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इतिहास को संजो रहा गढ़वाल विवि, प्राचीन मूर्तियों और वस्तुओं की बना रहा 3D रिप्लिका, आगंतुकों को दी जा रही भेंट - HNB UNIVERSITY IN GARHWAL

अब लोगों को अपने इतिहास से जुड़ी वस्तुओं को देखने का मौका मिलेगा. गढ़वाल विश्वविद्यालय ने जिसकी कवायद शुरू की है.

Hemvati Nandan Bahuguna Garhwal University
गढ़वाल विश्वविद्यालय ने बनाई 3D रिप्लिका (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Nov 27, 2024, 10:38 AM IST

Updated : Nov 27, 2024, 11:18 AM IST

श्रीनगर: उत्तराखंड का अपना ही ऐतिहासिक महत्व रहा है. लेकिन अब आम जनता भी उत्तराखंड के इतिहास से रूबरू हो सकेगी. जिसके लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय ने कवायद शुरू की है. गढ़वाल विश्वविद्यालय के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग द्वारा पुरातात्विक और प्राचीन वस्तुओं का संग्रह और संरक्षण किया जा रहा है. साथ ही उन्हें नया स्वरूप भी प्रदान किया जा रहा है. विभाग द्वारा पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त वस्तुओं की 3D प्रतिकृतियां (रिप्लिका) तैयार की जा रही हैं. जिन्हें विश्वविद्यालय आने वाले आगंतुकों को उपहार के रूप में भेंट किया जाता है.

विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए इन प्रोटोटाइप को अब तक राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत कई अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों को उपहार स्वरूप भेंट किया जा चुका है. 3D प्रिंटिंग के माध्यम से प्राचीन सभ्यता के अवशेषों को अब लोग नजदीक से देख और समझ सकते हैं. साथ ही, विश्वविद्यालय के पुरातात्विक संग्रहालय में एक सोविनियर शॉप स्थापित की गई है. जहां इन प्रतिकृतियों को प्रदर्शित और विक्रय के लिए रखा गया है. इससे हर कोई उत्तराखंड के इतिहास से रूबरू हो सकेगा, साथ में इन धरोहरों को अपने घर भी ले जा सकता है.

गढ़वाल विश्वविद्यालय इतिहास को संजोने का कर रहा काम (Video-ETV Bharat)

इस बेस कीमती खजाने में उतराखंड के इतिहास से जुड़ी हुई एक से बढ़ एक कलाकृतियों को थ्रीडी रिप्लिका में बदला गया है. इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र रावत ने बताया कि संग्रहालय में मौजूद सभी वस्तुएं हमारी धरोहर से जुड़ी हुई हैं. विभाग द्वारा इन वस्तुओं को विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों से उत्खनन के माध्यम से एकत्रित किया गया है और संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखा गया है. ताकि इसे देखने आने वाले लोग यह समझ सकें कि मध्य हिमालय और उत्तराखंड में प्राचीन काल में किस प्रकार की संस्कृति थी.

डॉ. रावत बताते हैं कि तकनीक बहुत आगे बढ़ गई है और इसके माध्यम से हम उत्तराखंड के इतिहास को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. 3D तकनीक का उपयोग करके पुरातन मूर्तियों और वस्तुओं को डिजिटल रूप में संग्रहित किया जा रहा है और उनकी हूबहू प्रतियां बनाई जा रही हैं, ताकि वे वास्तविक प्रतीत हों. कहा कि इस सामग्री की आयु लंबी होती है और ये बायोडिग्रेडेबल भी हैं, जिससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं होगी.

अगर कोई व्यक्ति इन वस्तुओं और मूर्तियों की रिप्लिका खरीदना चाहता है, तो वह गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरास स्थित संग्रहालय में सोविनियर शॉप से इन्हें प्राप्त कर सकता है. इसके अलावा, गढ़वाल विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से भी ऑनलाइन इन रिप्लिका को खरीदने की सुविधा उपलब्ध है. ये रिप्लिका उच्च गुणवत्ता की होती हैं और इन्हें 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग कर तैयार किया गया है.
पढ़ें-गढ़वाल विवि ने बनाया वर्मी वॉश, फसलों पर नहीं लगेगा कोई कीट, घर पर ऐसे तैयार करें जैविक कीटनाशक

श्रीनगर: उत्तराखंड का अपना ही ऐतिहासिक महत्व रहा है. लेकिन अब आम जनता भी उत्तराखंड के इतिहास से रूबरू हो सकेगी. जिसके लिए गढ़वाल विश्वविद्यालय ने कवायद शुरू की है. गढ़वाल विश्वविद्यालय के इतिहास एवं पुरातत्व विभाग द्वारा पुरातात्विक और प्राचीन वस्तुओं का संग्रह और संरक्षण किया जा रहा है. साथ ही उन्हें नया स्वरूप भी प्रदान किया जा रहा है. विभाग द्वारा पुरातात्विक स्थलों से प्राप्त वस्तुओं की 3D प्रतिकृतियां (रिप्लिका) तैयार की जा रही हैं. जिन्हें विश्वविद्यालय आने वाले आगंतुकों को उपहार के रूप में भेंट किया जाता है.

विश्वविद्यालय द्वारा तैयार किए गए इन प्रोटोटाइप को अब तक राष्ट्रपति, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत कई अन्य महत्वपूर्ण हस्तियों को उपहार स्वरूप भेंट किया जा चुका है. 3D प्रिंटिंग के माध्यम से प्राचीन सभ्यता के अवशेषों को अब लोग नजदीक से देख और समझ सकते हैं. साथ ही, विश्वविद्यालय के पुरातात्विक संग्रहालय में एक सोविनियर शॉप स्थापित की गई है. जहां इन प्रतिकृतियों को प्रदर्शित और विक्रय के लिए रखा गया है. इससे हर कोई उत्तराखंड के इतिहास से रूबरू हो सकेगा, साथ में इन धरोहरों को अपने घर भी ले जा सकता है.

गढ़वाल विश्वविद्यालय इतिहास को संजोने का कर रहा काम (Video-ETV Bharat)

इस बेस कीमती खजाने में उतराखंड के इतिहास से जुड़ी हुई एक से बढ़ एक कलाकृतियों को थ्रीडी रिप्लिका में बदला गया है. इतिहास विभाग के सहायक प्रोफेसर डॉ. नागेंद्र रावत ने बताया कि संग्रहालय में मौजूद सभी वस्तुएं हमारी धरोहर से जुड़ी हुई हैं. विभाग द्वारा इन वस्तुओं को विभिन्न ऐतिहासिक स्थलों से उत्खनन के माध्यम से एकत्रित किया गया है और संग्रहालय में प्रदर्शन के लिए रखा गया है. ताकि इसे देखने आने वाले लोग यह समझ सकें कि मध्य हिमालय और उत्तराखंड में प्राचीन काल में किस प्रकार की संस्कृति थी.

डॉ. रावत बताते हैं कि तकनीक बहुत आगे बढ़ गई है और इसके माध्यम से हम उत्तराखंड के इतिहास को संरक्षित करने का प्रयास कर रहे हैं. 3D तकनीक का उपयोग करके पुरातन मूर्तियों और वस्तुओं को डिजिटल रूप में संग्रहित किया जा रहा है और उनकी हूबहू प्रतियां बनाई जा रही हैं, ताकि वे वास्तविक प्रतीत हों. कहा कि इस सामग्री की आयु लंबी होती है और ये बायोडिग्रेडेबल भी हैं, जिससे पर्यावरण को कोई हानि नहीं होगी.

अगर कोई व्यक्ति इन वस्तुओं और मूर्तियों की रिप्लिका खरीदना चाहता है, तो वह गढ़वाल विश्वविद्यालय के चौरास स्थित संग्रहालय में सोविनियर शॉप से इन्हें प्राप्त कर सकता है. इसके अलावा, गढ़वाल विश्वविद्यालय की आधिकारिक वेबसाइट के माध्यम से भी ऑनलाइन इन रिप्लिका को खरीदने की सुविधा उपलब्ध है. ये रिप्लिका उच्च गुणवत्ता की होती हैं और इन्हें 3D प्रिंटिंग तकनीक का उपयोग कर तैयार किया गया है.
पढ़ें-गढ़वाल विवि ने बनाया वर्मी वॉश, फसलों पर नहीं लगेगा कोई कीट, घर पर ऐसे तैयार करें जैविक कीटनाशक

Last Updated : Nov 27, 2024, 11:18 AM IST
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