइये जानते हैं कि आषाढ़ अमावस्या के दिन कब है और दान स्नान करने का शुभ मुहूर्त क्या है.

कब है आषाढ़ अमावस्या: पंडित रामराज कौशिक ने बताया कि हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली अमावस्या को आषाढ़ अमावस्या के नाम से जाना जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार आषाढ़ अमावस्या का आरंभ 5 जुलाई को सुबह 4:57 पर हो रहा है. जबकि इसका समापन 6 जुलाई को सुबह 4:26 पर होगा. हिंदू धर्म में प्रत्येक व्रत व त्यौहार को उदय तिथि के साथ मनाया जाता है. इसलिए आषाढ़ अमावस्या को 5 जुलाई के दिन मनाया जाएगा.

पितरों के लिए किए जाते हैं अनुष्ठान: आषाढ़ अमावस्या के दिन शुभ मुहूर्त में स्नान करने का विशेष महत्व होता है इसलिए स्नान करने का शुभ ब्रह्म मुहूर्त का समय सुबह 4:08 से शुरू होकर 4:48 तक रहेगा, हालांकि 5:29 तक स्नान कर सकते हैं. क्योंकि सूर्योदय से पहले आषाढ़ अमावस्या का स्नान करना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है. आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के लिए अनुष्ठान किए जाते हैं.

पितरों के लिए करें पूजन: इसलिए जो भी इंसान अपने पितरों को खुश करने के लिए किसी भी प्रकार के श्राद्ध, दर्पण और अनुष्ठान करना चाहते हैं उनकी पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 11:00 से लेकर 2:30 तक रहेगा, लेकिन पितरों की पूजा और तर्पण करने के दौरान जल में सफेद फूल काले तिल और कुश डालकर पितरों के लिए तर्पण करें. पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और उनके घर में पितरों का आशीर्वाद बना रहता है.

इस दिन दान करने से मिलता है फल: पंडित ने जानकारी देते हुए बताया आषाढ़ अमावस्या के पर गरीब भाई जरुरतमंद लोगों को अन्न और धन का दान करें. शास्त्रों में ऐसा बताया गया है कि जो भी इस अमावस्या पर इन चीजों का दान करता है, उनके ऊपर उनके पितरों और पूर्वजों का आशीर्वाद बना रहता है. वहीं इसके साथ-साथ चावल और गेहूं का दान करना भी काफी फलदाई माना जाता है. गेहूं और चावल का दान करने से सूर्य देव की कृपा परिवार पर बनी रहती है.

भूमि दान करने से मिलती है पापों से मुक्ति: वहीं, अगर किसी इंसान की कुंडली में पितृ दोष है. इस दोष को दान करने के लिए अपने पितरों के लिए पूजा पाठ करने के बाद भूमि का दान करें. माना जाता है की भूमि का दान करने से मनुष्य को कई प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है और इसको महादान माना जाता है. इसके साथ-साथ दूध दही घी वाला का भी दान करना काफी अच्छा माना जाता है. अगर किसी के परिवार में आर्थिक तंगी या धन की कमी है, तो वह इन चीजों का दान करें जिससे घर में धन की कमी और आर्थिक तंगी दूर हो जाएगी. शास्त्रों में बताया गया है कि पितरों का आवास पीपल के पेड़ में होता है, इसलिए पीपल के पेड़ के आगे सरसों का तेल डालकर दीपक जलाएं.

आषाढ़ अमावस्या का महत्व: पंडित ने बताया कि आषाढ़ अमावस्या का बहुत ही ज्यादा महत्व होता है. इस अमावस्या के दिन सूर्योदय से पहले पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का बहुत फल प्राप्त होता है. इसके साथ ही आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों के लिए अनुष्ठान दर्पण और पूजा अर्चना की जाती है. किसी पवित्र नदी में स्नान करने उपरांत दान करने का कई गुना फल प्राप्त होता है. ऊपर बताई गई चीजों का दान करने से मनुष्य को कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है और घर में सुख समृद्धि आती है. पितरों के लिए तर्पण करने के उपरांत दान करने घर में पितृ दोष दूर होता है.

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