नई दिल्ली: आर्कियोलाजिकल सर्वे ऑफ इंडिया (एएसआई) के अधीन देश भर में करीब 35 सौ स्मारक हैं, जिनमें कई विश्व विरासत भी घोषित किए जा चुके हैं. इन्हें देखने के लिए रोजाना लाखों लोग आते हैं. एएसआई ने दिल्ली के तीन गेट- दिल्ली गेट, मोरी गेट व कश्मीरी गेट के साथ मध्य प्रदेश के भीमबेटका को अलग-अलग कंपनियों को सौंप दिया है. अब इन स्मारकों की सुंदरता में चार चांद लगाने का काम होगा. इससे ये ऐतिहासिक स्थल न सिर्फ पर्यटकों को आकर्षित करेंगे बल्कि इनका संरक्षण भी किया जाएगा.
एएसआई के एडीजी आनंद मधुकर ने बताया कि सितंबर 2020 में हेरिटेज को एडॉप्ट करने की स्कीम शुरू की गई थी. जिससे लोग या संस्थाएं देश में मौजूद ऐतिहासिक धरोहरों (स्मारकों) को गोद लेकर उनके रखरखाव, यहां आने वाले लोगों की सुविधा, सुरक्षा और शिक्षा के लिए काम कर सकें. देश के कुल 3500 स्मारकों में से 1000 स्मारकों को एडॉप्शन की सूची में रखा गया है, इनमें की वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल हैं.
दो कैटेगरी में है एडॉप्शन की व्यवस्था
एएसआई के एडीजी आनंद मधुकर ने बताया कि स्मारकों को एडॉप्ट करने की व्यवस्था दो कैटेगरी में है. पहली कैटेगरी स्मारक साथी की है, जिसमें कोई भी संस्था या व्यक्ति स्मारक को गोद लेकर सुविधा, सुरक्षा या पर्यटकों को स्मारक के बारे में शिक्षित करने में से कोई भी सुविधा दे सकते हैं. दूसरी कैटेगरी स्मारक सारथी है. इसमें एक ही व्यक्ति या संस्था पूरे स्मारक को गोद लेती है. उसकी देखरेख से लेकर पर्यटकों की सुविधा, सुरक्षा और उन्हें उस स्मारक के बारे में शिक्षित करने समेत सभी काम देखने होते हैं.
इंडिया गेट जैसे चमकेंगे दिल्ली के तीन और गेट
दिल्ली स्थित मुख्यालय पर मंगलवार को तीन और ऐतिहासिक इमारतों को गोद दिया गया. इसके लिए एमओयू साइन हुआ. एएसआई के एडीजी आनंद मधुकर ने बताया कि दिल्ली के मोरी गेट व कश्मीरी गेट को रेड टेप कंपनी ने गोद लिया है. वहीं मध्य प्रदेश के रायसेन स्थित भीमबेटका को हिंदुस्तान इलेक्ट्रो ग्रेफाइट (एचईजी) ने गोद लिया है. इन ऐतिहासिक धरोहरों पर दोनों कंपनियां सभ्यता फाउंडेशन की मदद से काम करेंगी.
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रेडटेप के कंपनी सेक्रेटरी अखिलेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि मोरी गेट, कश्मीरी गेट और दिल्ली गेट को हमने गोद लिया है. इससे पहले हमने यहां निरीक्षण किया था. ये हमारी ऐतिहासिक धरोहर हैं, लेकिन लोगों ने आसपास गंदगी कर दी है. यहां साफ-सफाई करने के साथ लाइटिंग पर काम किया जाएगा. इससे ये गेट इंडिया गेट की तरह लोगों को आकर्षित करेंगे. वहीं सभ्यता फाउंडेशन के सीईओ अजय वर्मा ने बताया कि दिल्ली में हमने लाल किले को पहले से गोद लिया है. जहां पर हम बहुत बेहतर काम कर रहे हैं, जिसमें लाइट एंड साउंड शो काफी लोकप्रिय है. अब भीमबेटका की सूरत बदलेंगे. यहां की सुविधाओं पर काम करेंगे, जिससे यहां पर्यटक आएंगे.
इन 16 स्थानों के स्मारक पहले से गोद लिए गए
दिल्ली स्थित महरौली आर्कियोलॉजिकल पार्क के चार स्मारक, दिल्ली का सफदरजंग टॉम्ब, दिल्ली का पुराना किला, लाल किला, कुतुब मीनार, हुमायूँ टॉम्ब, जंतर मंतर, उग्रसेन की बावली, हौज खास के स्मारकों के समूह को संस्थाओं ने गोद लिया है. इसके साथ ही उत्तर प्रदेश के आगरा फोर्ट, बुद्ध अवशेष स्तूप चंपारण बिहार, कैलाशनाथ टेंपल कांचीपुरम तमिलनाडु, कंदरिया महादेव मंदिर खजुराहो मध्य प्रदेश के 13 मंदिर, मामल्लापुरम कांचीपुरम तमिलनाडु के 35 स्मारकों का समूह, सूर्य मंदिर कोणार्क ओडिशा, एलीफेंटा की गुफा राजगढ़ महाराष्ट्र और अगुआड़ा किला गोवा को संस्थाओं ने एडॉप्ट किया है.
एएसआई के एडीजी आनंद मधुकर ने बताया कि ऐसे स्मारकों को एडॉप्ट करने की सूची में रखा गया है, जहां पर बड़ी संख्या में लोग घूमने के लिए आते हैं. पर्यटकों के आने से वहां पर लोगों की सुविधाएं, सुरक्षा, शिक्षा आदि के लिए काम करना होता है. कुल 67 स्मारक एडॉप्ट हो चुके हैं. बता दें एक ही स्थान पर कई-कई स्मारक हैं. एएसआई की वेबसाइट के एडॉप्शन पोर्टल पर स्मारकों को गोद लेने के लिए आवेदन करने का प्रावधान है.
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