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अंबिकापुर बना रहा है वेस्ट से बेस्ट, हार्ड प्लास्टिक को किया जा रहा रीयूज - AMBIKAPUR WILL MAKE BEST FROM WASTE

प्लास्टिक को रीयूज करने से कचरे से मुक्ति मिल रही है और आय का जरिया भी बढ़ रहा है.

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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Jan 25, 2025, 10:57 AM IST

अंबिकापुर: शहरों से रोजाना निकलने वाला हजारों टन कचरा बड़ी परेशानी का सबब बनता जा रहा है. कचरे का एक बड़ा हिस्सा प्लास्टिक का होता है. कुछ प्लास्टिक नरम होते हैं तो कुछ हार्ड किस्म के होते हैं. हार्ड प्लास्टिक को रीयूज किया जा सकता है. हार्ड प्लास्टिक को रीयूज कर दूसरे सामान भी बनाए जा सकते हैं. अंबिकापुर नगर निगम अब इसी हार्ड प्लास्टिक को रीयूज कर रहा है. वेस्ट प्लास्टिक से बेस्ट बनाने का काम रंग ला रहा है. इससे कचरे का भी निपटारा हो रहा है और आय भी बढ़ रही है.

वेस्ट से बनाया जा रहा बेस्ट: शहर से अब निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा. नगर निगम ने इसके लिए एक बड़ा प्लांट लगाया है. ये प्लांट अब पहले से अधिक और हार्ड प्लास्टिक को भी रीयूज करने का काम करेगा. पहले हर दिन डेढ़ से दो टन प्लास्टिक वेस्ट को ग्रेनुअल्स में तब्दील करता था अब 4 से 5 टन तक प्लास्टिक वेस्ट का ग्रेनुअल्स बनाएगा. इतना ही नहीं पहले की मशीन सिर्फ पतले और शॉफ्ट प्लास्टिक का ही ग्रेनुअल्स बनाती थी लेकिन नए प्लांट में किसी भी तरह के हार्ड प्लास्टिक को भी ग्रेनुअल्स में बदल दिया जाएगा. बाद में इस ग्रेनुअल्स को प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी रीयूज करेगी.

फिर से शुरु हुआ प्लांट: दरअसल एक साल से बंद पड़े प्लास्टिक दाना प्लांट को एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है. क्षमता विस्तार के बाद प्लांट को नए सिरे से भिट्ठी कला में चालू किया गया है. प्लांट में नई तकनीक के जरिए प्लास्टिक के कचरे से दाना बनाने का काम किया जा रहा है. प्लांट में बने प्लाटिक दाने को बेचकर एक तरफ जहां नगर निगम की स्वच्छता दीदियों को आमदनी हो रही है. वहीं दूसरी ओर स्वच्छता प्रबंधन में भी इस प्लांट की अहम भूमिका साबित हो रही है.

आम के आम गुठलियों के दाम: प्लास्टिक के कचरे का निपटारा शहरों में सबसे बड़ी चुनौती है. प्लास्टिक कचरे को बिना जलाए नष्ट नहीं किया जा सकता. ऐसे कचरे को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण भी होता है. इन तमाम समस्याओं से निपटने के लिए नगर निगम ने ये कवायद शुरू की है. निगम ने शहर के सेनेटरी पार्क में शहर से एकत्रित होने वाले प्लास्टिक कचरे के निपटारे के लिए प्लान्ट लगाया है. प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डोर टू डोर जमा होने वाले कचरे को इस प्लांट में जमा किया जा रहा था.

दीपावली पर हुआ था हादसा: पिछले साल दीपावली पर पटाखे की चिन्गारी से स्वच्छता चेतना पार्क में आग लग गई. घटना में प्लास्टिक कचरे से दाना बनाने का प्लांट भी प्रभावित हुआ. करीब डेढ़ साल तक प्लांट बंद पड़ा रहा. नगर निगम ने एक बार फिर से प्लास्टिक कचरे से दाना बनाने वाले प्लांट को स्थापित करने का काम किया है. प्लांट को अब सेनेटरी पार्क के स्थान पर नगर निगम के भिट्ठी कला स्थित गीले कचरे के प्रोसेसिंग प्लांट के बगल में लगाया है.

1 दिन में 5 टन कचरे की प्रोसेसिंग: अंबिकापुर नगर निगम की ओर से सेनेटरी पार्क में स्थापित किए गए प्लांट की क्षमता एक दिन में 2 टन प्लास्टिक कचरा प्रोसेस करने की थी. वर्तमान में भिट्ठीकला में स्थापित प्लांट की क्षमता 5 टन कचरा प्रोसेस करने की है. बड़ी बात यह है कि नगर निगम में प्रतिदिन ढाई से तीन टन प्लास्टिक कचरा डोर टू डोर कचरा प्रबंधन में निकलता है. अब घरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरा के साथ ही शहर की सड़कों से सफाई के दौरान जमा किए गए कचरे को भी इस प्लांट में प्रोसेस किया सकेगा. किसी भी तरह के हार्ड प्लास्टिक का भी इस्तेमाल कर यहां प्लास्टिक ग्रेनुअल्स बनेगा.

ग्रेनुअल्स बेचकर कर हो रही कमाई: स्वच्छता दीदियां इन जमा किए गए प्लास्टिक कचरे को अपने हाथों से छांटकर अलग करती हैं. अलग किए गए प्लास्टिक को रीसाइक्लिंग मशीन में डालकर दाने बना लिए जाते हैं. बाद में थ्रेडिंग करने के बाद आरडीएफ प्लांट में बेच दिया जाता है. प्लास्टिक ग्रेनुअल्स को कंपनियां अपने प्रोडक्ट के लिए खरीद लेती हैं. इस नए तकनीक से न सिर्फ कचरे का निपटारा हो रहा है बल्कि आय भी हो रही है.

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वेस्ट से बनाया जा रहा बेस्ट: शहर से अब निकलने वाले प्लास्टिक वेस्ट का बेहतर प्रबंधन किया जा सकेगा. नगर निगम ने इसके लिए एक बड़ा प्लांट लगाया है. ये प्लांट अब पहले से अधिक और हार्ड प्लास्टिक को भी रीयूज करने का काम करेगा. पहले हर दिन डेढ़ से दो टन प्लास्टिक वेस्ट को ग्रेनुअल्स में तब्दील करता था अब 4 से 5 टन तक प्लास्टिक वेस्ट का ग्रेनुअल्स बनाएगा. इतना ही नहीं पहले की मशीन सिर्फ पतले और शॉफ्ट प्लास्टिक का ही ग्रेनुअल्स बनाती थी लेकिन नए प्लांट में किसी भी तरह के हार्ड प्लास्टिक को भी ग्रेनुअल्स में बदल दिया जाएगा. बाद में इस ग्रेनुअल्स को प्लास्टिक उत्पाद बनाने वाली कंपनी रीयूज करेगी.

फिर से शुरु हुआ प्लांट: दरअसल एक साल से बंद पड़े प्लास्टिक दाना प्लांट को एक बार फिर से शुरू कर दिया गया है. क्षमता विस्तार के बाद प्लांट को नए सिरे से भिट्ठी कला में चालू किया गया है. प्लांट में नई तकनीक के जरिए प्लास्टिक के कचरे से दाना बनाने का काम किया जा रहा है. प्लांट में बने प्लाटिक दाने को बेचकर एक तरफ जहां नगर निगम की स्वच्छता दीदियों को आमदनी हो रही है. वहीं दूसरी ओर स्वच्छता प्रबंधन में भी इस प्लांट की अहम भूमिका साबित हो रही है.

आम के आम गुठलियों के दाम: प्लास्टिक के कचरे का निपटारा शहरों में सबसे बड़ी चुनौती है. प्लास्टिक कचरे को बिना जलाए नष्ट नहीं किया जा सकता. ऐसे कचरे को जलाने से पर्यावरण प्रदूषण भी होता है. इन तमाम समस्याओं से निपटने के लिए नगर निगम ने ये कवायद शुरू की है. निगम ने शहर के सेनेटरी पार्क में शहर से एकत्रित होने वाले प्लास्टिक कचरे के निपटारे के लिए प्लान्ट लगाया है. प्लास्टिक वेस्ट मैनेजमेंट के तहत डोर टू डोर जमा होने वाले कचरे को इस प्लांट में जमा किया जा रहा था.

दीपावली पर हुआ था हादसा: पिछले साल दीपावली पर पटाखे की चिन्गारी से स्वच्छता चेतना पार्क में आग लग गई. घटना में प्लास्टिक कचरे से दाना बनाने का प्लांट भी प्रभावित हुआ. करीब डेढ़ साल तक प्लांट बंद पड़ा रहा. नगर निगम ने एक बार फिर से प्लास्टिक कचरे से दाना बनाने वाले प्लांट को स्थापित करने का काम किया है. प्लांट को अब सेनेटरी पार्क के स्थान पर नगर निगम के भिट्ठी कला स्थित गीले कचरे के प्रोसेसिंग प्लांट के बगल में लगाया है.

1 दिन में 5 टन कचरे की प्रोसेसिंग: अंबिकापुर नगर निगम की ओर से सेनेटरी पार्क में स्थापित किए गए प्लांट की क्षमता एक दिन में 2 टन प्लास्टिक कचरा प्रोसेस करने की थी. वर्तमान में भिट्ठीकला में स्थापित प्लांट की क्षमता 5 टन कचरा प्रोसेस करने की है. बड़ी बात यह है कि नगर निगम में प्रतिदिन ढाई से तीन टन प्लास्टिक कचरा डोर टू डोर कचरा प्रबंधन में निकलता है. अब घरों से निकलने वाले प्लास्टिक कचरा के साथ ही शहर की सड़कों से सफाई के दौरान जमा किए गए कचरे को भी इस प्लांट में प्रोसेस किया सकेगा. किसी भी तरह के हार्ड प्लास्टिक का भी इस्तेमाल कर यहां प्लास्टिक ग्रेनुअल्स बनेगा.

ग्रेनुअल्स बेचकर कर हो रही कमाई: स्वच्छता दीदियां इन जमा किए गए प्लास्टिक कचरे को अपने हाथों से छांटकर अलग करती हैं. अलग किए गए प्लास्टिक को रीसाइक्लिंग मशीन में डालकर दाने बना लिए जाते हैं. बाद में थ्रेडिंग करने के बाद आरडीएफ प्लांट में बेच दिया जाता है. प्लास्टिक ग्रेनुअल्स को कंपनियां अपने प्रोडक्ट के लिए खरीद लेती हैं. इस नए तकनीक से न सिर्फ कचरे का निपटारा हो रहा है बल्कि आय भी हो रही है.

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