जोधपुर. राजस्थान हाईकोर्ट ने यौन उत्पीड़न के आरोप में सजा काट रहे आसाराम को जोधपुर के ही एक निजी आयुर्वेदिक अस्पताल में पुलिस सुरक्षा के बीच 10 दिन तक उपचार करवाने की अनुमति दी है. कोर्ट में आयुर्वेद विश्वविद्यालय करवड़ जोधपुर की ओर से जोखिम को देखते हुए उपचार से असमर्थता जताने पर निजी अस्पताल में उपचार की अनुमति देते हुए पुलिस को निर्देश दिया है कि सुरक्षा के लिहाज से पहले वहां का निरीक्षण करें, उसके बाद ही आसाराम को उपचार के लिए वहां भेजा जाए. यदि उपचार के दौरान किसी प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था में परेशानी हो तो पुलिस कमिश्नर स्वयं हलफनामा पेश करते हुए आसाराम को तत्काल सेंट्रल जेल भिजवा सकते हैं. जस्टिस दिनेश मेहता व जस्टिस विनीत कुमार माथुर की खंडपीठ में आसाराम की उपचार के आवेदन पर सुनवाई हुई.
सुनवाई के दौरान अतिरिक्त महाधिवक्ता अनिल जोशी ने डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन आयुर्वेद विश्वविद्यालय करवड़ जोधपुर की ओर से भेजी रिपोर्ट को पेश किया. आयुर्वेद विश्वविद्यालय ने माधव बाग अस्पताल की ओर से बताए गए उपचार की सुविधा जोधपुर में होने की असमर्थता जताई. उन्होने रिपोर्ट में कहा कि मरीज की उम्र 85 साल की है. हृदय संबंधी रोगी होने से जटिलता का जोखिम अधिक है. साथ ही कार्डियक यूनिट और आईसीयू यूनिट हमारे पास नहीं है, इसीलिए इलाज करना संभव नहीं है. ऐसी सुविधा यूनिवर्सिटी संजीवनी आयुर्वेद हॉस्पिटल में उपलब्ध है. विश्वविद्यालय द्वारा उपचार से इनकार करने पर आसाराम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बीआर बाजवा ने कहा कि जोधपुर में डॉ. अरुण कुमार त्यागी का नहीं अस्पताल आरोग्यधाम केंद्र पर आसाराम का उपचार करवाया जा सकता है, जो पहले भी आसाराम का उपचार कर चुके हैं.
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साथ ही वहां सभी सुविधाएं भी उपलब्ध हैं. इसके साथ ही माधव बाग अस्पताल के चिकित्सकों से भी सलाह प्राप्त कर सकते हैं. कोर्ट ने सुनवाई के बाद कहा कि उम्र को देखते हुए उचित इलाज प्राप्त करना आवेदक का मौलिक अधिकार और जरूरत है. कोर्ट ने आवेदन को निस्तारित करते हुए पुलिस कस्टडी में आरोग्यधाम जोधपुर में 10 दिन तक आसाराम का उपचार करवाने की अनुमति प्रदान की है. कोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए हैं कि सुरक्षा व्यवस्था को जांचने के लिए पहले नामित पुलिस अधिकारी वहां की व्यवस्थाओं की जांच करेंगे, उसके बाद आसाराम को वहां उपचार के लिए ले जाया जाएगा.
आरोग्यधाम के आसपास की सुरक्षा व्यवस्था में तैनात पुलिसकर्मी और सुरक्षा प्रदान करने का खर्चा जेल या पुलिस द्वारा आवेदक को बताया जाएगा, जो आवेदक या उसके प्रतिनिधि की ओर से जमा करवाया जाएगा. साथ ही पुलिस कमिश्नर को निर्देश दिए हैं कि कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की अप्रत्याशित स्थिति में नियंत्रण के लिए पुलिस आयुक्त आसाराम को वापस सेंट्रल जेल जोधपुर भेज सकते हैं, लेकिन इसके लिए हलफनामा पेश करना होगा. कोर्ट ने मामले में अब 9 अप्रैल को अगली सुनवाई तय की है.