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90 साल की मां का भरण पोषण नहीं करने वाले बेटे को संपत्ति से बेदखल करने के आदेश - District Magistrate Jaipur

अपीलीय अधिकरण कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जयपुर ने 90 साल की मां का का भरण पोषण नहीं करने वाले बेटे को संपत्ति से बेदखल करने के आदेश दिए हैं.

Appellate Tribunal Collector,  evict the son from the property
बेटे को संपत्ति से बेदखल करने के आदेश.
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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 23, 2024, 8:37 PM IST

Updated : Feb 23, 2024, 11:11 PM IST

जयपुर. अपीलीय अधिकरण कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जयपुर ने वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण कानून से जुडे़ मामले में सुनवाई की. अधिकरण ने 90 साल की मां का भरण-पोषण व देखभाल नहीं करने वाले बेटे को मां की संपत्ति से बेदखल करने का आदेश दिया है. अधिकरण ने अपने आदेश में कहा की बेटे को अपीलार्थी मां की संपत्ति से बेदखल किया जाए और अपीलार्थी के रहने में बेटा कोई बाधा पैदा नहीं करे. अधिकरण ने आदेश की पालना के लिए कॉपी एसडीएम को भेजी है. अधिकरण ने यह आदेश सुखरानी की अपील पर दिया.

अपील में एसडीएम कोर्ट के एक दिसंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण कानून के तहत दायर किए गए प्रार्थना पत्र को बिना सुने ही खारिज कर दिया था. पीड़ित मां ने एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर कहा था कि वह विधवा महिला है. उसने अपने सिपाही पति के साथ मिलकर मकान खरीदा था और इसका पट्टा भी उसके नाम से है. पति की 2010 में हार्ट अटैक से मौत हो गई.

पढ़ेंः पति ने भरण पोषण नहीं दिया तो कोर्ट ने नियोक्ता को वेतन से कटौती करने के दिए आदेश

इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी के बेटे गोपाल को गोद लिया था. वह उसे घर से बाहर निकालने के लिए गाली-गलौच करता है. इससे परेशान होकर वह खुद का घर छोड़कर किराए के कमरे में चली गई है. इसलिए पुत्र को उसके स्वामित्व की संपत्ति से बेदखल किया जाए और इसके उपयोग में कोई भी बाधा पैदा नहीं हो. वहीं, बेटे की ओर से कहा कि वह आपसी सहमति से ही गोद गया था. उसकी पत्नी व बच्चे भी अपीलार्थी की सेवा करते हैं और उसके खान-पान, दवाई व देखभाल में कोई समस्या नहीं है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अधिकरण ने बेटे को संपत्ति से बेदखल करने को कहा है.

जयपुर. अपीलीय अधिकरण कलक्टर एवं जिला मजिस्ट्रेट, जयपुर ने वरिष्ठ नागरिकों का भरण-पोषण कानून से जुडे़ मामले में सुनवाई की. अधिकरण ने 90 साल की मां का भरण-पोषण व देखभाल नहीं करने वाले बेटे को मां की संपत्ति से बेदखल करने का आदेश दिया है. अधिकरण ने अपने आदेश में कहा की बेटे को अपीलार्थी मां की संपत्ति से बेदखल किया जाए और अपीलार्थी के रहने में बेटा कोई बाधा पैदा नहीं करे. अधिकरण ने आदेश की पालना के लिए कॉपी एसडीएम को भेजी है. अधिकरण ने यह आदेश सुखरानी की अपील पर दिया.

अपील में एसडीएम कोर्ट के एक दिसंबर 2022 के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें उसके वरिष्ठ नागरिकों के भरण-पोषण कानून के तहत दायर किए गए प्रार्थना पत्र को बिना सुने ही खारिज कर दिया था. पीड़ित मां ने एसडीएम कोर्ट में प्रार्थना पत्र दायर कर कहा था कि वह विधवा महिला है. उसने अपने सिपाही पति के साथ मिलकर मकान खरीदा था और इसका पट्टा भी उसके नाम से है. पति की 2010 में हार्ट अटैक से मौत हो गई.

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इससे पहले उन्होंने अपनी बेटी के बेटे गोपाल को गोद लिया था. वह उसे घर से बाहर निकालने के लिए गाली-गलौच करता है. इससे परेशान होकर वह खुद का घर छोड़कर किराए के कमरे में चली गई है. इसलिए पुत्र को उसके स्वामित्व की संपत्ति से बेदखल किया जाए और इसके उपयोग में कोई भी बाधा पैदा नहीं हो. वहीं, बेटे की ओर से कहा कि वह आपसी सहमति से ही गोद गया था. उसकी पत्नी व बच्चे भी अपीलार्थी की सेवा करते हैं और उसके खान-पान, दवाई व देखभाल में कोई समस्या नहीं है. दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद अधिकरण ने बेटे को संपत्ति से बेदखल करने को कहा है.

Last Updated : Feb 23, 2024, 11:11 PM IST
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