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CM योगी की चुस्ती पर अधिकारियों की सुस्ती भारी; 7 माह में भी नहीं हो पाया ARTO रोड सेफ्टी पद का सृजन, कैसे रुकेंगे सड़क हादसे? - Road Safety - ROAD SAFETY

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के सात माह बाद एआरटीओ सड़क सुरक्षा के लिए पोस्ट बनाया नहीं जा सका है. जबकि यूपी में लगातार सड़क हादसों में लोगों की जान जा रही है. आइए जानते हैं कि कौन बरत रहा लापरवाही.

सात महीने बाद भी सीएम के आदेश का नहीं अनुपालन.
सात महीने बाद भी सीएम के आदेश का नहीं अनुपालन. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jul 17, 2024, 7:22 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सड़क हादसों के मामले में देश में पहले स्थान पर है. सड़क हादसे कम करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार चुस्ती दिखा रहे हैं. सात माह पहले सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर निर्देश दिए थे कि हादसे रोकने के लिए सभी जिलों में एक-एक एआरटीओ सड़क सुरक्षा की तैनाती की जाए. इस पद का सृजन किया जाए. लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती से अब तक सभी जिलों में एआरटीओ रोड सेफ्टी पद का सृजन तक नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अब तक दर्जनों बड़े सड़क हादसे हो चुके हैं, जिसमें सैकड़ो लोगों की मौत हो चुकी है. इन मौतों के बाद भी शासन के अफसरों की नींद नहीं खुल रही है.




शासन स्तर पर नहीं दिखाई जा रही रुचि
साल 2023 के आखिरी माह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद कहा था कि परिवहन विभाग सड़क दुर्घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान दे. इसके लिए एआरटीओ रोड सेफ्टी की हर जिले में तैनाती की जाए. कार्यालय पर एक-एक आरटीओ रोड सेफ्टी का पद सृजित किया जाए और इसका काम पूरी तरह से सड़क हादसों पर नियंत्रण स्थापित करने का होना चाहिए. ऐसे प्लान बनाएं और चेकिंग अभियान चलाएं, जिससे सड़कों पर हादसों को नियंत्रित किया जा सके. मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद परिवहन विभाग ने तो अपनी तरफ से प्लान बना लिया और पदों को लेकर शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया. लेकिन शासन स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही से मुख्यमंत्री की योजना को ही अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. अभी तक एआरटीओ रोड सेफ्टी पद के सृजन पर मुहर लगाने के लिए शासन दो कदम भी नहीं बढ़ पाया है.

351 एएमवीआई की भी होनी है तैनाती
उत्तर प्रदेश के विभिन्न तहसीलों में भी सड़क हादसों पर ध्यान देने के लिए अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पदों पर भी तैनाती की जानी है. 351 अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर का प्रस्ताव के शासन को परिवहन विभाग की तरफ से भेजा गया है. इस पर भी शासन ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है. उत्तर प्रदेश में तैनात 66 आरआई के पद को एमवीआई में बदलना है, जिससे यह अधिकारी भी तकनीकी रूप से सड़क पर अनफिट चल रहे वाहनों की जांच कर उन पर नियंत्रण स्थापित कर सकें और हादसों में कमी आए.

यूपी में पिछले 10 साल में हुए सड़क हादसे.
यूपी में पिछले 10 साल में हुए सड़क हादसे. (ETV Bharat Gfx)
सड़क हादसों में हो रहा इजाफासड़क हादसों में 37 तो मृतकों में 42 और घायलों में 23 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल 2022 में उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में 1.95 फीसदी और मृत्यु दर में 0.26 प्रतिशत की मामूली गिरावट दर्ज की गई थी. लेकिन 2023 और 2024 में बड़े-बड़े हादसे हुए. साल 2024 में अब तक कई स्थानों पर रोड एक्सीडेंट में एक साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई हैं. उन्नाव बस हादसे के बाद भी नहीं खुल रही नींदसाल 2024 में लेटेस्ट घटना 10 जुलाई को लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे पर हुई है. उन्नाव में हुए सड़क हादसे में स्लीपर बस से यात्रा कर रहे यात्रियों की मौत हो गई. दूध के टैंकर से बस टकराई और 18 लोगों की एक साथ जान चली गई. तमाम यात्री बुरी तरह घायल हो गए. इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी हर रोज तमाम ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिसमें अच्छी खासी तादाद में लोग अपनी जान गवा रहे हैं. अब एआरटीओ सड़क सुरक्षा की हर जिले में तैनाती हो तो फिर जिम्मेदारी भी तय हो सके और सड़क हादसों पर रोक लगने से लोगों की जान भी बचाई जा सके.

इसे भी पढ़ें-उन्नाव बस हादसा: जांच रिपोर्ट में कई अधिकारी फंसे, फिर भी एक अफसर पर ही एक्शन, बाकी को अभयदान

निश्चित तौर पर 75 जिलों में एक-एक एआरटीओ सड़क सुरक्षा की तैनाती होने से सड़क हादसों में कमी जरूर लाई जा सकेगी. क्योंकि इस अधिकारी का काम ही सड़क सुरक्षा को लेकर प्लान बनाना और उनको अमलीजामा पहनाना होगा. यह उनकी जिम्मेदारी होगी. लापरवाही बरतने पर उन पर कार्रवाई होगी. इसके अलावा तहसीलों में अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर तैनात होंगे तो अनफिट वाहनों को सड़क पर चलने से रोका जा सकेगा. यही वाहन हादसे का बड़ा कारण बनते हैं. हाल ही में अपर मुख्य सचिव वित्त के यहां इन्हीं पदों के सृजन को लेकर प्रेजेंटेशन होना था, लेकिन वह मीटिंग स्थगित हो गई. पुष्पसेन सत्यार्थी, अपर परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा)

लखनऊ: उत्तर प्रदेश सड़क हादसों के मामले में देश में पहले स्थान पर है. सड़क हादसे कम करने के लिए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री लगातार चुस्ती दिखा रहे हैं. सात माह पहले सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक में मुख्यमंत्री ने साफ तौर पर निर्देश दिए थे कि हादसे रोकने के लिए सभी जिलों में एक-एक एआरटीओ सड़क सुरक्षा की तैनाती की जाए. इस पद का सृजन किया जाए. लेकिन परिवहन विभाग के अधिकारियों की सुस्ती से अब तक सभी जिलों में एआरटीओ रोड सेफ्टी पद का सृजन तक नहीं हो पाया है. मुख्यमंत्री के आदेश के बाद अब तक दर्जनों बड़े सड़क हादसे हो चुके हैं, जिसमें सैकड़ो लोगों की मौत हो चुकी है. इन मौतों के बाद भी शासन के अफसरों की नींद नहीं खुल रही है.




शासन स्तर पर नहीं दिखाई जा रही रुचि
साल 2023 के आखिरी माह में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सड़क सुरक्षा परिषद की बैठक के बाद कहा था कि परिवहन विभाग सड़क दुर्घटनाओं पर गंभीरता से ध्यान दे. इसके लिए एआरटीओ रोड सेफ्टी की हर जिले में तैनाती की जाए. कार्यालय पर एक-एक आरटीओ रोड सेफ्टी का पद सृजित किया जाए और इसका काम पूरी तरह से सड़क हादसों पर नियंत्रण स्थापित करने का होना चाहिए. ऐसे प्लान बनाएं और चेकिंग अभियान चलाएं, जिससे सड़कों पर हादसों को नियंत्रित किया जा सके. मुख्यमंत्री की इस घोषणा के बाद परिवहन विभाग ने तो अपनी तरफ से प्लान बना लिया और पदों को लेकर शासन को प्रस्ताव भी भेज दिया. लेकिन शासन स्तर पर अधिकारियों की लापरवाही से मुख्यमंत्री की योजना को ही अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. अभी तक एआरटीओ रोड सेफ्टी पद के सृजन पर मुहर लगाने के लिए शासन दो कदम भी नहीं बढ़ पाया है.

351 एएमवीआई की भी होनी है तैनाती
उत्तर प्रदेश के विभिन्न तहसीलों में भी सड़क हादसों पर ध्यान देने के लिए अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर के पदों पर भी तैनाती की जानी है. 351 अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर का प्रस्ताव के शासन को परिवहन विभाग की तरफ से भेजा गया है. इस पर भी शासन ने खामोशी की चादर ओढ़ ली है. उत्तर प्रदेश में तैनात 66 आरआई के पद को एमवीआई में बदलना है, जिससे यह अधिकारी भी तकनीकी रूप से सड़क पर अनफिट चल रहे वाहनों की जांच कर उन पर नियंत्रण स्थापित कर सकें और हादसों में कमी आए.

यूपी में पिछले 10 साल में हुए सड़क हादसे.
यूपी में पिछले 10 साल में हुए सड़क हादसे. (ETV Bharat Gfx)
सड़क हादसों में हो रहा इजाफासड़क हादसों में 37 तो मृतकों में 42 और घायलों में 23 फीसदी का इजाफा हुआ है. साल 2022 में उत्तर प्रदेश में सड़क हादसों में 1.95 फीसदी और मृत्यु दर में 0.26 प्रतिशत की मामूली गिरावट दर्ज की गई थी. लेकिन 2023 और 2024 में बड़े-बड़े हादसे हुए. साल 2024 में अब तक कई स्थानों पर रोड एक्सीडेंट में एक साथ ही बड़ी संख्या में लोगों की मौतें हुई हैं. उन्नाव बस हादसे के बाद भी नहीं खुल रही नींदसाल 2024 में लेटेस्ट घटना 10 जुलाई को लखनऊ आगरा एक्सप्रेसवे पर हुई है. उन्नाव में हुए सड़क हादसे में स्लीपर बस से यात्रा कर रहे यात्रियों की मौत हो गई. दूध के टैंकर से बस टकराई और 18 लोगों की एक साथ जान चली गई. तमाम यात्री बुरी तरह घायल हो गए. इसके अलावा प्रदेश के विभिन्न जिलों में भी हर रोज तमाम ऐसी घटनाएं हो रही हैं, जिसमें अच्छी खासी तादाद में लोग अपनी जान गवा रहे हैं. अब एआरटीओ सड़क सुरक्षा की हर जिले में तैनाती हो तो फिर जिम्मेदारी भी तय हो सके और सड़क हादसों पर रोक लगने से लोगों की जान भी बचाई जा सके.

इसे भी पढ़ें-उन्नाव बस हादसा: जांच रिपोर्ट में कई अधिकारी फंसे, फिर भी एक अफसर पर ही एक्शन, बाकी को अभयदान

निश्चित तौर पर 75 जिलों में एक-एक एआरटीओ सड़क सुरक्षा की तैनाती होने से सड़क हादसों में कमी जरूर लाई जा सकेगी. क्योंकि इस अधिकारी का काम ही सड़क सुरक्षा को लेकर प्लान बनाना और उनको अमलीजामा पहनाना होगा. यह उनकी जिम्मेदारी होगी. लापरवाही बरतने पर उन पर कार्रवाई होगी. इसके अलावा तहसीलों में अस्सिटेंट मोटर व्हीकल इंस्पेक्टर तैनात होंगे तो अनफिट वाहनों को सड़क पर चलने से रोका जा सकेगा. यही वाहन हादसे का बड़ा कारण बनते हैं. हाल ही में अपर मुख्य सचिव वित्त के यहां इन्हीं पदों के सृजन को लेकर प्रेजेंटेशन होना था, लेकिन वह मीटिंग स्थगित हो गई. पुष्पसेन सत्यार्थी, अपर परिवहन आयुक्त (सड़क सुरक्षा)

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