शिमला: संजौली मस्जिद मामले में गुरुवार को सुनवाई हुई. जिला अदालत ने लोकल रेजिडेंट कमेटी संजौली को पार्टी बनाने की अर्जी को खारिज कर दिया है. लोकल रेजिडेंट कमेटी ने भी संजौली मस्जिद विवाद में उन्हें पार्टी बनाने की अपील की थी. अब इस मामले की अगली सुनवाई सोमवार को होगी. अगली सुनवाई में ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन की याचिका पर फैसला हो सकता है.
ये था मामला
बता दें कि संजौली मस्जिद विवाद के बाद संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ और अन्य ने एमसी कोर्ट शिमला में हल्फनामा दायर कर मस्जिद के अवैध ढांचे को गिराने की अनुमति मांगी थी. कमिश्नर ने मस्जिद कमेटी को ये अनुमति दे दी थी और दो माह में अपने खर्च पर अवैध निर्माण हटाने को कहा था. अनुमति मिलने के बाद संजौली मस्जिद में अवैध निर्माण हटाने का काम शुरू हुआ.
मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन पहुंची थी अदालत
इसी बीच ऑल हिमाचल मुस्लिम वेलफेयर एसोसिएशन ने मामले में जिला अदालत का रुख किया. जिला अदालत में पिछली सुनवाई के दौरान नज़ाकत अली हाशमी ने ओर से दलील दी गई कि संजौली मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ हलफनामा देने की योग्यता नहीं रखते. उन्होंने मोहम्मद लतीफ के हलफनामे को चुनौती दी है.
लोकल रेजिडेंट कमेटी संजौली की ओर से पेश हुए वकील जगत पॉल ने कहा कि, 'मामले में उनको पार्टी बनने से कोई ज्यादा असर तो नहीं पड़ता, लेकिन उन्होंने कोर्ट के समक्ष अपना पक्ष रख दिया है. यह मामला नगर निगम शिमला और वक्फ बोर्ड के बीच में चल रहा है. इस मामले में नगर निगम शिमला अथॉरिटी है, जबकि वक्फ बोर्ड उल्लंघनकर्ता है. नगर निगम शिमला के तहत आने वाले इलाकों में जो भी निर्माण होता है, उसमें नगर निगम की अनुमति लेना जरूर होती है. इस पूरे मामले में वक्फ बोर्ड ने निर्माण के लिए अनुमति नहीं ली थी. इस पूरे मामले में किसी तीसरे पक्ष की गुंजाइश ही नहीं है. उन्होंने कोर्ट को जो एप्लीकेशन दी थी, वह बिना थर्ड पार्टी ऑब्जेक्शन दी थी. उन्होंने जिला अदालत के सामने तथ्य रखे, जो कुछ नगर निगम की अदालत में हुआ था. वक्फ बोर्ड झूठ कहता है. पहले खुद परमिशन देता है, लेकिन बाद में उससे पीछे हट जाता है. कोई भी कानून से ऊपर नहीं है.'
पहले 6 नवंबर को हुई थी सुनवाई
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित संजौली मस्जिद विवाद मामले में 6 नवंबर को जिला अदालत में सुनवाई हुई थी. जिसमें मुस्लिम वेलफेयर कमेटी ने संजौली में अवैध निर्माण को गिराने के नगर निगम के फैसले को चुनौती दी थी और स्टे की मांग थी. मगर अदालत ने मुस्लिम कमेटी की स्टे की मांग को नहीं माना था और 14 नवंबर को सुनवाई तय की थी. पिछली सुनवाई में लोकल रेजिडेंट कमेटी और मुस्लिम कमेटी की अर्जी पर फैसला कोर्ट ने सुरक्षित रखा था. मुस्लिम वेलफेयर सोसायटी पांवटा साहिब, जामा मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी बिलासपुर और अलहुदा एजुकेशनल सोसाइटी डिनक मंडी का दावा है कि संजौली की मस्जिद कमेटी रजिस्टर ही नहीं है. इसके अलावा इस मस्जिद कमेटी के अध्यक्ष मोहम्मद लतीफ की ओर से दिया गया हलफनामा भी गैर कानूनी है. 18 नवंबर को जिला अदालत की ओर से मुस्लिम पक्ष की याचिका को सुना जाएगा. मुस्लिम पक्ष ने जिला अदालत से बहस के लिए वक्त मांगा था.
बता दें कि इसी मामले में संजौली लोकल रेजिडेंट्स कमेटी ने भी हाईकोर्ट में एक आवेदन दाखिल किया था, जिसकी सुनवाई के बाद अदालत ने नगर निगम को साल 2010 में मस्जिद में अवैध निर्माण से जुड़ी शिकायत का 20 दिसंबर तक निपटारा करने के आदेश दिए थे. वहीं, लोकल रेजिडेंट्स कमेटी ने भी उन्हें पार्टी बनाने के लिए कोर्ट में अर्जी लगाई थी. आज हुई सुनवाई में जिला अदालत ने लोकल रेजिडेंट कमेटी की अर्जी को खारिज कर दिया. इससे पहले एमसी कमिश्नर शिमला की कोर्ट ने भी लोकल रेजिडेंट कमेटी को इस मामले में पार्टी बनाने से इनकार कर दिया था.