सिरमौर: दिसंबर महीने में मैदानी और पहाड़ी इलाकों में ठंड के कारण पशुओं की उत्पादन और प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है. लिहाजा पशुपालक इस मौसम में ठंड से बचाव से संबंधित प्रबंधन कार्य सुनिश्चित करें. कृषि विज्ञान केंद्र सिरमौर (धौलाकुआं) के प्रभारी एवं प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पंकज मित्तल ने बताया कि तापमान में गिरावट होने के कारण पशुओं में कई प्रकार की बीमारियां सामने आती है. इसमें से कुछ अति संक्रामक रोग पशुओं के लिए घातक साबित होते हैं. ऐसे में पशुपालकों को इन बीमारियों के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ता है.
डॉ. पंकज मित्तल ने बताया, "कुछ बीमारियां विषाणु के कारण होती हैं, जो पशुओं की बड़े पैमाने पर मृत्यु का कारण बनती हैं. घातक संक्रामक रोग जैसे पीपीआर, भेड़ और बकरी में गलघोंटू रोग और खुरपका और मुंहपका रोग संभावित हो सकता है." डॉ. मित्तल के अनुसार पशुपालक पशुओं में बीमारी के किसी भी लक्षण जैसे भूख न लगना या कम होना, तेज बुखार, चमड़ी पर लाल धब्बे या फफोले निकलना और आंख-नाक-मुंह से अत्यधिक स्राव की स्थिति में तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें. उन्होंने पशु पालकों से अनुरोध करते हुए कहा कि अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केंद्र से संपर्क किया जा सकता है.
रोगों से बचाव के लिए करें ये काम
डॉ. पंकज मित्तल ने कहा कि पशुओं को संक्रामक रोगों से बचाव के लिए उनका टीकाकरण पशु चिकित्सक की सलाह के अनुसार अवश्य करवाएं.
- दुधारू पशुओं को मैस्टाइटिस-थनेला रोग से बचाने के लिए दूध निकालने के पहले और बाद में उनके थनों को कीटाणुनाशक दवाई से साफ करें.
- ठंड के महीनों में फैशियोला एवं एम्फीस्टोम नामक फीता कृमियों के संक्रमण निचले और दलदली क्षेत्रों में ज्यादा होता है. इसलिए इसे नजरअंदाज न करें.
- बचाव के लिए पशुओं के गोबर की जांच पशु चिकित्सालय में करवा लें और रोग की निश्चित तौर पर पहचान हो जाने पर पशु चिकित्सक से रोगी पशु का उपचार करवाएं.
- पशु चिकित्सक की सलाह से पशुओं को पेट व जिगर के कीड़े मारने की दवाई दें.
ठंड से बचाने के लिए उठाए ये कदम
डॉ. मित्तल ने बताया कि पशुओं को ठंड से बचाने के लिए उचित उपाय करें.
- पशुओं को रात के दौरान शेड में रखें.
- पशुओं को पीने के लिए साफ गुनगुना पानी दें.
- पशुओं की विकास दर ठीक रखने लिए प्रोटीन, विटामिन और खनिज युक्त संतुलित आहार दें.
- खनिज की कमी से बचने के लिए पशुओं को नमक चटाएं.
- आवश्यक खनिज मिश्रण उचित मात्रा में चारे में मिलाकर पशुओं को दें.
मछली पालन करने वाले भी दें ध्यान
डॉ. मित्तल ने मछली पालन करने वाले किसानों को सलाह दी कि तापमान में कमी के साथ मछली का फीड सेवन कम हो जाता है. इसलिए तापमान के आधार पर खिलाने की दर को कम करना जरूरी है. किसान तालाब में पानी की गहराई छह फीट तक रखें, ताकि मछली को गर्म स्थान में शीत निद्रा के लिए पर्याप्त जगह मिल सके. शाम के समय नलकूप से नियमित पानी डालकर सतह के पानी को गर्म रखने में मदद मिलती है.