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इस बार 6 सालों में सबसे कम सेब के उत्पादन की संभावना, मौसम की मार बागवान बेहाल - Apple production decrease in Kullu

Apple production decrease: इस बार कुल्लू जिले में सेब का उत्पादन कम होने की संभावना है. उद्यान विभाग ने इसके लिए सबसे बड़ा कारण मौसम को बताया है. कुल्लू जिले में 27303 हेक्टेयर भूमि पर सेब की बागवानी होती है.

Apple production decrease
इस बार सेब उत्पादन कम होने की संभावना (ETV BHARAT फाइल फोटो)
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By ETV Bharat Himachal Pradesh Team

Published : Jul 22, 2024, 5:49 PM IST

कुल्लू: जिले में इस बार सेब का कम उत्पादन होने का अनुमान है. सेब उत्पादन कम होने के अनुमान से बागवानों के चेहरे लटक गए हैं. हालांकि इस बार अन्य राज्यों से आढ़तियों ने कुल्लू जिले में दस्तक देना शुरू कर दिया है.

इस बार कुल्लू में सेब सीजन देरी से शुरू होगा. जिले में सेब का सीजन अगस्त माह में शुरू होने का अनुमान है जो नवंबर महीने तक चलेगा. लगातार मौसम बदलने के कारण इस बार सेब का आकार भी नहीं बन पाया है.

बारिश ना होना बड़ा कारण

उद्यान विभाग की मानें तो इस बार कुल्लू जिले में करीब 62.70 लाख सेब की पेटियां होने का अनुमान है. कुल्लू जिले में बीते साल 70 लाख से अधिक पेटियां हुई थीं. इस बार बारिश हिमपात, ओलावृष्टि और अंधड़ से बागवानों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, समय पर बारिश ना होना सेब उत्पादन कम होने का सबसे बड़ा कारण है.

पांच साल में कुल्लू जिले में सेब का उत्पादन (मीट्रिक टन में)

वर्षमीट्रिक टन में सेब का उत्पादन
2018-1976019.04
2019-201,31194
2020-2192,260
2021-221,15049
2022-23 1,45102.75
2023-24 1,02860

इस बार 12546 मीट्रिक टन सेब उत्पादन का अनुमान लगाया गया है. सेब की विदेशी वैरायटी में इस साल नुकसान कम होने का अनुमान है. बीते साल बरसात में हुई तबाही से सेब की विदेशी वैरायटी को काफी नुकसान हुआ था. इनमें जिनगर गोल्ड, गिब्सन गोल्डन, मनूचरेण करव, यलो न्यूटन, रूबीन स्टार जोना गोल्ड, बाइजेंट, रायल रेड हनी क्रिस्प, प्रीमायर हनी क्रिस्प, हनी क्रिस्प, अमब्रोजा, सचरेक्ट सुपर रेड डिलिशियस, क्रिमसन टोपाज, गोल्डन डिलिशियस, अटजेक फूजी, अटजेक फूजी डीटीटू, सुपर चीफ, प्रीमायर हनी क्रिस्प, क्रिमसन क्रिस्प, इंटरप्राइज, गाला कल्टीवर, डे-ब्रेक फूली, क्रोन इंपायर व गेला-गाला किस्म शामिल हैं.

उपनिदेशक उद्यान विभाग कुल्लू बीएम चौहान ने बताया "जिला कुल्लू में 27303 हेक्टेयर भूमि पर सेब की बागवानी होती है. वहीं, 2290.37 हेक्टेयर जमीन पर सेब की स्पर किस्में लगाई गई हैं. 6 साल की अपेक्षा अबकी बार सेब की फसल बहुत कम है. मौसम में आए बदलाव के कारण इस बार सेब बागवान परेशान हैं. उद्यान विभाग ने बागवानों को सलाह दी है कि विभाग के मुताबिक स्प्रे करें."

ये भी पढ़ें: हिमसोना टमाटर से किसानों पर 'बरस' रहा पैसा, सोलन सब्जी मंडी में इतने हजार में बिके 15 क्रेट

कुल्लू: जिले में इस बार सेब का कम उत्पादन होने का अनुमान है. सेब उत्पादन कम होने के अनुमान से बागवानों के चेहरे लटक गए हैं. हालांकि इस बार अन्य राज्यों से आढ़तियों ने कुल्लू जिले में दस्तक देना शुरू कर दिया है.

इस बार कुल्लू में सेब सीजन देरी से शुरू होगा. जिले में सेब का सीजन अगस्त माह में शुरू होने का अनुमान है जो नवंबर महीने तक चलेगा. लगातार मौसम बदलने के कारण इस बार सेब का आकार भी नहीं बन पाया है.

बारिश ना होना बड़ा कारण

उद्यान विभाग की मानें तो इस बार कुल्लू जिले में करीब 62.70 लाख सेब की पेटियां होने का अनुमान है. कुल्लू जिले में बीते साल 70 लाख से अधिक पेटियां हुई थीं. इस बार बारिश हिमपात, ओलावृष्टि और अंधड़ से बागवानों को भारी नुकसान हुआ है. वहीं, समय पर बारिश ना होना सेब उत्पादन कम होने का सबसे बड़ा कारण है.

पांच साल में कुल्लू जिले में सेब का उत्पादन (मीट्रिक टन में)

वर्षमीट्रिक टन में सेब का उत्पादन
2018-1976019.04
2019-201,31194
2020-2192,260
2021-221,15049
2022-23 1,45102.75
2023-24 1,02860

इस बार 12546 मीट्रिक टन सेब उत्पादन का अनुमान लगाया गया है. सेब की विदेशी वैरायटी में इस साल नुकसान कम होने का अनुमान है. बीते साल बरसात में हुई तबाही से सेब की विदेशी वैरायटी को काफी नुकसान हुआ था. इनमें जिनगर गोल्ड, गिब्सन गोल्डन, मनूचरेण करव, यलो न्यूटन, रूबीन स्टार जोना गोल्ड, बाइजेंट, रायल रेड हनी क्रिस्प, प्रीमायर हनी क्रिस्प, हनी क्रिस्प, अमब्रोजा, सचरेक्ट सुपर रेड डिलिशियस, क्रिमसन टोपाज, गोल्डन डिलिशियस, अटजेक फूजी, अटजेक फूजी डीटीटू, सुपर चीफ, प्रीमायर हनी क्रिस्प, क्रिमसन क्रिस्प, इंटरप्राइज, गाला कल्टीवर, डे-ब्रेक फूली, क्रोन इंपायर व गेला-गाला किस्म शामिल हैं.

उपनिदेशक उद्यान विभाग कुल्लू बीएम चौहान ने बताया "जिला कुल्लू में 27303 हेक्टेयर भूमि पर सेब की बागवानी होती है. वहीं, 2290.37 हेक्टेयर जमीन पर सेब की स्पर किस्में लगाई गई हैं. 6 साल की अपेक्षा अबकी बार सेब की फसल बहुत कम है. मौसम में आए बदलाव के कारण इस बार सेब बागवान परेशान हैं. उद्यान विभाग ने बागवानों को सलाह दी है कि विभाग के मुताबिक स्प्रे करें."

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