भोपाल। खेप की खेप जो कांग्रेस से बीजेपी का रुख कर रही है. उस खेप में सुरेश पचौरी जैसे दरख्त का टूटना कांग्रेस के मनोबल के साथ उन कार्यकर्ताओं के लिए भी बड़ा झटका है, जो ये आस बांधे बैठे हैं कि पार्टी के अच्छे दिन आएंगे. सुरेश पचौरी की गिनती एमपी के उन कांग्रेस नेताओं में होती है जो कभी एमपी में कांग्रेस के क्षत्रपों में गिने जाते थे.
कांग्रेस में अगर क्षत्रप टूटे तो बचेगा कौन
एमपी में जिन क्षत्रपों के फैसले टिकट के बंटवारे से लेकर संगठन के बाकी फैसलों में लिए जाते रहे, सुरेश पचौरी की गिनती उन्हीं नेताओं में होती रही है. अपने जीवन के पचास साल से अधिक का समय कांग्रेस को देने के बाद भी क्या वजह रही कि पचौरी को कांग्रेस से किनारा करना पड़ा. जो जाहिर वजह उन्होंने मीडिया को बताई उसमें पचौरी ने कहा कि कांग्रेस का जनता से कनेक्ट खत्म हो गया. दूसरी राम मंदिर मंदिर का न्यौता ठुकराए जाने से भी वो नाराज थे. क्या वजह केवल इतनी ही है. सवाल ये भी है कि क्या बीजेपी में राजनीति का रनवे पा सकेंगे पचौरी. जिस तरह से कांग्रेस अधयक्ष जीतू पटवारी ने कहा कि "वे हमारी पार्टी के सीनियर लीडर हैं हमारी भगवान से प्रार्थना है कि वे भीड़ का हिस्सा न बनें."
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कांग्रेस में दौड़ा दौड़ा भागा भागा सा...
जिस समय कमलनाथ के कांग्रेस छोड़ने की अटकलें तेज हुई थी, उस समय भी पूर्व मंत्रियों से लेकर पूर्व विधायक और जिला स्तर के कार्यकर्ताओं की एक खेप तैयार बैठी थी कांग्रेस छोड़ने के लिए, जो अब भी किसी इशारे के इंतजार में होल्ड पर है. क्या कांग्रेस से दौड़ का सिलसिला रुकने वाला नहीं है. वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश भटनागर कहते हैं, "नेता वजह चाहे जो बताए असल वजह यही होती है कि उन्हें अपना भविष्य दिखाई नहीं देता. मध्य प्रदेश में कांग्रेस ने ऐसा दौर वाकई नहीं देखा. ये पार्टी के लिए मंथन का समय है कि इसे संभाला कैसे जाए, वरना ये तय मानिए कि बाकी जो अभी रुके हैं वो भी किसी इशारे के इंतजार में हैं."