ETV Bharat / state

कोसी इलाके के दो बाहुबली नेता फिर आमने-सामने, गठबंधन के सहारे 'राजनीतिक संजीवनी' की उम्मीद - bihar bahubali leader - BIHAR BAHUBALI LEADER

बिहार की सियासत में आनंद मोहन और पप्पू यादव का नाम काफी चर्चित रहा है. 90 के दशक में दोनों एक दूसरे के कट्टर विरोधी माने जाते थे. सीमांचल और कोसी के इलाके की राजनीति को ये दोनों प्रभावित करते थे. वक्त बदला. दोनों हत्या के अलग-अलग मामले में पकड़े गये. पप्पू यादव कोर्ट से बरी हो गये, लेकिन आनंद मोहन को सजा हो गयी. अब आनंद मोहन भी जेल से रिहा हो गये. इसके बाद आनंद मोहन एनडीए का हिस्सा बन गये हैं, जबकि पप्पू यादव महागठबंधन में शामिल हो गये. इसके बाद बिहार के राजनीति गलियारे में फिर वहीं 90 के दशक वाली कहानियों की चर्चा होने लगी. आप भी जानिये, कैसा रहा है इन दोनों बाहुबलियों का राजनीतिक सफर.

बाहुबली नेता
बाहुबली नेता
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Mar 21, 2024, 9:06 PM IST

बिहार के राजनीति में बाहुबली नेता.

पटना: बिहार की सियासत में नए रंग देखने को मिल रहे हैं. बाहुबली नेताओं का जमाना तो लद चुका था, लेकिन 2024 के चुनाव में एक बार फिर बाहुबली नेता दोनों ही गठबंधन के लिए मजबूरी बन चुके हैं. पप्पू यादव और आनंद मोहन बिहार के दोनों ही मुख्य गठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं. पप्पू यादव और आनंद मोहन जातीय क्षत्रप माने जाते हैं. 18 मार्च को बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद अपने बेटे अंशुमन आनंद और समर्थकों के साथ जनता दल यूनाइटेड में सोमवार को शामिल हो गईं. तो वहीं 20 मार्च को पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करा दिया.

यादव वोट बैंक पर है पकड़ः पप्पू यादव पूर्णिया इलाके से आते हैं, जबकि आनंद मोहन सहरसा क्षेत्र से आते हैं. पप्पू यादव की ताकत जहां यादव वोट बैंक मानी जाती है वहीं आनंद मोहन राजपूत वोट बैंक पर दावा करते हैं. वर्तमान परिस्थितियों में पप्पू ने जहां महागठबंधन का दामन थामा है, वहीं आनंद मोहन एनडीए की नाव पर सवार हैं. आनंद मोहन तो फिलहाल चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन उन्होंने शिवहर से अपनी पत्नी को मैदान में उतारने का फैसला लिया है. गठबंधन के सहारे यह अब संसद पहुंचने की तैयारी में हैं. पप्पू यादव कांग्रेस पार्टी में अपनी पार्टी जाप का विलय कर चुके हैं. मिल रही जानकारी के मुताबिक पप्पू यादव पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे.

Etv Gfx
Etv Gfx

अजीत सरकार हत्याकांड में आया था नामः पप्पू यादव का अपराधिक इतिहास रहा है. 17 साल जेल में बिताने के बाद पप्पू यादव बाहर आए हैं. 1998 में पूर्णिया के लोकप्रिय नेता अजीत सरकार, उनके साथी आसफुल्ला खान और ड्राइवर के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग हुई थी. तीनों की मौत हो गई थी. माकपा नेता अजीत सरकार हत्याकांड में पप्पू यादव लंबे अरसे तक जेल में रहे. बाद में कोर्ट ने बरी कर दिया. अजीत सरकार हत्याकांड में पप्पू यादव 24 में 1999 को गिरफ्तार किए गए थे.

"एक समय था जब बिहार की सियासत में जातीय क्षत्रप की पूछ होती थी. उसी का नतीजा है कि पप्पू यादव और आनंद मोहन राजनीति में चमके थे. एक बार फिर दोनों नेता बिहार के सियासत में सक्रिय दिख रहे हैं. एनडीए और महागठबंधन दोनों को बाहुबली नेताओं से भरोसा है. दोनों नेताओं का लिटमस टेस्ट भी होना है."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पांच बार सांसद रहे हैं पप्पू यादवः 1990 के दशक में पप्पू यादव ने सियासत में कदम रखा था. वह सिंघेश्वर स्थान विधानसभा सीट से पहली बार निर्दलीय विधायक बने थे. उसके बाद से पप्पू यादव ने कभी पलट कर पीछे नहीं देखा. उसे जमाने में पप्पू यादव पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा और सुपौल जैसे सीमांचल क्षेत्र के जिलों में लोकप्रिय हो गए थे. उनकी छवि बाहुबली नेता के रूप में बन चुकी थी. पप्पू यादव 1991, 1996 और 1999 में तीन बार पूर्णिया से राजद के टिकट पर सांसद रहे. दो बार 2004 और 2014 में मधेपुरा से सांसद बने. पप्पू यादव 5 बार सांसद रहे.

राजद से पप्पू यादव की बढ़ी दूरीः साल 2004 में पप्पू यादव के करियर ने महत्वपूर्ण मोड़ लिया लालू प्रसाद यादव ने दो संसदीय क्षेत्र छपरा और मधेपुरा से लोकसभा चुनाव जीता था. लालू ने छपरा सीट रखने का फैसला लिया. मधेपुरा सीट पप्पू यादव को दे दी. पप्पू यादव चुनाव जीत गए. बाद में लाल यादव का उत्तराधिकारी समझने लगे. यहीं से लालू परिवार के साथ पप्पू यादव का राजनीतिक विवाद शुरू हो गया. राजद से पप्पू यादव की दूरियां बढ़ती चली गई. 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पप्पू यादव को राष्ट्रीय जनता दल से निष्कासित कर दिया गया.

एनडीए और महागठबंधन में लड़ाईः बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है. तो वैसे स्थिति में पप्पू यादव को लालू यादव की सहमति के बाद कांग्रेस में शामिल किया गया. पप्पू यादव ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की. पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव कांग्रेस के उम्मीदवार भी माने जा रहे हैं. मधेपुरा, मेहसी, सिमरी बख्तियारपुर, आलमनगर, बिहारीगंज, बनबंकी, सुपौल, त्रिवेणीगंज और सिंघेश्वर विधानसभा क्षेत्र में पप्पू यादव की मजबूत पकड़ मानी जाती है. तमाम विधानसभा में यादव मतादाता की आबादी 20 से 30% के बीच मानी जाती है.

पप्पू यादव से अदावतः बाहुबली नेता आनंद मोहन सहरसा जिले से आते हैं. कोसी इलाके में आनंद मोहन की छवि बाहुबली नेता की है. पप्पू यादव से अदावत के चलते आनंद मोहन राजपूतों के बीच लोकप्रिय थे. 1980 में आनंद मोहन ने क्रांतिकारी समाजवादी सेवा का गठन किया और लोकसभा चुनाव लड़ा. चुनाव में उनकी हार हुई. 1990 में बिहार विधानसभा चुनाव जनता दल के टिकट पर जीता. 1993 में आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी का गठन किया. उनकी पत्नी लवली आनंद ने 1994 में वैशाली लोकसभा सीट से उपचुनाव में जीत हासिल की.

जदयू में शामिल हुआ आनंद मोहन का परिवारः 5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की बीच सड़क पर हत्या कर दी गई थी. इस केस में आनंद मोहन को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे पटना हाईकोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया था. 15 साल सजा काटने के बाद नीतीश सरकार ने जेल मैन्युअल में संशोधन किया जिसके बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता बना. जेल से रिहा होने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि आनंद मोहन जदयू के साथ आएंगे. लोकसभा चुनाव आते-आते स्थिति और स्पष्ट हो गई. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और उनके दोनों बेटे जदयू में शामिल हो गए.

राजपूत वोटरों का दबदबाः मिल रही जानकारी के मुताबिक आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. लवली आनंद एनडीए की उम्मीदवार होंगी. शिवहर सीट जदयू के खाते में दे दी गयी है. सहरसा और सुपौल जिले की सियासत में आनंद मोहन की मजबूत पकड़ मानी जाती है. शिवहर और वैशाली लोकसभा सीट पर भी उनकी अच्छी खासी पकड़ है. बिहार में राजपूत समाज की आबादी 5.2% है. 40 लोकसभा में से कम से कम 8 सीटों पर राजपूत का दबदबा माना जाता है. इनमें महाराजगंज, औरंगाबाद, पूर्वी चंपारण, वैशाली, शिवहर, बक्सर, आरा और बांका सीट शामिल है.

"पप्पू यादव और आनंद मोहन का असर कोसी के इलाके में देखने को मिलेगा. पप्पू यादव का असर जहां यादव वोटरों पर देखने को मिलेगा, वहीं आनंद मोहन राजपूत वोटरों को प्रभावित करेंगे. दोनों नेता कोसी इलाके के वोटरों पर असर डालेंगे. राजनीतिक दलों को यह फायदा होगा कि जो उनका वोट इनके चलते कट जाता था वह नहीं हो पाएगा."- भोलानाथ, वरिष्ठ पत्रकार

इसे भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव से पहले JAP का कांग्रेस में विलय, पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे पप्पू यादव

इसे भी पढ़ेंः लवली आनंद बेटे अंशुमन संग JDU में हुईं शामिल, लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव

इसे भी पढ़ेंः शिवहर से JDU की उम्मीदवार हो सकती हैं लवली आनंद, पति आनंद मोहन के साथ CM नीतीश से मिलीं

इसे भी पढ़ेंः Katihar News: पप्पू यादव ने खुद को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बताते हुए पूर्णिया लोकसभा सीट पर ठोका दावा

बिहार के राजनीति में बाहुबली नेता.

पटना: बिहार की सियासत में नए रंग देखने को मिल रहे हैं. बाहुबली नेताओं का जमाना तो लद चुका था, लेकिन 2024 के चुनाव में एक बार फिर बाहुबली नेता दोनों ही गठबंधन के लिए मजबूरी बन चुके हैं. पप्पू यादव और आनंद मोहन बिहार के दोनों ही मुख्य गठबंधन का हिस्सा बन चुके हैं. पप्पू यादव और आनंद मोहन जातीय क्षत्रप माने जाते हैं. 18 मार्च को बाहुबली नेता आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद अपने बेटे अंशुमन आनंद और समर्थकों के साथ जनता दल यूनाइटेड में सोमवार को शामिल हो गईं. तो वहीं 20 मार्च को पप्पू यादव ने अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय करा दिया.

यादव वोट बैंक पर है पकड़ः पप्पू यादव पूर्णिया इलाके से आते हैं, जबकि आनंद मोहन सहरसा क्षेत्र से आते हैं. पप्पू यादव की ताकत जहां यादव वोट बैंक मानी जाती है वहीं आनंद मोहन राजपूत वोट बैंक पर दावा करते हैं. वर्तमान परिस्थितियों में पप्पू ने जहां महागठबंधन का दामन थामा है, वहीं आनंद मोहन एनडीए की नाव पर सवार हैं. आनंद मोहन तो फिलहाल चुनाव नहीं लड़ सकते, लेकिन उन्होंने शिवहर से अपनी पत्नी को मैदान में उतारने का फैसला लिया है. गठबंधन के सहारे यह अब संसद पहुंचने की तैयारी में हैं. पप्पू यादव कांग्रेस पार्टी में अपनी पार्टी जाप का विलय कर चुके हैं. मिल रही जानकारी के मुताबिक पप्पू यादव पूर्णिया से कांग्रेस के उम्मीदवार होंगे.

Etv Gfx
Etv Gfx

अजीत सरकार हत्याकांड में आया था नामः पप्पू यादव का अपराधिक इतिहास रहा है. 17 साल जेल में बिताने के बाद पप्पू यादव बाहर आए हैं. 1998 में पूर्णिया के लोकप्रिय नेता अजीत सरकार, उनके साथी आसफुल्ला खान और ड्राइवर के ऊपर अंधाधुंध फायरिंग हुई थी. तीनों की मौत हो गई थी. माकपा नेता अजीत सरकार हत्याकांड में पप्पू यादव लंबे अरसे तक जेल में रहे. बाद में कोर्ट ने बरी कर दिया. अजीत सरकार हत्याकांड में पप्पू यादव 24 में 1999 को गिरफ्तार किए गए थे.

"एक समय था जब बिहार की सियासत में जातीय क्षत्रप की पूछ होती थी. उसी का नतीजा है कि पप्पू यादव और आनंद मोहन राजनीति में चमके थे. एक बार फिर दोनों नेता बिहार के सियासत में सक्रिय दिख रहे हैं. एनडीए और महागठबंधन दोनों को बाहुबली नेताओं से भरोसा है. दोनों नेताओं का लिटमस टेस्ट भी होना है."- डॉक्टर संजय कुमार, राजनीतिक विश्लेषक

पांच बार सांसद रहे हैं पप्पू यादवः 1990 के दशक में पप्पू यादव ने सियासत में कदम रखा था. वह सिंघेश्वर स्थान विधानसभा सीट से पहली बार निर्दलीय विधायक बने थे. उसके बाद से पप्पू यादव ने कभी पलट कर पीछे नहीं देखा. उसे जमाने में पप्पू यादव पूर्णिया, कटिहार, मधेपुरा और सुपौल जैसे सीमांचल क्षेत्र के जिलों में लोकप्रिय हो गए थे. उनकी छवि बाहुबली नेता के रूप में बन चुकी थी. पप्पू यादव 1991, 1996 और 1999 में तीन बार पूर्णिया से राजद के टिकट पर सांसद रहे. दो बार 2004 और 2014 में मधेपुरा से सांसद बने. पप्पू यादव 5 बार सांसद रहे.

राजद से पप्पू यादव की बढ़ी दूरीः साल 2004 में पप्पू यादव के करियर ने महत्वपूर्ण मोड़ लिया लालू प्रसाद यादव ने दो संसदीय क्षेत्र छपरा और मधेपुरा से लोकसभा चुनाव जीता था. लालू ने छपरा सीट रखने का फैसला लिया. मधेपुरा सीट पप्पू यादव को दे दी. पप्पू यादव चुनाव जीत गए. बाद में लाल यादव का उत्तराधिकारी समझने लगे. यहीं से लालू परिवार के साथ पप्पू यादव का राजनीतिक विवाद शुरू हो गया. राजद से पप्पू यादव की दूरियां बढ़ती चली गई. 2015 में पार्टी विरोधी गतिविधियों के चलते पप्पू यादव को राष्ट्रीय जनता दल से निष्कासित कर दिया गया.

एनडीए और महागठबंधन में लड़ाईः बिहार में एनडीए और महागठबंधन के बीच सीधी लड़ाई है. तो वैसे स्थिति में पप्पू यादव को लालू यादव की सहमति के बाद कांग्रेस में शामिल किया गया. पप्पू यादव ने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की. पूर्णिया लोकसभा सीट पर पप्पू यादव कांग्रेस के उम्मीदवार भी माने जा रहे हैं. मधेपुरा, मेहसी, सिमरी बख्तियारपुर, आलमनगर, बिहारीगंज, बनबंकी, सुपौल, त्रिवेणीगंज और सिंघेश्वर विधानसभा क्षेत्र में पप्पू यादव की मजबूत पकड़ मानी जाती है. तमाम विधानसभा में यादव मतादाता की आबादी 20 से 30% के बीच मानी जाती है.

पप्पू यादव से अदावतः बाहुबली नेता आनंद मोहन सहरसा जिले से आते हैं. कोसी इलाके में आनंद मोहन की छवि बाहुबली नेता की है. पप्पू यादव से अदावत के चलते आनंद मोहन राजपूतों के बीच लोकप्रिय थे. 1980 में आनंद मोहन ने क्रांतिकारी समाजवादी सेवा का गठन किया और लोकसभा चुनाव लड़ा. चुनाव में उनकी हार हुई. 1990 में बिहार विधानसभा चुनाव जनता दल के टिकट पर जीता. 1993 में आनंद मोहन ने बिहार पीपुल्स पार्टी का गठन किया. उनकी पत्नी लवली आनंद ने 1994 में वैशाली लोकसभा सीट से उपचुनाव में जीत हासिल की.

जदयू में शामिल हुआ आनंद मोहन का परिवारः 5 दिसंबर 1994 को गोपालगंज के तत्कालीन जिलाधिकारी जी कृष्णैया की बीच सड़क पर हत्या कर दी गई थी. इस केस में आनंद मोहन को निचली अदालत ने फांसी की सजा सुनाई थी. जिसे पटना हाईकोर्ट ने उम्र कैद में बदल दिया था. 15 साल सजा काटने के बाद नीतीश सरकार ने जेल मैन्युअल में संशोधन किया जिसके बाद आनंद मोहन की जेल से रिहाई का रास्ता बना. जेल से रिहा होने के बाद से ही कयास लगाए जा रहे थे कि आनंद मोहन जदयू के साथ आएंगे. लोकसभा चुनाव आते-आते स्थिति और स्पष्ट हो गई. आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद और उनके दोनों बेटे जदयू में शामिल हो गए.

राजपूत वोटरों का दबदबाः मिल रही जानकारी के मुताबिक आनंद मोहन की पत्नी लवली आनंद शिवहर से लोकसभा चुनाव लड़ सकती हैं. लवली आनंद एनडीए की उम्मीदवार होंगी. शिवहर सीट जदयू के खाते में दे दी गयी है. सहरसा और सुपौल जिले की सियासत में आनंद मोहन की मजबूत पकड़ मानी जाती है. शिवहर और वैशाली लोकसभा सीट पर भी उनकी अच्छी खासी पकड़ है. बिहार में राजपूत समाज की आबादी 5.2% है. 40 लोकसभा में से कम से कम 8 सीटों पर राजपूत का दबदबा माना जाता है. इनमें महाराजगंज, औरंगाबाद, पूर्वी चंपारण, वैशाली, शिवहर, बक्सर, आरा और बांका सीट शामिल है.

"पप्पू यादव और आनंद मोहन का असर कोसी के इलाके में देखने को मिलेगा. पप्पू यादव का असर जहां यादव वोटरों पर देखने को मिलेगा, वहीं आनंद मोहन राजपूत वोटरों को प्रभावित करेंगे. दोनों नेता कोसी इलाके के वोटरों पर असर डालेंगे. राजनीतिक दलों को यह फायदा होगा कि जो उनका वोट इनके चलते कट जाता था वह नहीं हो पाएगा."- भोलानाथ, वरिष्ठ पत्रकार

इसे भी पढ़ेंः लोकसभा चुनाव से पहले JAP का कांग्रेस में विलय, पूर्णिया से चुनाव लड़ेंगे पप्पू यादव

इसे भी पढ़ेंः लवली आनंद बेटे अंशुमन संग JDU में हुईं शामिल, लड़ सकती हैं लोकसभा चुनाव

इसे भी पढ़ेंः शिवहर से JDU की उम्मीदवार हो सकती हैं लवली आनंद, पति आनंद मोहन के साथ CM नीतीश से मिलीं

इसे भी पढ़ेंः Katihar News: पप्पू यादव ने खुद को इंडिया गठबंधन का हिस्सा बताते हुए पूर्णिया लोकसभा सीट पर ठोका दावा

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.