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गर्भावस्था में होने वाली खून की कमी या एनीमिया से कैसे बचाव करें, आईए जानते हैं - anemia disease

Anemia During Pregnancy गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को खून की कमी या फिर एनीमिया जैसी समस्या देखने को मिलती है. गर्भावस्था के दौरान खून की कमी क्यों होती है. खून की कमी होने से गर्भावस्था के पूर्व कौन-कौन से जांच महिलाओं को आवश्यक रूप से करवाई जानी चाहिए. आईए जानें प्रेग्नेंसी के दौरान एनीमिया से बचने के क्या उपाय हैं.

ANEMIA DURING PREGNANCY
एनीमिया से बचाव के उपाय (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jun 6, 2024, 2:24 PM IST

एनीमिया से बचाव के उपाय (ETV Bharat)

रायपुर : भारत में गर्भावस्था के दौरान खून की कमी या एनीमिया से 60 फीसदी महिलाएं ग्रसित हैं. गर्भावस्था के दौरान खून का लेबल या हीमोग्लोबिन की मात्रा भी प्रभावित होती है. जिसकी वजह से गर्भवती महिलाओं और गर्भ में मौजूद शिशु को कै तरह की गंभीर समस्याएं हो सकती है. इस संबंध में अधिक जानकारी के लिए ईटीवी भारत ने स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना से बात की.

हीमोग्लोबिन की कमी से बढ़ती है समस्या : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया, "गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम से कम होती है, तो इसे एनीमिया या खून की कमी माना जाता है. गर्भावस्था के समय एनीमिया से ग्रसित महिलाओं की संख्या देश में 60 फीसदी है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचना बहुत जरूरी है. महिलाओं को गर्भवती होने के बाद आयरन टेबलेट की जरूरत ज्यादा पड़ती है. भारत सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र या किसी सरकारी संस्था में गर्भवती महिलाओं को आयरन का टेबलेट वितरित किया जाता है."

"गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने को छोड़कर आगे लगातार आयरन टेबलेट लेना जरूरी होता है. खान पान और रहन-सहन के चलते जो आयरन की कमी होती है, उसे पूरा करने के लिए आयरन का टैबलेट दिया जाता है." - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

"सिकलिन टेस्ट कराना जरूरी": डॉ सावेरी सक्सेना ने का मानना है कि "गर्भावस्था में एनीमिया होने के प्रमुख कारणों में खान-पान में कमी और आयरन की कमी होना कॉमन है. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश यानी मध्य भारत में सिकलिन एक प्रमुख समस्या माना गया है. महिलाओं के गर्भ ठहरने से पहले सिकलिन टेस्ट करवानी जरूरी है. छोटी सी सिकलिन है या फिर बड़ी सिकलिन है. पत्नी की सिकलिन टेस्ट के साथ ही पति को भी सिकलिंग टेस्ट करवाना जरूरी होता है."

खून की कमी होने के लक्षण : "पति-पत्नी दोनों में सिकलिन होने से 25 फीसदी बच्चों में बड़ी सिकलिन होने का चांस रहता है. एनीमिया के लक्षणों में लगातार थकान महसूस होना, काम करने की इच्छा ना होना, सांस फूलना आदि शामिल हैं, जो गर्भावस्था के दौरान सामान्य लक्षण होते हैं. गर्भवती महिलाओं में चिड़चिड़ापन, हाथ पैर में दर्द, डिलीवरी के समय दर्द सहन करने की क्षमता खत्म हो जाती है. ऐसे में सामान्य डिलीवरी के बजाय ऑपरेशन करना पड़ता है. महिलाओं को ऐसी कई समस्याएं गर्भावस्था के दौरान खून की कमी होने से हो सकती है."

"एनीमिया या खून की कमी की समस्या होने पर इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है. इससे बच्चे का वजन कम होने लगता है. महिलाओं को कई समस्याएं गर्भावस्था के दौरान खून की कमी होने से हो सकती है." - - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

आयरन टेबलेट लेते समय बरतें सावधानी : गर्भावस्था के दौरान आयरन टेबलेट लिया जाना भी जरूरी है. इसकी कितनी मात्रा और कब तक लेनी है, यह महिला चिकित्सक से परामर्श के बिना नहीं लेना चाहिए. महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा कितनी है, उसी हिसाब से आयरन टेबलेट का निर्धारण किया जाता है. आयरन की टेबलेट को चाय या फिर खाने के साथ कभी नहीं लेना चाहिए. इसके साथ ही आयरन और कैल्शियम की टेबलेट को एक साथ कभी सेवन नहीं करना चाहिए.

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हीमोग्लोबिन की कमी से बढ़ती है समस्या : स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉक्टर सावेरी सक्सेना ने बताया, "गर्भावस्था के दौरान महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा 11 ग्राम से कम होती है, तो इसे एनीमिया या खून की कमी माना जाता है. गर्भावस्था के समय एनीमिया से ग्रसित महिलाओं की संख्या देश में 60 फीसदी है. ऐसे में गर्भवती महिलाओं को एनीमिया से बचना बहुत जरूरी है. महिलाओं को गर्भवती होने के बाद आयरन टेबलेट की जरूरत ज्यादा पड़ती है. भारत सरकार द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र या किसी सरकारी संस्था में गर्भवती महिलाओं को आयरन का टेबलेट वितरित किया जाता है."

"गर्भवती महिलाओं को प्रेग्नेंसी के पहले 3 महीने को छोड़कर आगे लगातार आयरन टेबलेट लेना जरूरी होता है. खान पान और रहन-सहन के चलते जो आयरन की कमी होती है, उसे पूरा करने के लिए आयरन का टैबलेट दिया जाता है." - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

"सिकलिन टेस्ट कराना जरूरी": डॉ सावेरी सक्सेना ने का मानना है कि "गर्भावस्था में एनीमिया होने के प्रमुख कारणों में खान-पान में कमी और आयरन की कमी होना कॉमन है. छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश यानी मध्य भारत में सिकलिन एक प्रमुख समस्या माना गया है. महिलाओं के गर्भ ठहरने से पहले सिकलिन टेस्ट करवानी जरूरी है. छोटी सी सिकलिन है या फिर बड़ी सिकलिन है. पत्नी की सिकलिन टेस्ट के साथ ही पति को भी सिकलिंग टेस्ट करवाना जरूरी होता है."

खून की कमी होने के लक्षण : "पति-पत्नी दोनों में सिकलिन होने से 25 फीसदी बच्चों में बड़ी सिकलिन होने का चांस रहता है. एनीमिया के लक्षणों में लगातार थकान महसूस होना, काम करने की इच्छा ना होना, सांस फूलना आदि शामिल हैं, जो गर्भावस्था के दौरान सामान्य लक्षण होते हैं. गर्भवती महिलाओं में चिड़चिड़ापन, हाथ पैर में दर्द, डिलीवरी के समय दर्द सहन करने की क्षमता खत्म हो जाती है. ऐसे में सामान्य डिलीवरी के बजाय ऑपरेशन करना पड़ता है. महिलाओं को ऐसी कई समस्याएं गर्भावस्था के दौरान खून की कमी होने से हो सकती है."

"एनीमिया या खून की कमी की समस्या होने पर इसका प्रभाव गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी पड़ता है. इससे बच्चे का वजन कम होने लगता है. महिलाओं को कई समस्याएं गर्भावस्था के दौरान खून की कमी होने से हो सकती है." - - डॉ सावेरी सक्सेना, स्त्री रोग विशेषज्ञ

आयरन टेबलेट लेते समय बरतें सावधानी : गर्भावस्था के दौरान आयरन टेबलेट लिया जाना भी जरूरी है. इसकी कितनी मात्रा और कब तक लेनी है, यह महिला चिकित्सक से परामर्श के बिना नहीं लेना चाहिए. महिलाओं में हीमोग्लोबिन की मात्रा कितनी है, उसी हिसाब से आयरन टेबलेट का निर्धारण किया जाता है. आयरन की टेबलेट को चाय या फिर खाने के साथ कभी नहीं लेना चाहिए. इसके साथ ही आयरन और कैल्शियम की टेबलेट को एक साथ कभी सेवन नहीं करना चाहिए.

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