जयपुर: डॉक्टरों की ओर से ब्रेन डेड घोषित किए गए शुभम गोयल ने तीन लोगों को नई जिंदगी दी है. दुर्घटना में घायल होने के बाद डॉक्टरों ने उसे ब्रेन डेड घोषित किया था. डॉक्टरों की समझाइश के बाद परिजनों ने सोमवार को शुभम के अंगदान किए. दोनों किडनियां जयपुर एसएमएस अस्पताल के ही सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में ट्रांसप्लांट की गईं. वहीं, लिवर ग्रीन कॉरिडोर बनाकर जोधपुर एम्स भेजा गया.
एसएमएस अस्पताल के प्रवक्ता डॉ. मनीष अग्रवाल ने बताया कि अंगदाता शुभम की दोनों किडनी एसएमएस अस्पताल के ही सुपर स्पेशलिटी ब्लॉक में ट्रांसप्लांट की गईं एवं लिवर जोधपुर एम्स को ग्रीन कॉरिडोर के द्वारा भेजा गया. सोमवार देर शाम तक ट्रांसप्लांट की प्रक्रिया जारी थी. उन्होंने बताया कि शुभम गोयल एसएमएस हॉस्पिटल के 33वें अंगदाता के रूप में अमर रहेगा. वह अपने पीछे एक विधवा माताजी एवं छोटा भाई शशांक गोयल को छोड़कर अमर हो गया. उन्होंने बताया कि शुभम के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है. इसके बावजूद भी इन्होंने अंगदान करके समाज को अच्छा संदेश दिया है.
जानकरी के मुताबिक शुभम गोयल (26 वर्ष) छोटी बावड़ी रामगढ़ अलवर का रहने वाला था. वह एक दिन सुबह मॉर्निंग वॉक के लिए घर से निकला था. इसी दौरान अचानक पुलिस के जरिए उसके घरवालों को शुभम के घायल होने की सूचना मिली. शुभम की माताजी हेमलता उसे लेकर अलवर अस्पताल पहुंचीं. यहां से 13 नवंबर को शुभम को सवाई मानसिंह अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर रेफर किया गया.
डॉक्टरों की टीम के अथक प्रयास के बावजूद शुभम की स्थिति में सुधार नहीं हुआ और डॉक्टरों ने 17 नवंबर को शुभम को ब्रेन डेड घोषित कर दिया. डॉ. मनीष अग्रवाल एवं डॉ. चित्रा सिंह तथा ट्रांसप्लांट कोऑर्डिनेटर की ओर से अंगदान करने के लिए शुभम के परिजनों को समझाया गया. शुभम गोयल की माता जी हेमलता का अंगदान करने में अहम योगदान रहा और परिवार की सहमति से सोमवार को अंगदान किया गया.