गोरखपुर: सीए योगी आदित्यनाथ के जनपद गोरखपुर का एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अमेरिकी डॉक्टरों के शोध का केंद्र बनेगा. खोराबार ब्लॉक में स्थित सीएचसी शिवपुर को इसके लिए चुना गया है. यहां मातृ-शिशु मृत्यु के दर पर अध्ययन अमेरिकी डॉक्टर गोरखपुर एम्स के डॉक्टर के साथ मिलकर करेंगे.
इसके लिए उनके बीच हुए करार के बाद अमेरिकी डॉक्टर डेविड पीटर्स, ब्रायन वाहल इसका निरिक्षण कर, जरूरी सुविधाओं को यहां व्यवस्थित करने का प्लान तैयार कर रहे हैं.
गोरखपुर एम्स और जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी अमेरिका के बीच, इसके लिए जो करार हुआ है उसके मुताबिक, अमेरिका के छात्र एम्स पहुंचकर यहां की विभिन्न बीमारियों पर अध्ययन करेंगे, जिसमें मातृ-शिशु की मृत्यु के अलावा इंसेफेलाइटिस, कालाजार, डेंगू, टीबी और मलेरिया शामिल हैं. इसके साथ ही इम्यूनाइजेशन पर भी शोध होगा, जिससे बीमारियों के लिए वैक्सीन विकसित करने में मदद मिलेगी.
जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी अमेरिका के डॉक्टरों ने यहां शोध को आगे बढ़ाने के लिए, सीएचसी पर अल्ट्रासाउंड और एक्स-रे मशीन भेजने की संस्तुति की है. एम्स गोरखपुर, शिवपुर गांव और वहां की सीएचसी को पहले ही गोद ले चुका है. दोनों विश्वविद्यालय में हुए करार के मुताबिक एम्स के छात्र जॉन हापकिंस यूनिवर्सिटी में जबकि वहां के छात्र यहां आकर अध्ययन करते हुए, विभिन्न रोगों पर अध्ययन करेंगे.
इसी प्रक्रिया के दौरान अमेरिका के विशेषज्ञ डॉक्टर यहां आकर एम्स के डॉक्टर के साथ, पूर्वांचल में लोगों को प्रभावित करने वाले रोगों पर शोध करेंगे. भारत में विभिन्न क्षेत्रों में रोगों पर अध्ययन के लिए अमेरिकी विश्वविद्यालय के दो कार्यालय दिल्ली और लखनऊ में संचालित हैं. जहां से समय-समय पर विशेषज्ञ डॉक्टर यहां आते रहेंगे.
जॉन हापकिंस डॉक्टरों की टीम ने सीएससी जाकर व्यवस्थाएं देखी और वहीं पर शोध केंद्र बनाने की इच्छा जाहिर की है. यहां कम्युनिटी हेल्थ लैब भी बनाई जाएगी जहां संक्रामक रोगों की जांच की जाएगी. इस विषय पर एम्स की पूर्व डायरेक्टर डॉ. सुरेखा किशोर की मौजूदगी में दोनों संस्थाओं के बीच करार हो चुका है.
दोनों के डॉक्टर मिलकर पूर्वांचल के लोगों को सर्वाधिक प्रभावित करने वाले रोगों के लक्षण की पड़ताल करेंगे और इसके रोकथाम के उपाय खोजेंगे. अमेरिकी डॉक्टरों की इच्छा है कि इस स्थान पर कम्युनिटी हेल्थ लैब भी बनाई जाए.
मौजूदा डायरेक्टर एम्स एके पाल कहते हैं कि इस करार से निश्चित ही शोध के क्षेत्र में अच्छे परिणाम आने की उम्मीद है. देश और दुनिया के दो संस्थान इस पर मिलकर काम शुरू करेंगे. शिवपुर सीएचसी थोड़े ग्रामीण एरिया में है लेकिन कनेक्टिविटी की कोई बड़ी आसुविधा नहीं है. ऐसे में इस पर काम जल्द शुरू हो जाएगा.
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