चंडीगढ़ः असर यानि The Annual Status Of Education Report (ASER) की ओर से 28 जनवरी को देश में स्कूली शिक्षा का हाल बताया गया है. रिपोर्ट के अनुसार शिक्षा के मामले में हरियाणा के स्कूली बच्चे पड़ोसी राज्यों से पिछड़े हैं.
नामांकन के मामले में हरियाणा से आगे पंजाबः रिपोर्ट के अनुसार 2024 में सरकारी स्कूलों में 6 से 14 साल के बच्चों की एडमीशन के मामले में हरियाणा में आंकड़ा 46 प्रतिशत है. जो कि 2018 में 42.6 और 2022 में 51.9 था. वहीं पड़ोसी राज्य हिमाचल और पंजाब में 2024 का आंकड़ा 58.6 प्रतिशत और 58 प्रतिशत है. सर्वेक्षण के समय प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों में मौजूद बच्चों को आंकड़ा हरियाणा में 78.4 प्रतिशत और हिमाचल और पंजाब में 85.02 और 80.1 था.
32 फीसदी कक्षा 3 के बच्चे दूसरी क्लास का पाठ पढ़ पाते हैंः रिपोर्ट के मुताबिक हरियाणा में कक्षा तीन के छात्र जो दूसरी क्लास के पाठ पढ़ पाते थे वे 32.1 प्रतिशत थे. जबकि हिमाचल और पंजाब में यह आंकड़ा 46.6 और 29.7 था. वहीं कक्षा तीन के बच्चे जो घटाव करना जानते थे हरियाणा में वे 33.1 प्रतिशत, हिमाचल में 46.7 पंजाब में यह आंकड़ा 43.9 है.
कक्षा पांच के 54 फीसदी बच्चे दूसरी क्लास का पाठ नहीं पढ़ पाते हैंः इसके साथ ही रिपोर्ट के मुताबिक कक्षा पांच के बच्चे जो कक्षा दो स्तर के पाठ पढ़ सकते हैं हरियाणा में वे 53.9 प्रतिशत हैं, जाबिक हिमाचल और पंजाब में यह आंकड़ा 65.8 प्रतिशत और पंजाब 60.8 है. वहीं कक्षा पांच के बच्चे जो डिवीजन का सवाल कर सकते हैं हरियाणा में वे 29.04 और हिमाचल और पंजाब में 44 प्रतिशत और 46.3 प्रतिशत हैं. हालांकि यह बताना जरूरी है कि इन सभी राज्यों में कोविड काल से पहले यह स्थिति बेहतर थी.
आठवीं कक्षा में हरियाणा से बेहतर हैं पंजाब के बच्चेः रिपोर्ट के मुताबिक आठवीं के बच्चे जो कक्षा दो स्तर का पाठ पढ़ सकता हैं हरियाणा में 76.6 प्रतिशत जबकि हिमाचल और पंजाब में 84.3 और 72.2 प्रतिशत है. वहीं आठवीं स्तर के बच्चे जो डिविजन कर सकता है हरियाणा में 43.1 जबकि हिमाचल और पंजाब में 44 और 58 प्रतिशत है. हालांकि कोविड से पहले यह आंकड़ा इन राज्यों का इससे अच्छा था.
हरियाणा में 90 फीसदी परिवारों के पास है स्मार्टफोनः रिपोर्ट को देखें तो 2018 के मुकाबले 2024 में देश के सभी राज्यों में स्मार्ट फोन रखने वाले परिवारों का प्रतिशत बढ़ गया है. हरियाणा में 2018 में यह आंकड़ा 58.4 और 2024 में 90 प्रतिशत हो गया है. जबकि हिमाचल में यह आंकड़ा 58.4 से बढ़कर 95.7 हो गया है. वहीं पंजाब में यह आंकड़ा 65.7 से बढ़कर 93.5 हो गया है. यानी कोविड के बाद इसके आंकड़े में कई गुणा तेजी से वृद्धि देखी जा सकती है.
सोशल मीडिया 76 फीसदी, मात्र 56 फीसदी कर रहें हैं पढ़ाईः रिपोर्ट का मुताबिक कोविड काल के बाद अब धीरे-धीरे स्थिति बेहतर होने लगी है. हालांकि रिपोर्ट में यह भी है कि सरकारी स्कूलों में नामांकन घटा है. जबकि 76 फीसदी बच्चे सोशल मीडिया चला रहा है, वहीं पढ़ाई सिर्फ 55 फीसद बच्चे कर रहे हैं. पांचवी क्लास में गणित के सवाल हल करने में पंजाब के बच्चे आगे हैं. जबकि तीसरी की किताब पढ़ने में हिमाचल का प्रदर्शन बेहतर है. इसका साथ ही प्राइवेट स्कूलों में ट्यूशन पर बच्चों की निर्भरता कम हुई है और सरकारी स्कूलों में बढ़ गई है.
क्या है असरः असर यानि The Annual Status Of Education Report (ASER) राष्ट्रीय स्तर के सर्वे के आधार पर जारी किया जाता है. इसमें देश में स्कूली शिक्षा का हाल, संसाधनों की स्थिति का विस्तार से अध्ययन किया जाता है. देश में पहली बार 2005 में असर जारी किया गया है. असर में राष्ट्र, राज्य और जिले स्तर के डेटा और जमीनी सर्वे के आधार पर विश्लेषण किया जाता है. इस दौरान बच्चों का नामांकन, लिखने-पढ़ने, मामूली जोड़-घटाव, गुणा-भाग को परखा जाता है. इसके अलावा स्कूलों में क्लासरूम, बाथरूम, शिक्षक, लाइब्रेरी, मध्यान भोजन सहित अन्य संसाधनों का विश्लेषण किया जाता है.