मेरठ : बीते वर्ष चीन में हुए एशियाई गेम्स में भाला फेंककर में देश को गोल्ड दिलाने वालीं मेरठ की अन्नू रानी इस बार पेरिस ओलम्पिक गेम्स में प्रतिभाग करेंगी. कभी पैसे के अभाव में बांस या गन्ना फेंक कर अभ्यास करने वालीं अन्नू से देश को बड़ी उम्मीदें हैं. ईटीवी भारत ने बातचीत में उनके परिजनों ने अन्नू के संघर्ष और हौसले की कहानी बयां की. साथ ही कहा कि उनकी बेटी गोल्ड जीतकर लाएगी, इसका उनको पूरा भरोसा है.
एक वक़्त था जब पश्चिमी यूपी और हरियाणा में बेटियों के लिए घर की दहलीज लांघना आसान नहीं था. आज इसकी की माटी से बेटियां लगातार न सिर्फ बेटों की तरह हर क्षेत्र में परचम लहरा रही हैं, बल्कि नया इतिहास रच रही हैं. ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी है मेरठ की अन्नू रानी की. जिला मुख्यालय से लगभग 40 किलोमीटर दूर छोटे से गांव बहादुरपुर की पहचान अन्नू ने पूरे देश में करा दी है.
गांव के किसान अमरपाल सिंह बेटी अन्नू रानी इस बार पेरिस में अपना दमखम दिखाएंगी. अन्नू की मां मुन्नी देवी बताती हैं कि जब जेवलिन के लिए पैसे नहीं होते थे और जेवलिन टूट जाती थी तो बांस या गन्ना फेंककर अन्नू अभ्यास करती थी.
पिता शुरुआत में करते थे विरोध, आज हर कदम पर साथ: पिता अमरपाल सिंह कहते हैं कि यह सही है कि बेटी के घर से बाहर जाकर खेलने का उन्होंने शुरुआत में विरोध किया था, लेकिन जब बेटी ने अपनी मन की बात बताई और उसने अलग-अलग प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल किए तो उन्हें आश्रम के गुरूजी ने बेटी का साथ देने और हौसला बढ़ाने को कहा. उसके बाद हमेशा बेटी का साथ दिया. कहते हैं कि उन्हें अपनी बेटी पर गर्व है. आज जहां जाते हैम, लोग उन्हें अन्नू के पिता कहकर पुकारते हैं. उनका सम्मान होता है. वह कहते हैं कि हमें बेटे और बेटियों को हमेशा बराबर समझना चाहिए.
संघर्ष भरे शुरू के दिन : पूर्व में ईटीवी भारत को दिए एक साक्षात्कार में अन्नू ने बताया था कि घर में बिना बताए एक दिन उन्होंने खेलों में प्रतिभाग किया था. किसी लड़के ने उन्हें खेलते देखा तो उनके पिता को फोन करके बता दिया था, जिसपर उनके पिता वहां पहुंचे और बहुत फटकार लगाई थी. तब अन्नू की उम्र महज 14 या 15 साल की थी.
यूं रंग लाई अन्नू की मेहनत : अन्नू रानी के भाई उपेंद्र बताते हैं कि पहले वह शॉर्ट पुट और डिसकस गेम में ही रुचि रखती थीं. तब यह भी तय नहीं था कि आगे करना क्या है. उसके बाद जब उनके गुरूजी ने उन्हें बताया कि उनके लिए भाला फेंकना उचित रहेगा, तब से अन्नू ने भाला फेंकने पर ही फोकस करना शुरू किया और जिला स्तर से मंडल स्तर, प्रदेश लेवल और उसके बाद नेशनल लेवल और फिर देश के बाहर भी अन्नू ने अपनी प्रतिभा से सबको हैरान क़र दिया.
सुबह 4 बजे निकल जाती थीं दौड़ने : एक वक्त था जब अन्नू अपने भाई और पिता से छुपकर सुबह 4 बजे दौड़ने निकल जाया करती थीं और सूरज निकलने से पहले लौट आती थीं. क्योंकि गांव में लड़कियां न तो लोअर- टीशर्ट पहनती थीं और न ही कोई गेम खेलती थीं, जिस वजह से गुपचुप प्रैक्टिस अन्नू करती थीं.
आज सबकी प्रेरणा बनीं अन्नू : अन्नू की भाभी दीपा और तनु बताती हैं कि सभी उत्साहित हैं कि अन्नू पेरिस से देश के लिए मेडल लेकर आएं और गांव में जश्न मने. अन्नू की भाभी कहती हैं कि वह ओलंपिक में भी भारत का नाम रोशन करेंगी. तनु ने कहा कि जब अन्नू गांव आती हैं तो बच्चे भी उनसे सीखते हैं, प्रेरणा लेते हैं . अन्नू की भाभी दीपा कहती हैं कि अब तो गांव में बच्चे लगातार गेम्स के प्रती रुचि दिखा रहे हैं. सभी को उनके गेम के दिन का इंतजार है.
कोरियर से भाई के लिए भिजवाई राखी: अन्नू रानी के भाई उपेंद्र ने बताया कि उनकी बहन जो भी करती है, वह पूरे लगन से करती है. हर बात का विशेष ध्यान रखती है. बताया कि अभी वह विदेश में ही प्रेक्टिस कर रही है. उसने राखी कोरियर से भिजवाई है, जिससे कि रक्षाबंधन उत्साह से मनाया जाए. बहन देश के लिए पदक हासिल जरूर करेगी. बताते हैं कि अन्नू का गेम 7 अगस्त को है. परिवार के बच्चे भी कहते हैं कि उनकी बुआ जरूर मेडल लाएंगी.
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